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मायावती का 'किसान कार्ड', महापंचायत में मिलेंगी किसानों से

लखनऊ। भट्टा भरसौल की घटना के बाद गर्मायी उत्तर प्रदेश की किसान राजनीति के खतरे को मख्यमंत्री मायावती ने भांप लिया है। भूमि अधिग्रहण पर किसानों के आक्रोश को ठंडा करने के लिए मु यमंत्री मायावती ने किसानों से सीधे बातचीत का फैसला किया है। चार साल के शासन में यह पहला मौका है जब मायावती ने किसी भी प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए बुलाया है।राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मख्यमंत्री की पहल पर गुरूवार को पहली बार किसान पंचायत आयोजित की जा रही है। इस पंचायत में किसान प्रतिनिधियों के साथ कल होने वाली बैठक में कृषि एवं भूमि से जुड़ी हर नीति पर विस्तार से विचार-विमर्श होगा और किसानों की समस्याओं का समाधान पूरी गंभीरता से किया जाएगा।


प्रवक्ता ने बताया कि मख्यमंत्री का मत है कि भूमि अधिग्रहण के मामलों में किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिए। इसीलिए उनकी सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए वर्ष 2010 में जो मुआवजा नीति घोषित की गयी। वह देश की सर्वाधिक प्रगतिशील नीति है।


उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उन्होंने किसानों के हित में भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास की वर्तमान नीति को और अधिक बेहतर बनाने के लिए इसे संशोधित करने का निर्णय लिया। प्रवक्ता ने कहा कि मु यमंत्री किसान प्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर उनकी राय जानने के बाद इस नीति को अन्तिम रूप प्रदान करेंगी।गुरूवार को किसान नेताओं के प्रतिनिधि मंडल से मु यमंत्री की मुलाकात के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। दो वोल्वो बसों में किसान नेता लखनऊ पहुंच गए है। जिसमें भारतीय किसान यूनियान के नेता राकेश टिकैत भी है। टिकैत ने कहा कि उन्हे सकारात्मक बातचीत की उम्मीद है।


सरकार की ओर से कहा गया है कि मख्यमंत्री मायावती किसानों की जरूरतों, अपेक्षाओं और समस्याओं के निराकरण के सिलसिले में राज्य के किसान प्रतिनिधियों के साथ 02 जून को विचार-विमर्श करेंगी। यह बैठक मु यमंत्री आवास पर संभावित है।


राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि मु यमंत्री मायावती किसानों की समस्याओं को लेकर अत्यन्त संवेदनशील रही हैं और उनका शुरू से यह मानना रहा है कि किसानों की समस्याओं का सही समाधान तभी स भव है जब उनसे सीधी बातचीत करके उनकी सहमति से निर्णय लिया जाय। इसी को ध्यान में रखते हुए मख्यमंत्री ने किसान प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए लखनऊ बुलाया है।


गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले एक माह में ग्रेटर नोएडा के तीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। जिसके बाद किसानों की जमीन का मुद्दा और गर्मा गया है।


विपक्ष को मायावती का यह कदम रास नही आ रहा है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि किसानों के उत्पीड़न के लिए कु यात बसपा सरकार अब किसानों को गुमराह करने पर तुल गई है।


मख्यमंत्री और कैबिनेट सचिव से किसानों के प्रतिनिधि मण्डल की मुलाकात की योजना धोखाधड़ी की पराकाष्ठा है। बदले की भावना से राज काज चला रही मु यमंत्री की किसानों के प्रति झूठी हमदर्दी महज एक छलावा है। किसानों को इससे सतर्क रहना चाहिए।