Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/योग-ग्लैमरस-है-ग़रीब-की-मौत-नहीं-कुमार-केतकर-8488.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | योग ग्लैमरस है, ग़रीब की मौत नहीं?- कुमार केतकर | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

योग ग्लैमरस है, ग़रीब की मौत नहीं?- कुमार केतकर

मौत में कोई ग्लैमर नहीं होता. ख़ासकर ग़रीब झुग्गीवालों की मौत में. मुंबई में झुग्गीवाले भी रहते हैं और करोड़पति भी.

आमतौर पर दोनों फ़िल्मों को छोड़कर कहीं और नहीं मिलते. लेकिन यहाँ ऐसे भी माफ़िया करोड़पति भी हैं जो मुंबई की बड़ी झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले अभागे ग़रीबों पर फलते-फूलते हैं.

मुंबई की झुग्गियों में 50 लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं. इनकी जीवन शैली सहारा मरुस्थल के देशों या सोमालिया में रहने वाले लोगों जैसी ही है.

जिस दिन भारत में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा था, उस दिन भी क़रीब 100 भारतीय या तो आख़िरी साँसें ले रहे थे या बस निर्वाण प्राप्त करने ही वाले थे.

इन लोगों को अंतिम शांति शवासन या योग से मोक्ष पाकर नहीं मिली. इन लोगों ने मालवणी के ग़ैर-क़ानूनी ठिकानों पर ज़हरीली शराब पी थी.

पड़ोसी बॉलीवुड

इस जगह के बहुत क़रीब ही प्रसिद्ध बॉलीवुड उद्योग है. बॉलीवुड में कई करोड़पति हैं और जब उनकी मौत होती है मीडिया में उसका बड़ा सेलिब्रेशन होता है.
लेकिन मीडिया और सेलिब्रिटीज़, योग की पोशाक या जिम टी-शर्ट नहीं पहनने वाले इन ग़रीबों को मिले महानिर्वाण से ज़्यादा प्रभावित नहीं हुए.

इन ग़रीबों ने मौत को चुपचाप गले लगा लिया. उनका परिवार दयनीय स्थिति में पहुँच गया.

जिसके परिवार के रोजीरोटी कमाने वाले शख़्स की मौत हुई या जिस परिवार में कोई व्यक्ति रोज़गार लायक कौशल नहीं रखता उसे एक-एक लाख रुपए देने की घोषणा महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत ही की.

मोदी सरकार के 'कौशल प्रशिक्षण संस्थान' तैयार होते उससे पहले ही इन लोगों की मौत हो चुकी थी.

वीकेंड पार्टी

इन लोगों को मृत्यु शुक्रवार की रात यानी वीकेंड नाइट को शराब पीने के बाद हुई.

मालाबार हिल और पाली हिल में भी 'फ्राइडे नाइट आउट' पार्टियाँ होती हैं लेकिन उनमें सिंगल माल्ट या वोदका या जिन परोसी जाती है.

लेकिन दोनों जगहों पर शराब के एक पेग की क़ीमत में भारी अंतर होता है. यह झुग्गी में 6 रुपए से लेकर हिल इलाक़े में 600 रुपए के एक पेग तक का अंतर है.

इन 'हिल इलाक़े में रहने वाले' भी जिम, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग या योग टीचर के पास जाते हैं. वे हफ़्ते में ऐसा कम से कम पाँच दिन तक करते हैं.
इन लोगों का मक़सद साफ़ होता है. उन्हें अपना ब्लड सुगर, कोलेस्ट्रॉल, वसा, उच्च रक्तचाप से छुटकारा पाना होता है.

कुछ लोगों को सिक्स ऐब्स या हृतिक या कटरीना जैसी काया बनानी है.

सिंगल माल्ट वाला समुदाय

ये सिंगल माल्ट और जिम वाला समुदाय योग को ग्लोबल बनाने के 'प्रधानमंत्री के प्रयास' से बहुत ज़्यादा प्रभावित है.

उन्हें पहले से पता है कि योग से शरीर स्वस्थ और दिमाग़ शांत होता है.

हिल इलाक़ों में रहने वाले भी निर्वाण चाहते हैं लेकिन दुनिया के सभी मजे लेने के बाद.

झुग्गी वालों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. उनके पास न ही मौक़ा है, न समय कि वो अमीर बनने का इंतज़ार करें और उसके बाद निर्वाण पाने की कोशिश करें.

ये लोग अपना आध्यात्मिक ध्यान उन गंदे अड्डों पर करना पसंद करते हैं जो ख़ुद को बार कहते हैं.

ये लोग इन बार में 'मुक्ति' पाने के लिए जाते हैं लेकिन अपनी तंगहाल और पीड़ित ज़िंदगी से.

उन्हें इस बात का अंदाज़ा भी नहीं रहा होगा ये उनका आखिरी सफ़र होगा.

मीडिया का ध्यान

इस दौरान मीडिया योग के ग्लोबल शो और किम इल सुंग स्टाइल के दिखावे में व्यस्त था.

मीडिया योग के महत्व को तो समझता है लेकिन उसे ज़िंदगी के हाशिए पर जी रहे लोगों की पीड़ा समझ नहीं आती.

टीवी चैनलों ने योग दिवस पर लगातार कमेंट्री की. उन्होंने इसके आध्यात्मिक महत्व और बड़ी संख्या में भागीदारी का गुणगान किया.

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने वही किया जिससे टीआरपी और मुनाफ़ा मिलता है.

प्रिंट मीडिया भी अब टीवी और सोशल मीडिया पर निर्भर हो चुका है. उसकी हालत भी उन जैसी ही हो चुकी है.

प्रिंट में छपे निजी या सरकारी विज्ञापनों में शांति और निर्वाण पाने के लिए योग करने की अपील की गई थी.

बग़ैर जश्न गुज़र गए

भारत के राजपथ पर योग करते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोग.

ग़रीब लोगों को निर्वाण मीडिया के ग़ौर किए बग़ैर ही मिल गया.

राजपथ या शिवाजी पार्क में इसका जश्न मनाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी.

इन लोगों का कोई ब्रांड एंबैसडर भी नहीं है और न ही वे ग्लैमरस विदेशी ब्रांडों का प्रयोग करते हैं.

वे इस निर्मम दुनिया से बग़ैर किसी गाइड या एबैंसडर के गुज़र गए.

(साभार- बीबीसी हिन्दी)