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मानव विकास में भारत की स्थिति सुधरी

नयी दिल्ली। स्वास्थ्य शिक्षा और आय पर आधारित मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति सुधरी है और 169 देशों की सूची वह एक पायदान चढकर 119 वे स्थान पर पहुंच गया है।

हालांकि लिंग भेद, असमानता और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में वह पाकिस्तान, नेपाल, बंगलादेश और श्रीलंका से पिछड गया है। संयुक्त राष्ट्र डेवलमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा वर्ष 2010 के मानव विकास रिपोर्ट में जारी इस सूचकांक में तीन नये क्षेत्र शामिल किये गये है जिनमें असामनता, लिंग भेद और बहुस्तरीय गरीबी सूचकांक है। इस सूचकांक में 10 प्रमुख देशों में नोर्वे, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमरिकी, आयरलैंड, लिंचेतेंस्टिन, नीदरलैंड, कनाडा, स्वीडन और जर्मनी शामिल है। जबकि सबसे नीचले पायदान पर रहने वाले तीन प्रमुख देशों में नाइजर, कांगो और जिम्बाब्वे शामिल है।
यूएनडीपी के स्थानीय प्रतिनिधि पैट्रिस बिजोट ने आज यहां यह रिपोर्ट जारी की। इस मौके पर योजना आयोगा की सदस्य सईदा हमीद और वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु भी मौजूद थे।

श्री बिजोट ने बताया कि लिंगभेद असानता सूचकांक में भारत 122 वें स्थान पर है जबकि पडोसी देश बंगलादेश 116 वें. पाकिस्तान 112वें, नेपाल 110वें, मालदीव 59 वें और श्रीलंका 72 वें स्थान पर है। उन्होंने बताया कि पहली रिपोर्ट 1990 में जारी की गयी थी। भारत इन 20 वर्षों में धीरे धीरे आगे बढ रहा है। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि 40 वर्षों से अधिक समय से इस मामले में एशियाई देशों में विकास के कार्यक्रम जारी है। उन्होंने कहा कि भारत का सूचकांक एशियाई देशों के औसत से ऊपर है। आर्थिक वृद्धि दर बेहतर हुयी है लेकिन असमानता बढी है।

आय के मामले में भारत एशिया के 10 प्रमुख देशों में शामिल हो गया है लेकिन असमानता और बहुआयामी गरीबी के मामले में आर्थिक वृद्धि के अनुसार सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी इसे स्वीकार किया है और कहा है कि आर्थिक विकास के लाभ का एक समान वितरण नहीं हुआ है। सरकार ने इस असमानता को दूर करने के लिए मानव विकास कार्यक्रमों की जोरशोर से शुरूआत की है।

इस मौके पर मौजूद श्री बसु ने कहा कि विकास के मौर्चे पर बहुत कुछ किया गया है लेकिन मानव विकास के मामले में अभी भी बहुत किये जाने की आवश्यकता है। तीन वर्षों तक लगातार देश की आर्थिक विकास दर नौ प्रतिशत से ऊपर रही है। हालांकि उन्होंने बहु आयामी गरीबी को इस सूचकांक में शामिल किये जाने पर टिप्पणी करते हुये कहा कि प्रत्येक देश और क्षेत्र की अपनी अपनी समस्यायें हैं। भारत गरीबी दूर करने और आर्थिक विकास का लाभ सभी लोगों तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है। सुश्री हमीद ने कहा कि असमानता और लिंगभेद दूर करने के प्रयास जारी है। कार्यस्थालों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के दिशा में सरकार काम कर रही है। इसके साथ ही गरीबी उन्मूलन और असमानता दूर करने के प्रयास भी जारी है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर व्यय में हाल में वर्षों में वृद्धि हुयी है और बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इस दिशा में बहुत कुछ किजा जायेगा।