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मानसून का दगा, 25 करोड़ के धान की नहीं होगी उपज

भागलपुर : मानसून से आस लगाये किसान इस बार अपेक्षा के अनुरूप धान की उपज नहीं कर पायेंगे. समय से बारिश नहीं होने की वजह से एक अनुमान के मुताबिक लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्य के धान की पैदावार नहीं हो पायेगी.

कृषि विभाग का अनुमान था कि इस बार 1.25 लाख मीट्रिक टन (12 लाख 50 हजार क्विंटल) की उपज होगी. लेकिन समय पर बारिश नहीं होने से ढाई लाख क्विंटल कम उपज होगी. प्रति क्विंटल 1000 रुपये कीमत आंकें तो 25 करोड़ रुपये मूल्य के धान की पैदावार नहीं होगी. अभी तक महज 60 फीसदी किसान ही बिचड़ा गिरा पाये हैं. उन्हें कम से कम 20 दिन बिचड़ा की रोपनी शुरू करने में लगेगा.

पूरे जिले में कृषि विभाग ने 55 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है. लेकिन, अब बारिश में देरी हो जाने से कृषि विभाग उत्पादन में 20 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगा रहा है. विभाग की माने तो 20 प्रतिशत घाटे पर उत्पादन में 25 करोड़ रुपये का घाटा होगा. अगर अभी भी सही तरीके से बारिश हो जाये, घाटे में कुछ कमी हो सकती है.

डीजल पर मिलेगा अनुदान

कृषि विभाग के वरीय विषय वस्तु विशेषज्ञ सदय कुमार ने बताया कि धान की फसल बचाने के लिए किसानों को डीजल की खरीद पर अनुदान मिलेगा. इसकी शुरूआत 16 जुलाई से जिले में शुरू होगी.

विभाग की माने तो जिले में 90 प्रतिशत किसान धान की खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं. महज 10 प्रतिशत किसान बोरिंग के सहारे खेती कर पाते हैं. जिले में आधे से अधिक टयूवबेल खराब पड़े हैं. जिले में नहर की सुविधा नहीं के बराबर है.

कहां-कहां होती है धान की खेती

जिले के सन्हौला, शाहकुंड, गोराडीह और सुल्तानगंज में धान की सबसे अधिक खेती होती है. इसके बाद नाथनगर व जगदीशपुर इलाकों में धान की खेती होती है. लेकिन रकवा कम है. कहलगांव के 28 पंचायत में 15, पीरपैंती के 29 पंचायत में 14 व सबौर प्रखंड के 11 पंचायत में से चार पंचायत में धान की खेती होती है.

पिछले साल धान की खेती का लक्ष्य 56 हजार था, इस साल 55 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य है. लक्ष्य में भी एक हजार हेक्टेयर की कमी आयी है. किसान मोहनी मोहन पांडे व जयहिंद यादव ने बताया कि पिछले साल जून में ही अच्छी बारिश हुई थी. हमलोगों ने खेत में बिचड़ा गिरा दिया था.

लेकिन अभी तक सही तरीके से खेतों में बिचड़ा भी नहीं गिरा पाये हैं. इसका असर बाजार पर भी पड़ा है. पिछले साल उसना चावल 15 सौ रुपया क्विंटल के हिसाब से मिल रहा था वहीं अभी 17 सौ रुपये रुपया क्विंटल मिल रहा है. चावल के थोक विक्रेता संजय कुमार की माने तो 2011 में जो अरवा चावल 1250 रुपया क्विंटल था वह अभी 1450 रुपये क्विंटल मिल रहा है.
- ललित किशोर मिश्र -