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राजस्थानः खनन पर लगी रोक से गहराता जा रहा है बजरी संकट

जयपुर। राजस्थान बजरी खनन पर पिछले तीन माह से लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक और सरकार की नई नीति पर हाईकोर्ट की रोक के कारण राजस्थान मे बजरी संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश में बजरी की जमकर कालाबाजारी हो रही है। रोक के पहले 10 हजार रुपए में मिल रहा ट्रक अब 30 से 40 हजार रुपए में भी मुश्किल से मिल पा रहा है।

राजस्थान में सरकार ने बजरी खनन के लिए 52 लीज आवंटित कर रखी है, लेकिन इनके पास पर्यावरण स्वीकृति नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने करीब तीन माह पहले बजरी खनन पर रोक लगा दी। तब से हालात बहुत खराब हैं। अब बताया जा रहा है कि इन 52 मे से 19 लीजधारकों की पर्यावरण संरक्षण योजना आदि क्लीयर हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई भी थी, लेकिन यह सुनवाई दो अप्रैल तक टल गई। उधर संकट को कम करने के लिए सरकार ने 31 छोटे ब्लॉक बनाकर नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन यह मामला भी हाईकोर्ट में चला गया। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो सरकार नए ब्लॉक कैसे नीलाम कर सकती है। इस मामले में हाईकोर्ट ने अधिकारियों को अवमानना नोटिस तक जारी कर दिए।

राजस्थान के ज्यादातर हिस्सों में बजरी जयपुर के पास टोंक जिले की बनास नदी और आस-पास के क्षेत्रों से सप्लाई होती है। अकेले जयपुर में प्रतिदिन करीब दो हजार ट्रक की खपत है। यहां की बजरी दिल्ली-गुड़गांव तक जाती है। जब से रोक लगी है, तब से अवैध खनन चालू हो गया है और कालाबाजारी के कारण दाम तीन से चार गुना तक हो गए हैं।

ऑल राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नवीन शर्मा कहते हैं कि इस स्थिति के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। पर्यावरण स्वीकृति का यह मामला 2013 से चल रहा है और उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सिर्फ अंतरिम राहत दी थी। लेकिन, सरकार ने इसे सुलझाने में चार वर्ष लगा दिए। लीजधारक भी अपनी योजना 2015 में ही सरकार को दे चुके हैं, लेकिन पहले यहां की सरकार ने इसे रोके रखा और बाद में केन्द्र सरकार ने फाइलों पर निर्णय नहीं किया। सरकार चाहती तो समय से यह काम हो सकता था।

शर्मा बताते हैं कि अभी भी दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती है तो 19 लीजधारकों को ही खनन की अनुमति मिलने की संभावना है। इसमें भी आठ-दस अप्रैल तक का समय लग सकता है। उधर सरकार को फिलहाल इस मामले का कोई हल नजर नहीं आ रहा है। खनन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि हमने छोटे ब्लॉकों की नीलामी का रास्ता निकाला था, लेकिन इस पर भी रोक लग गई है। अब देखेंगे क्या नया रास्ता निकाला जा सकता है।