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राजस्थान--मंत्री के बंगले में ही बंट गई सहायता

गरीबों को तत्काल राहत देने के लिए मंत्रियों के स्वविवेकानुदान की राशि उनके बंगलों और स्टाफ के रिश्तेदारों में बंट रही हैं। इसकी शिकायतों को अधिकारी रफा-दफा कर रहे हैं। मामला लोकायुक्त तक पहुंच गया है।

कार्मिक विभाग से इस शिकायत पर जानकारी मांगी गई है। हालांकि मामला पिछली सरकार के कार्यकाल का है, लेकिन एेसी शिकायत पहली बार नहीं आई है।

कार्मिक विभाग को इस राशि के बंटवारे को लेकर दो-तीन बार शिकायत मिल चुकी है, लेकिन उसने जांच के बजाय खानापूर्ति कर मामला रफा-दफा कर दिया। मंत्रिमंडल सचिवालय व कार्मिक विभाग दोनों ने ही राशि के बंटवारे पर निगरानी के लिए कोई सिस्टम नहीं बनाया है।

सालाना 88 लाख जारी
सरकारी खजाने से स्वविवेकानुदान राशि के लिए सालाना 88 लाख रुपए जारी होते हैं, जिनमें से 50 लाख रुपए मुख्यमंत्री व 38 लाख रुपए मंत्रियों के लिए जारी होते हैं।

मंत्रिमंडल सचिवालय के अनुसार केबिनेट मंत्री को हर साल 2 लाख, राज्य मंत्री को एक लाख और उप मंत्री के लिए 50 हजार रुपए जारी करने का प्रावधान है।

यूं हुआ खुलासा
लो कायुक्त के पास पिछली कांग्रेस सरकार के समय जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री रहे महेन्द्रजीत सिंह मालवीय के कोष की राशि में गड़बड़ी की शिकायत पहुंची है।

इसमें आरोप है कि मालवीय के स्टाफ में रहे सचिवालय सेवा के कर्मचारी रहे शंकर लाल कुमावत ने अपने रिश्तेदारों को यह राशि दिलवाई।

मालवीय के कार्यकाल में उनके स्वयं के बंगले के पते पर ही लोगों को सहायता राशि बंटना बताया गया है। यह तो महज बानगी है, कुछ अन्य मंत्रियों के स्टाफ के भी अपने परिचितों को राशि दिलवाने के आरोप हैं।

इनका कहना है
मंत्री रहते जयपुर के सिविल लाइन्स स्थित बंगला नम्बर 381 आवंटित था। इस बंगले में रहने वालों को मेरे कोष से राशि दी गई, अब इतने समय बाद ध्यान नहीं हैं, कर्मचारियों के नाम भी ध्यान नहीं हैं। राशि नियमानुसार ही बांटी गई।
महेन्द्रजीत सिंह मालवीय,
पूर्व जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री

सवाल ये..
तत्कालीन मंत्री ने अपने ही स्टाफ को राशि बांट दी?
राशि पाने वालों का पता भी मंत्री का बंगला है?

इसलिए हो रही गड़बड़
मंत्री इस राशि से किसी जरूरतमंद व्यक्ति को तत्काल एक हजार रुपए और जरूरतमंद संस्था को दो हजार रुपए तक दे सकते हैं। विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की सहमति से किसी भी व्यक्ति को तीन हजार रुपए तक दे सकते हैं।

इसमें केवल राजपत्रित अधिकारियों को ही सहायता राशि देने पर पाबंदी है, दूसरे कर्मचारियों को भी बार-बार राशि जारी नहीं हो सकती।

एेसे में नियमों का तो ख्याल रखा जाता है, लेकिन मंत्रियों का स्टाफ कई बार अपनों को राशि दिलवा देता है। कई बार राशि रिश्तेदारों को ही दिलवा दी जाती है।