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यूनिक कोड को हर संभव सहायता देने का फैसला

दिल्ली मंत्रिमंडल ने सोमवार को फैसला किया कि वह यूआईडीएआई के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर करेगी। सरकार ने इस परियोजना के काम पर दिल्ली में नजर रखने के लिए दो समितियां बनाने का भी फैसला किया है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

शीला दीक्षित ने बताया कि यूआईडीएआई को अनूठी पहचान संख्या परियोजना की कामयाबी के लिए हर संभव सहायता देने के लिए सरकार ने इस प्राधिकरण के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2009 में इस प्राधिकरण का गठन किया था ताकि भारत के नागरिकों को अनूठी पहचान संख्या जारी की जा सके। इसका मकसद सेवाओं की पहुंच में सुधार और लोगों, खासतौर पर गरीब और कमजोर वर्गों को कल्याण योजनाओं के लाभ सुनिश्चित करने के लिए मददगार बनना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना बहुत बड़ी और जटिल है, इसे राज्य सरकारों की मदद के बिना लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार ने अन्य राज्यों की तरह प्राधिकरण के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग नोडल विभाग के रूप में काम करेगा। इसमे मंडलायुक्त सचिव के रूप में और प्रधान सचिव अध्यक्ष के रूप में काम करेंगे। मंत्रिमंडल ने एमओयू के मसौदे को अनुमति दी जिस पर बाद में दिल्ली सरकार की ओर से मुख्य सचिव और संभवत: प्राधिकरण की तरफ से इसके प्रमुख नंदन नीलेकणी द्वारा दस्तखत किए जाएंगे।

एमओयू के अनुसार प्राधिकरण डाटा रिकार्ड करेगा और बॉयोमीट्रिक विवरण के मानक विकसित और तय करेगा, निवासियों की सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया बताएगा और काम करने वाली एजेंसी के लिए मानक और मानदंड तय करेगा। वही सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराएगा और अलग पहचान संख्या के जरिए व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करेगा। जबकि दिल्ली सरकार अवधारणा के अध्ययन के लिए प्राधिकरण के साथ सहयोग करेगी, पंजीकारों की पहचान करेगी, संस्थागत व्यवस्था स्थापित करेगी, वित्तीय और अन्य संसाधन उपलब्ध कराएगी और स्थिति और संपर्क की मदद के लिए कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।

शीला दीक्षित ने समूची प्रक्रिया की समुचित निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया। इसके मद्देनजर एक राज्यस्तरीय कार्यान्वयन समिति के गठन का फैसला किया गया है। 14 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे जबकि मंडलायुक्त सदस्य सचिव होंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय परिषद के गठन का भी फैसला किया गया। मंडलायुक्त इसके सदस्य सचिव होंगे जबकि राजस्व मंत्री, वित्तमंत्री और मुख्य सचिव सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।