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येद्दियुरप्पा : मुख्यमंत्री या भू-माफिया ?


कर्नाटक में सरकारी जमीनों को लेकर हुई धांधली ने घोटालों का नया रिकार्ड कायम कर दिया है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने परिवार और पार्टीवालों को जमीनें बांटकर खूब उपकृत किया। घोटाला उजागर होने पर वे कहते रहे कि उन्होंने जो भी किया, वह वैसा ही है जैसा पूर्व के मुख्यमंत्रियों ने किया। अब पार्टी हाईकमान ने कार्रवाई की तलवार लटका दी है तो येदियुरप्पा के परिवारवाले जमीन लौटा रहे हैं। पर इससे क्या येदियुरप्पा की कुर्सी बच पाएगी ?


जमीनों का हेर-फेर कैसे


चाहे वह बेंगलुरू की बेशकीमती जमीन हो या फिर औद्योगिक क्षेत्र का मामला। पहले जमीन किसी उद्योगपति को आवंटित कर दी जाती। फिर उससे वह जमीन येदियुरप्पा के परिवारजन या पार्टीजन सस्ते दाम पर खरीद लेते। सीएम उसे संबंधित संस्था के नाम से डिनोटिफाई कर देते और कई बार लैंड यूज भी बदल देते। इस तरह जमीन के दाम आसमान पर चले जाते।


क्या है डिनोटिफिकेशन?


कोई भी प्रदेश सरकार सड़क, स्कूल, अस्पताल आदि बनवाने के लिए किसी भी जमीन का अधिग्रहण (नोटिफिकेशन) कर सकती है। लेकिन उसके पास इस जमीन को या इसके कुछ हिस्से को डिनोटिफाई कर इसके मूल मालिक या किसी अन्य व्यक्ति को बेचने का अधिकार भी है। सस्ते सरकारी रेट पर खरीदी गई जमीन की कीमत सरकारी प्रोजेक्ट के कारण बढ़ जाती है। घोटाले की श्रेणी


अधिकारियों की सलाह को दरकिनार करते हुए येदियुरप्पा ने तीन श्रेणियों में जमीनें आवंटित कीं-


- महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की जमीन के हिस्से करीबी लोगों को दिए गए।- औद्योगिक क्षेत्रों में मनमाने ढंग से जमीनें डिनोटिफाई की गईं।- मुख्यमंत्री कोटे से करीबी लोगों को भूमि अलाटमेंट।


फंसे तो जमीन लौटाई


घोटाले पर घिर गए येदियुरप्पा ने जमीन आवंटन के लिए निर्धारित अपना ‘जी’ कोटा ही रद्द कर दिया है। उनके रिश्तेदारों ने जमीन लौटा दी है।


- येदियुरप्पा के पुत्र बीवाय राघवेंद्र ने बेंगलुरू के रिहाइशी इलाके में राजमहल विलास एक्सटेंशन का चार हजार स्क्वेयर फीट का प्लाट लौटाया। इस मामले में राघवेंद्र पर गलत दस्तावेज देने का भी आरोप था।- राघवेंद्र और भाई विजयेंद्र ने जिगानी की दो एकड़ जमीन लौटाई।- पुत्री उमा देवी ने बेंगलुरू के बाहरी इलाके होराहल्ली में मिली दो एकड़ जमीन लौटाई।- येदियुरप्पा के बेटी और दामाद ने बेंगलुरू के बाहरी इलाके में मिले रिहाइशी प्लॉट लौटाए।


..लेकिन विपक्ष पूछ रहा है कि अगर कोई चोरी का सामान वापस कर दे तो क्या उसे सजा नहीं मिलेगी?


इस्तीफे का दबाव?


येदियुरप्पा पर इस्तीफा देने का दबाव है ताकि भाजपा अपने दामन को साफ रखते हुए केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार पर आक्रमण की धार तेज कर पाए।


मुख्यमंत्री या भू-माफिया


बीवाय राघवेंद्र


> बीडीए ने सीएम के कोटे से शहर के पॉश इलाके में रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट के आधा एकड़ जमीन दी।> राघवेंद्र को तीन करोड़ देना पड़े, जबकि जमीन का बाजार मूल्य 38 करोड़ था।


बीवाय राघवेंद्र, बीवाय विजयेंद्र और दामाद सोहन कुमार


> दुबई के बिल्डर से राचनहल्ली गांव की 1.26 एकड़ जमीन खरीदी, जिसे कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास मंडल (केआईएडीए) ने रेसिडेंशियन प्रोजेक्ट के लिए डिनोटिफाई कर दिया। इसके अलावा प्रोजेक्ट की कुल जमीन को नोटिफाई और फिर डिनोटिफाई करने में 116 एकड़ जमीन को मुक्त करा लिया गया।> खरीदी की रकम का खुलासा नहीं, लेकिन बाजार मूल्य 500 करोड़ रु. है।


बेटी उमा देवी


> बीपीओ खोलने के लिए बेंगलुरू के बाहरी इलाके में दो एकड़ जमीन औन-पौने दाम पर दिलवाई।> हरोहगी में छह एकड़ जमीन अपनी बेटी के नाम पर एक अन्य कंपनी से खरीदी।


किस-किस पर कृपा


जमीन घोटालों के सूत्रधार तो मुख्यमंत्री खुद ही हैं, लेकिन फायदा कमाने वाले उनके बेहद करीबी हैं।


- बीवाय राघवेंद्र (पुत्र)- बीवाय विजयेंद्र (पुत्र)- सोहन कुमार (दामाद)- उमा देवी (बेटी)- आर अशोका (गृह मंत्री)- केएस ईश्वरप्पा (कर्नाटक भाजपाध्यक्ष)- कट्टा नायडू (आईटी मंत्री)


इसके अलावा और भी..


> मुख्यमंत्री ने 20 करोड़ रुपए की कीमत के नौ प्लॉट अपनी बहन और अपने ज्योतिषी लक्ष्मण पुजारी के नाम पर खरीदे। > उन्होंने जितानी इंडस्ट्रियल एरिया में बेंगलुरू विकास प्राधिकरण (बीडीए) की दो एकड़ जमीन डिनोटिफाई कर अपने बेटों को आवंटित की। उनके बेटे बीवाई राघवेंद्र ने इस जमीन को हासिल करने के लिए झूठा शपथपत्र लगाया कि उनके पास बंगलुरु में कोई अन्य संपत्ति नहीं है। येदियुरप्पा का कहना है कि ऐसा और लोगों ने भी किया है। राघवेंद्र के साथ उनके आवंटन भी रद्द किए जाएं।


जवाब से खड़ा हुआ सवाल


मैंने वही किया जो मुझसे पहले की सरकारें करती रहीं। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भी मुझसे उनके पुत्र के लिए जमीन डिनोटिफाई करने के लिए कहा था। यदि मैंने अपने पुत्रों को जमीन दी तो इसमें गलत क्या है। क्या उन्हें इंडस्ट्री लगाने का हक नहीं। (विधानसभा में येदियुरप्पा का दिया गया यह बयान। पद से हटाए जाने से पहले तक टेलीकॉम मंत्री राजा भी तो यही कहते रहे कि उन्होंने जो किया वह परंपरा के अनुसार ही था।)