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मुख्य सूचना आयुक्त की तैनाती पर तनातनी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर जावेद उस्मानी की तैनाती करने का ‍लिया गया निर्णय विवादों के घेरे में आ गया है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन ‍समिति ने सोमवार को यूपी के मुख्य सचिव रह चुके जावेद उस्मानी को मुख्य सूचना आयुक्त के पद तैनात करने का निर्णय लिया था.

अखिलेश सरकार के इस फैसले को राज्यपाल राम नाईक को मंजूरी देनी है और राज्यपाल इसके लिए तैयार नहीं हैं. राजभवन सूत्रों के अनुसार राज्यपाल इस मामले में प्रदेश सरकार से कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद ही अन्तिम निर्णय लेंगे, क्योंकि कई संगठनों ने मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर जावेद उस्मानी की तैनाती पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

गौरतलब है कि चार माह पूर्व प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज के रिटायर हुए.इस पद के लिए सरकार ने आवेदन मांगे.जिस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के समधी जो वर्तमान में सूचना आयुक्त के पद पर तैनात हैं सहित 31 लोगों ने आवेदन किया. इनमें जावेद उस्मानी भी शामिल हैं. यूपी के मुख्य सचिव रह चुके जावेद उस्मानी 1978 बैच के आईएएस हैं और वर्तमान में वह राज्स्व परिषद में चेयरमैन के पद पर तैनात हैं. जावेद उस्मानी को सपा प्रमुख मुलायम सिंह का प्रिय अधिकारी माना जाता है, जिसके चलते ही यूपी में अखिलेश सरकार के बनते ही मुलायम सिंह ने उन्हें केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति से बुलाकर यूपी का मुख्य सचिव बनवा दिया था.

परन्तु लोकसभा चुनावों में हुई करारी पराजय के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटाकर राजस्व परिषद के चेयरमैन पद पर भेज दिया. बतौर आईएएस अधिकारी जावेद उस्मानी का कार्यकाल एक वर्ष से अधिक का बाकी है.फिर भी उन्होंने यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनाती के लिए आवेदन कर दिया.

गत सोमवार को मुख्य सूचना आयुक्त के चयन को लेकर मुख्यमंत्री के आवास पर चयन समिति की बैठक हुई.इससे पहले यह बैठक दो बार टल चुकी थी.इस समिति में मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य व स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन शामिल हुए.सूत्रों ने बताया कि बैठक में सिर्फ मुख्य सूचना आयुक्त के नाम पर विचार हुआ और चयन समिति ने जावेद उस्मानी के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी गयी.चयन समिति के इस निर्णय पर अब राज्यपाल राम नाईक की मुहर लगेगी तभी जावेद उस्मानी को पद भार ग्रहण कराया जाएगा, पर यह इतना आसान नजर नहीं आता.

इसकी वजह जावेद उस्मानी से सीबीआई द्वारा कोल स्कैम को लेकर की गई पूछताछ और जावेद उस्मानी का वीआरएस ना लेना बताया जा रहा है.जावेद उस्मानी अभी रिटायर नहीं हुए हैं.उनका एक साल से अधिक का कार्यकाल बाकी है.ऐसे में उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त का पद भार ग्रहण करने से लिए आईएएस सेवा छोड़नी होगी.इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति उन्हें लेनी पड़ेगी.इसमें समय भी लग सकता है क्योंकि केंद्र सरकार कोल स्कैम में सीबीआई द्वारा की गई पूछताछ की जानकारी प्राप्त करने के बाद ही निर्णय लेगी.ऐसी स्थिति में सूबे के राज्यपाल इस मामले में प्रदेश सरकार से कुछ मुददो पर स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद ही कोई निर्णय लेंगे.

राज्यभवन के सूत्रों का यह कहना है.सामाजिक संगठन 'तहरीर' ने भी राज्यपाल से इस मामले में तत्काल कोई निर्णय ना लेने की अपील की है तो कुछ संगठनों ने अखिलेश सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने के लिए न्यायालय जाने की बात कहीं है.इन संगठनों का कहना है कि जावेद उस्मानी की मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनाती करने का निर्णय सही नहीं है.ऐसे में अब जावेद उस्मानी को मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनात करने का यह प्रकरण तूल पकड़ेगा, यह स्पष्ट हो गया है और देखना यह होगा कि मामले का गरमाने पर अखिलेश सरकार इस मामले में क्या निर्णय लेगी.