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राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने की आरटीआई के कुछ नियमों को हटाने की सिफारिश

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने आरटीआई में सरकार द्वारा प्रस्तावित कुछ नियमों को हटाने की सिफारिश की है। इस परिषद की अध्यक्षता सोनिया गांधी कर रही है। इसमें कहा गया है कि ये नियम इस अधिकार में कानूनन गलत है इसके गलत प्रभाव हो सकते हैं, कुछ लोग ब्लैकमेल कर सकते हैं या जानकारी चाह रहे लोगों की हत्या की जा सकती है।
 
सरकार ने जो नियम प्रस्तावित किये हैं उनमें एक सुझाव दिया गया है कि केवल एक ही विषय पर आरटीआई के तहत जानकारी मांग सकते हैं और वह जानकारी केवल 250 शब्दों में होगी। शब्दों की सीमा तय करने के मामले पर परिषद का कहना है कि यह कानून के लिहाज से खराब और अवास्तविक है।
 
इस नियम पर एनएसी ने आपत्ति जताई है और परिषद का कहना है कि कानून से दूर जाकर एक नियम बनाना सरासर गलत है। एक विषय के बारे में अपनी मनमर्जी से नियम के कई तरीके शुरू हो जाएंगे और इससे लोग इस नियम का दुरुपयोग भी करने लगेंगे क्योंकि एक विषय को परिभाषित करना भी बहुत कठिन है।
 
वहीं परिषद द्वारा दूसरे प्रस्तावित नियम हटाने की सिफारिश की गई है वह यह है कि जानकारी चाहने वाले व्यक्ति की मौत के बाद सूचना आयोग कार्यवाही रोक सकता है। इस बारे में परिषद का कहना है कि इससे आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो सकती हैं। और साथ ही परिषद का कहना था कि यह जरूरी नहीं है कि चाही गई जानकारी केवल अपीलकर्ता के हित की हो, वह कई लोगों की हित में भी हो सकती है। एनएसी ने साथ ही सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान अपील वापस लेने की इजाजत दिये जाने पर भी आपत्ति की है। एनएसी का कहना है कि इस तरह से यह ब्लैकमेल करने का एक तरीका बन सकता है।
 
एनएसी ने अपने सिफारिशें कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भेज दी हैं। आरटीआई के नियमों में बदलाव किये जाने पर अपने सुझाव देना का फैसला 13 दिसंबर 2010 को कार्य समूह की बैठक मे किया गया था। इन सिफारिशों की प्रति सुभाषचंद्र अग्रवाल की ओर से दाखिल आरटीआई अर्जी पर हासिल हुई है।