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मौसम में फेरबदल कर सूखे का सामना करने की तैयारी में महाराष्ट्र

नई दिल्ली. इस साल कम बारिश की आशंका को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार पानी की कमी को पूरा करने के लिए 'क्लाउड सीडिंग' कराने पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग के सचिव केएच गोविंदराज ने कहा, 'राज्य सरकार सरकार ने क्लाउड सीडिंग कराने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए हैं ताकि जरूरत से कम बारिश होने पर हम उसके मुकाबले के लिए तैयार रहें।' गोविंदराज ने कहा कि उनकी सरकार सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी कंपनियों की भी मदद लेने को तैयार है। महाराष्ट्र ऐसी कोशिश करने वाला देश का पहला राज्य है। पिछले कई सालों में सूबे के कई इलाकों खासकर विदर्भ में सूखे के हालात ने कई किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है।

सूखे का अनुमान

मॉनसून से उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए बुरी खबर है। केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जानकारी दी है कि इस साल 88 फीसदी बारिश होगी। पहले मौसम विभाग ने 93 फीसदी बारिश होने का अनुमान जताया था। इसका मतलब है कि लगातार दूसरे साल इस बार भी सूखा पड़ेगा।

अभी से मिलने लगे हैं कम बारिश के संकेत

इस साल कम बारिश के संकेत अभी से मिलने लगे हैं। मॉनसून के केरल पहुंचने में पहले ही देर हो चुकी है। अब कहा जा रहा है कि चार या पांच जून तक मॉनसून केरल पहुंचेगा। मौसम विभाग ने पहले कहा था कि 30 मई तक मॉनसून देश के दक्षिण-पश्चिमी समुद्री तट को पार कर जाएगा।

कैसे तय होती है मानसून की श्रेणी?
 
बारिश

मानसून
90% से कम
सूखे की स्थिति
90 से 96%

सामान्य से कम
96 से 104%

सामान्य
104 से 110%

सामान्य से ज्यादा
110% से ज्यादा

काफी ज्यादा
* इस बार बारिश 88% होने की उम्मीद है।

किन इलाकों पर पड़ेगा ज्यादा असर?

केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक, देश के उत्तर-पश्चिम इलाके जैसे दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कम बारिश का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

क्यों होगी कम बारिश?

मौसम विभाग पहले ही संकेत दे चुका है कि इस साल कम बारिश की वजह अल नीनो ही होगा। अल-नीनो एक ऐसी मौसमी परिस्थिति है जिसमें तापमान बढ़ने के कारण समुद्र का सतही पानी सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है। ऐसे में गर्म पानी ऊपर ही रह जाता है। समुद्र के नीचे का ठंडा पानी ऊपर आने की प्रकिया रुक जाती है। इससे मौसम चक्र बदल जाता है। असर उन इलाकों पर पड़ता है, जहां अच्छी बारिश होती है। देश में 2009 में भी अल-नीनो का असर था। इस वजह से 40 साल का सबसे बड़ा सूखा पड़ा था। पिछले 65 बरसों में 16 वर्ष अल नीनो की वजह से कम बारिश हुई है।

गेहूं के बाद चावल की फसल होगी बर्बाद?

कम बारिश के अनुमान से देश के किसानों को बड़ा झटका लगा है। इस साल फरवरी और मार्च में बेमौसम बारिश की वजह से उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में गेहूं, दलहन और तिलहन जैसी रबी की फसलें बर्बाद हो गईं। किसान इस नुकसान से उबरने की कोशिश कर रही थे कि अब कम बारिश के अनुमान ने नया संकट पैदा कर दिया है। इसके चलते चावल और मक्के जैसी खरीफ की फसलों की कम पैदावार की आशंका है। अगर ऐसा होता है तो महंगाई के आंकड़े बढ़ने तय हैं।