Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/रेणु-के-डागडर-बाबू-की-दिख-रही-झलक-2402.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | रेणु के डागडर बाबू की दिख रही झलक | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

रेणु के डागडर बाबू की दिख रही झलक

पूर्णिया [कुंदन]। कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की कालजयी रचना मैला आंचल के किरदार डागडर बाबू की झलक मोहनपुर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में दिख रही है। एक दशक से एक चिकित्सक के लिए तरस रहे मोहनपुर के लोगों के लिए वे धरती के भगवान बन सेवा कर रहे हैं।

दरअसल इस स्वास्थ्य केंद्र में सेवामुक्त हो चुके सिविल सर्जन डा. बीके सिंह मरीजों को नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं। उनकी नि:स्वार्थ अटूट मानवीय सेवा देख फणीश्वर नाथ रेणु की मैला आंचल के डा. प्रशांत का किरदार सहज ही स्मरण हो जाता है।

रूपौली प्रखंड के मोहनपुर ओपी की लगभग 25 हजार आबादी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर करती है। यहां की आधी से अधिक आबादी दियारा के इलाके में रहती है। चारों तरफ नदियों से घिरे इस इलाके में दूर तक फैले बालू और कास यहां की वास्तविक कहानी कहते हैं। ऐसे में लगभग एक साल पहले तक यहां के लोगों की तबीयत बिगड़ जाती थी तो उसका भगवान ही मालिक होता था, लेकिन पिछले एक साल से स्थिति बदल गई है।

धनबाद से सरकारी सेवा समाप्त करने के बाद घर लौटे सिविल सर्जन डा. बीके सिंह ने यहां के लोगों की तकलीफों को महसूस किया और अपनी सेवा देने का फैसला किया। उन्होंने माटी का कर्ज उतारने के लिए यहां के लोगों का मुफ्त में इलाज करना शुरू कर दिया। आज के इस दौर में जब चिकित्सा जगत सेवा क्षेत्र न रहकर पेशा का रूप ले रहा है, ऐसे में नि:शुल्क सेवा की अनूठी मिसाल इस पिछड़े इलाके में दिख रही है।

डा. सिंह बताते हैं कि उन्होंने गांव में अपनी सेवा देनी तो शुरू कर दी लेकिन गरीबी के कारण अधिकांश लोग दवा तक नहीं खरीद पाते थे। इलाके के लोगों की दयनीय हालत देख वे कई रात सो नहीं पाए। ऐसे में उन्होंने पूर्णिया के सिविल सर्जन डा. आरसी मंडल से अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवा देने की बात की। इस प्रस्ताव से गदगद सिविल सर्जन ने उन्हें दवाइयां और कर्मचारी उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया। इसके बाद से लगातार डा. सिंह इस अस्पताल में बैठते हैं और मरीजों का नि:शुल्क इलाज करते हैं।

जिस अस्पताल का कभी ताला नहीं खुलता था और उसके बरामदे में जानवरों का बास होता था उसी अस्पताल की रौनक देखते ही बनती है। यहां प्रतिदिन सौ से अधिक मरीजों को डा. सिंह देखते हैं। मरीजों को यहां अब मुफ्त में दवाएं भी मिलती हैं और सेवा भी। सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डा. सिंह बताते हैं कि सरकारी सेवा में लगातार बाहर रहने के बाद जब वे यहां लौटे तो उनके दिल में अपनी मिट्टी के प्रति कुछ करने की तमन्ना थी। यहां के लोगों ने भी उन्हें अपने फर्ज की याद दिलाई। माटी का कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने अपने हुनर को ही हथियार बनाने का फैसला किया।

वे बताते हैं कि मोहनपुर में इलाज के दौरान कई बार गंभीर रूप से बीमारों को अन्यत्र रेफर करने की नौबत आती है परंतु एंबुलेंस का अभाव उन्हें खटकता है। इस बाबत पूर्णिया के सिविल सर्जन ने कहा कि आज के दौर में इस प्रकार की सेवा भावना ढूंढे नहीं मिलती है। इस सेवा के लिए वे विभाग की ओर से उन्हें सम्मानित करवाने का प्रयास करेंगे।