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मोंटेक हटें या बंद हो योजना आयोग : शरद यादव

नयी दिल्ली : शहर में 28.65 और गांवों में 22.42 रुपए से अधिक रोज कमाने वालों को गरीबी रेखा से उपर मानने के योजना आयोग के नए मानदंड की आज विपक्षी के साथ सरकार के सहयोगी दलों ने कड़ी आलोचना की और सदन में इस बाबत वक्तव्य देने की मांग की.

गरीबी की नयी परिभाषा पर चर्चा की शुरूआत करते हुए जद (एकी) के शरद यादव ने योजना आयोग के नए मानदंडों को देश की गरीबी का ‘क्रूर मजाक’ बताते हुए कहा, ‘‘मेरी सरकार से विनती है कि योजना आयोग को मोंटेक सिंह से छुटकारा दिलाएं या योजना आयोग को बंद कर दीजिए.’’

उन्‍होंने आगे कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया जब भी बोलते हैं तो देश में हाहाकार मच जाता है और महंगाई बढ जाती है. योजना आयोग में ऐसे व्यक्ति को बैठाया जाए जो गरीबों की जमीनी हकीकत को समङो.

गरीबी के बारे में योजना आयोग के नये आंकड़ों पर जद (एकी), भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही आज पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी थी.

गौरतलब है कि योजना आयोग की ओर से जारी किये गए परिवार उपभोक्ता खर्च के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण 2009-10 पर आधारित गरीबी आंकडे के मुताबिक, 2009-10 में गरीबी का अनुपात 29.8 प्रतिशत बताया गया है जो 2004-05 के 37.2 प्रतिशत से काफ़ी नीचे है.

ये आंकडे शहरों में 28.65 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 22.42 रुपये प्रति व्यक्ति दैनिक खपत को आधार मानकर तैयार किये गए हैं. यादव ने कहा कि एनएसएसओ के आंकडे, तेंदुलकर समिति, सक्सेना समिति की रिपोर्ट से देश नहीं चलेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकडे वापस होने चाहिए. प्रधानमंत्री या सरकार के जिम्मेदार मंत्री को बयान देना चाहिए कि योजना आयोग का यह बयान गलत है.’’ यादव ने यहां तक कहा, ‘‘अगर गरीबों को गरीब नहीं समझते तो उन्हें खड़ा करके गोली मार दो, जहर दे दो लेकिन ऐसा क्रूर मजाक मत करो.’’

इस बयान के बाद कुछ देर तक सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा भी किया. जद (एकी) अध्यक्ष ने कहा कि सदन में सभी सदस्य इस आंकडे से सहमत नहीं हैं लेकिन ‘यहां उनकी जुबान बंद है.’

भाजपा की सुषमा स्वराज ने कहा कि योजना आयोग के पिछले हलफ़नामे में भी गरीबों का मजाक उड़ाया गया था और हमने सोचा था कि सरकार गंभीरता के साथ आंकडों में सुधार करेगी लेकिन यह तो आग में घी डालने का काम किया है.

उन्होंने इसके लिए सीधे प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘योजना आयोग को क्या दोष देना, दोषी तो सरकार है जो रिपोर्ट स्वीकार करती है. योजना आयोग के अध्यक्ष तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं. इसलिए असली दोषी यह सरकार है.’’

इस दौरान सदन में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी भी उपस्थित थीं. सोनिया की ओर मुखातिब होते हुए सुषमा ने कहा, ‘‘संप्रग अध्यक्ष सदन में मौजूद हैं. उनका अपना रुतबा है. वह निर्देश देंगी तो योजना आयोग को अपना बयान खारिज करना पडेगा. हम आग्रह करते हैं कि सोनिया भी सदन के सुर में सुर मिलाकर सरकार को इस आंकडे को रद्द करने का निर्देश दें.’’

सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि यह आंकड़े किस आधार पर जारी किये गये हैं पता नहीं. उन्होंने आंकड़ों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि लिखा-पढी से वास्तविक आकलन नहीं होगा, इसके लिए दूर-दराज गांवों में जाकर हकीकत देखनी होगी.

उन्होंने कहा, ‘‘योजना आयोग में बैठे लोगों को नहीं पता कि जमीनी हकीकत क्या है. उन्होंने गांवों की हकीकत दिखाई जाए. वे एसी में बैठकर आंकड़े तैयार कर लेते हैं. लोगों को बिजली, शुद्ध पानी नहीं मिल रहा.’’

मुलायम सिंह ने कहा कि योजना आयोग में बैठे लोग देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं. अभी देश में बीपीएल को लेकर सर्वेक्षण पूरा भी नहीं हुआ तो यह रिपोर्ट किस आधार पर आई है.

उन्होंने कहा, ‘‘योजना आयोग में बैठे लोगों को निकालकर बाहर करिये.’’ सपा अध्यक्ष ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ़ नहीं लेकिन सरकार के गलत कार्यों के विरुद्ध हैं.

उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि आपको हस्तक्षेप करना चाहिए और देश को, सरकार को धोखा देने वाले लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए.

चर्चा के बीच में कांग्रेस की ओर से वी. अरुण कुमार ने योजना आयोग के आंकड़ों का बचाव करने का प्रयास किया लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे के बीच वह अपनी बात ठीक से नहीं रख सके.

कुमार ने कहा कि आंकड़े बदलना जरूरी है तो बदले जाएंगे और चर्चा पर ऐतराज नहीं लेकिन ऐसी धारणा मत बनाइए कि हम गरीबों के खिलाफ़ हैं.

बसपा के डॉ बलिराम ने कहा कि योजना आयोग के उक्त मानक को सही मान लें तो देश में गरीब ही नहीं मिलेंगे. उन्होंने योजना आयोग की हाल ही में जारी रिपोर्ट को तत्काल वापस करने के साथ ही सदन में गरीबी के आंकड़ों पर चर्चा कराने की मांग की.

माकपा नेता वासुदेव आचार्य ने योजना आयोग की रिपोर्ट की निंदा करते हुए कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष अपने आंकड़ों को जायज ठहरा रहे हैं, जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए. उन्होंने मोंटेक सिंह को हटाने की मांग की.

बीजद के भर्तृहरि महताब ने योजना आयोग पर पूरे देश को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए सरकार से इस बाबत जल्दी से जल्दी स्पष्टीकरण की मांग की.