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मोदी सरकार के 2 साल: मुद्रास्फीति पर अंकुश के बावजूद दालों व चीनी के दामों में उछाल

मोदी सरकार के पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान थोक व खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद खाद्य पदार्थों खासकर दाल और चीनी जैसे कई जिंसों के भावों में उछाल आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों के दामों में गिरावट के साथ-साथ सरकार के राजकोषीय अनुशासन और रिजर्व बैंक की कठोर नीति के कारण मुद्रास्फीति काबू में है। लेकिन दो साल से कम बारिश के कारण खाद्य बाजार में कुछ जिंसों के दामों में तेजी से आम आदमी चिंतित है। वैसे इन दो सालों में दूध व खाद्य तेलों में सीमित घट-बढ़ ही रही। पिछले साल मई के मुकाबले इस साल मई में दाल अरहर 38 फीसद महंगी है। मलका मसूर पिछले साल के मुकाबले सस्ती हुई है लेकिन मई 2014 के मुकाबले 21 फीसद महंगी है। चना दाल मई 2014 में 46 रुपए किलो से बढ़कर इस मई में 78 रुपए किलो पर पहुंच गई। उड़द दाल 170 रुपए किलो की ऊंचाई पर है। अरहर दाल कुछ महीने पहले 200 रुपए किलो से ऊपर पहुंच गई थी।

 

जिंसों के ये दाम सामान्य दुकान की खुदरा ब्रिकी पर आधारित हैं। चार-पांच लोगों के परिवार में आटा, दाल, चावल, चाय, चीनी, तेल, हल्दी, मिर्च, साबुन और दंत मंजन जैसी जरूरी वस्तुओं की मासिक खरीदारी का बिल दो साल पहले जहां दो से ढाई हजार रुपए था, वहीं अब यह तीन हजार रुपए के पार है। खुदरा बाजार में धनिया 200 ग्राम का पैकेट इन दो सालों में 35 से 45 रुपए, हल्दी 35 से 38 रुपए और मिर्च का पैकेट 35 से 45 रुपए के दायरे में रहा। मिल्कफूड का देशी घी 310 से 330 रुपए किलो रहा। अन्य ब्रांडों के दाम ऊंचे रहे। धारा रिफाइंड तेल पिछले दो साल में 120-125 रुपए लीटर के दायरे में रहा। सरसों तेल की बोतल 98 से 105 रुपए रही। टाटा नमक 15 से बढ़कर 16 रुपए पर पहुंचा है। चायपत्ती 320 से 345 रुपए किलो के दायरे में रही। पिछले एक साल में विभिन्न ब्रांडों के दूध के दाम 38 से 48 रुपए किलो पर हैं। राजग सरकार ने 26 मई, 2014 को केंद्र की सत्ता संभाली थी। इन दो सालों में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार गिरती हुई नवंबर 2014 में शून्य और उसके बाद शून्य से नीचे चली गई लेकिन अप्रैल 2016 में यह 0.34 फीसद पर आ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई 2014 में 8.28 फीसद से घटकर मार्च 2016 में 4.83 फीसद नीचे आई लेकिन अप्रैल 2016 में फिर बढ़कर 5.39 फीसद हो गई।

 

थोक और खुदरा बाजार में आमतौर पर दाम में भारी अंतर की शिकायत रहती है। यही वजह है कि थोक मुद्रास्फीति जहां शून्य से नीचे चल रही थी वहीं खुदरा मुद्रास्फीति पांच फीसद से ऊपर है। मई 2012 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 10.36 फीसद की ऊंचाई पर थी जो गिरती हुई अप्रैल 2016 में 5.39 फीसद रह गई। सरकार ने वैश्विक बाजारों में नरमी के कारण घरेलू मांग पर असर से निपटने की चुनौतियों के बीच राजकोषीय मजबूती के रास्ते को नहीं छोड़ा है और 2016-17 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5 तक सीमित रखने का लक्ष्य है जो 2015-16 में 3.9 फीसद, 2014-15 में चार फीसद और 2013-14 में 4.5 फीसद था। रिजर्व बैंक ने महंगाई के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए अपनी नीतिगत ब्याज दर रेपो में जनवरी 2015 से अब तक कुल मिलाकर 1.5 फीसद की वृद्धि की है।