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रिजर्व बैंक ने फिर से घटाया आर्थिक विकास का अनुमान

नई दिल्ली। नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था पर बेहद असर डाला है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने चालू वित्त वर्ष 2016-17 के लिए देश के आर्थिक विकास के अनुमान को एक बार फिर घटा दिया है। आरबीआइ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2016-17 में अर्थव्यवस्था 6.9 फीसद की दर से बढ़ेगी।


केंद्रीय बैंक ने दिसंबर, 2016 में ही अपने विकास अनुमान को 7.6 से घटाकर 7.1 फीसद किया था। अलबत्ता आरबीआइ मानता है कि अगला वित्त वर्ष विकास के लिहाज से बेहतर रहेगा। वर्ष 2017-18 के दौरान अर्थव्यवस्था की रफ्तार 7.4 फीसद रहेगी।


रिजर्व बैंक ने बुधवार को मौद्रिक नीति की दोमाही समीक्षा में माना कि नोटबंदी का असर चालू वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में बना हुआ है। इसके चलते विकास दर में और कमी की आशंका है। लेकिन जैसे-जैसे सिस्टम में नकदी का प्रवाह बढ़ रहा है, यह प्रभाव कम हो रहा है।


इसलिए आरबीआइ ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं की मांग फिर से बढ़ने लगेगी। इसके चलते अर्थव्यवस्था के वापस अपनी पटरी पर लौट आने की संभावना बढ़ेगी। हालांकि हाल ही में संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसद आर्थिक विकास की दर का अनुमान लगाया है।


रिजर्व बैंक ने कहा है कि नकद सौदों पर टिके रिटेल ट्रेड, होटल, रेस्तरां, परिवहन समेत असंगठित उद्योगों की रफ्तार नकदी का प्रवाह सामान्य होने के बाद बढ़ने लगेगी। माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से ये सभी क्षेत्र तेज गति से विकास करने लगेंगे।


इसका असर पूरे वर्ष की आर्थिक विकास की रफ्तार पर होगा। उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष के अंत तक अर्थव्यवस्था 7.4 फीसद की विकास दर से बढ़ पाएगी।


सरकार को सात फीसद से ज्यादा रफ्तार का भरोसा

केंद्र सरकार ने भी भरोसा जताया है कि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की दर सात फीसद से अधिक रहेगी। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने रिजर्व बैंक के आकलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह से बजट में एलान किए गए हैं, उनसे अर्थव्यवस्था की रफ्तार और बढ़ेगी।


जहां तक सरकार के एजेंडा का सवाल है, तो वह बजट में स्पष्ट है। अब सरकार का पूरा फोकस बजट घोषणाओं को अमली जामा पहनाने पर है।