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मुख्यमंत्री के पिता ने ठोका दावा-‘बासमती चावल हमारा’- कौशल किशोर चतुर्वेदी

भोपाल. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिता प्रेम सिंह प्रदेश के पहले किसान बन गए हैं, जिन्होंने बासमती चावल को प्रदेश की विरासत बनाने के लिए प्रयास शुरू किया है। उन्होंने कृषि विभाग को यह हलफनामा दिया है कि जैत के उनके खेतों में पिछले सात दशक से बासमती चावल की खेती हो रही है।


उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार का कृषि विभाग इन दिनों बासमती उत्पादन क्षेत्र के अंतर्गत मध्यप्रदेश को शामिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। इसके लिए विभाग ने रजिस्ट्रार जीआई को अपना आवेदन भेज दिया है।


नियम के अनुसार विभाग को अपने दावे के लिए चिन्हित व्यक्तियों के एफिडेविट एवं अन्य मौखिक-लिखित प्रमाण प्रस्तुत करना पड़ता है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री के पिता सामने आए हैं।


कृषि विभाग ने बासमती पैदा होने के प्रमाण जुटाने की जिम्मेदारी जबलपुर व ग्वालियर कृषि विवि, मंडी के संयुक्त संचालक तथा कृषि विभाग के मैदानी अमले को सौंपी है। ऐतिहासिक किताबों, राजस्व रिकॉर्ड एवं पुरातत्व साक्ष्यों में भी बासमती संबंधी प्रमाण ढूंढे जा रहे हैं।


विवि एवं निजी संस्थाओं के वैज्ञानिक,कृषि विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञों के स्टेटमेंट,पुराने साहित्य,किंवदंतियों,कविताओं, लोकगाथाओं में शामिल बासमती संबंधी अंशों को जुटाया जा रहा है।


जैत के बासमती जैसा चावल कहीं नहीं


उनका दावा है कि जैत के आसपास पैदा होने वाला चावल पतला, लंबा, सुगंधित, खाने में स्वादिष्ट एवं अच्छी क्वालिटी का है। भोपाल से 90 किलोमीटर दूर जैत निवासी श्री सिंह का दावा है कि उनकी उम्र 74 साल है और वे बचपन से ही अपने खेतों में इस चावल की पैदावार के प्रत्यक्ष गवाह हैं।


पहले सिंचाई न होने के कारण इसका उत्पादन सात गुना तक होता था,लेकिन अब 25 गुना एवं इससे अधिक तक होती है। उनका कहना है कि जैत,दोबी,शाहगंज,बाड़ी,बरेली के आसपास के गांवों में इसकी अच्छी खेती होती है।


लोग नहीं मानते कि मप्र में होता है उत्पादन


मुख्यमंत्री के पिता श्री सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारी ने उन्हें बताया कि इस क्षेत्र में पैदा होने वाला चावल जब बाहर एक्सपोर्ट होता है,तो लोग मानने को तैयार नहीं हैं कि बासमती चावल मध्यप्रदेश में पैदा होता है। अगर किसानों के स्टेटमेंट मिल जाएं, तो वह इसे शासन के पास भेजेंगे। शासन इसे आगे भेजेगा,तो हो सकता है कि हमारे बासमती चावल को मान्यता मिल जाए। कौन-कौन कर रहे दावा


उत्तरप्रदेश,पंजाब,हरियाणा


क्या है जियोग्राफिकल इंडिकेशन


जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीई) में क्षेत्र विशेष में वस्तु अथवा उत्पाद के उत्पादन को कानूनी मान्यता एवं गुणवत्ता एवं लक्षणों के आधार पर विशिष्ट पहचान मिलती है।


इससे क्या फायदा


जीई मिलने के बाद दूसरा व्यक्ति इस उत्पाद पर जीआई रजिस्ट्रेशन के लिए अपना दावा पेश नहीं कर सकता। उत्पाद विशेष के निर्यात व वाणिज्यिक कारोबार के लिए क्षेत्र विशेष का दावा पुख्ता हो जाता है।


पेटेंट के लिए अहम


वैश्विक परिदृश्य में पेटेंट कराने के लिए जीआई रजिस्ट्रेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीआई रजिस्ट्रेशन होने के बाद इस उत्पाद पर किसी दूसरे व्यक्ति को पेटेंट नहीं मिल सकता।