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लक्ष्य पूरा करने 6 घंटे में 83 महिलाओं की नसबंदी !

बिलासपुर(निप्र)। परिवार नियोजन कल्याण का टॉरगेट पूरा करने नवीन जिला अस्पताल के सर्जन ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर शिविर में 6 घंटे के भीतर 83 महिलाओं की नसबंदी कर दी। इसके कारण ही तीन महिलाओं की जान चली गई। साथ ही 50 से अधिक बीमार हो गईं हैं। इसके बाद आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग के अमले ने दवा, इंजेक्शन, लेप्रोस्कोप समेत अन्य उपकरणों को जब्त कर लिया है।

केंद्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत हर साल अक्टूबर से फरवरी के बीच जिले में महिला एवं पुरुष नसबंदी शिविर का आयोजन किया जाता है। इसके लिए टॉरगेट तय कर दिया जाता है। इसी कड़ी में हमेशा की तरह तखतपुर के ग्राम पेंडारी में आयोजित नसबंदी शिविर का आयोजन शनिवार को किया गया था। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का दावा है कि नेमीचंद जैन अस्पताल में नसबंदी के लिए ऑपरेशन थिएटर को तैयार किया गया था।

यहां पर लेप्रोस्कोपी से महिलाओं की नसबंदी की जानी थी। ऐसे में हमेशा की तरह नवीन जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. आरके गुप्ता की ही ड्यूटी लगी थी, जो अपने एक सहयोगी के साथ शिविर स्थल पर पहुंचे थे। इसके अलावा शेष स्टॉफ बीएमओ तखतपुर ने उपलब्ध कराया था। यहां पर बीते शनिवार को सुबह 11 बजे के बाद महिलाओं की नसबंदी शुरू हुई।

टॉरगेट के चक्कर में सर्जन ने बिना विश्राम किए 6 घंटे के भीतर ही 83 महिलाओं की नसबंदी कर दी। इसे लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। यही नहीं तीन महिलाओं की मौत और 50 से अधिक के बीमार होने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। इसके बाद सोमवार को आनन-फानन में दवा, इंजेक्शन, लेप्रोस्कोप समेत अन्य उपकरणों की जब्ती बना ली गई है।

एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवा दी गई थी

नसबंदी के बाद सभी महिलाओं को एंटीबयोटिक टेबलेट सिप्रोफ्लाक्सिन व दर्द निवारक ब्रूफेन नामक दवा दी गई थी। इसका सभी महिलाओं ने सेवन किया था। इसके अलावा इंजेक्शन भी लगाए गए थे। दो महिलाओं की मौत और 50 लोगों के बीमार होने के बाद आनन-फानन में दवाओं की जांच की गई तो कोई भी दवा एक्सपायरी नहीं होने की बात सामने आई है। यही नहीं लेप्रोस्कोप से तत्काल संक्रमण होने की बात कही जा रही है। ऐसे में मौत को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

राजधानी तक हड़कंप, ज्वाइंट डायरेक्टर पहुंचे

नसबंदी शिविर में गड़बड़ी की खबर राजधानी रायपुर तक सुबह ही पहुंच गई थी। इसके बाद जांच में स्वास्थ्य विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. केसी उरांव यहां पहुंचे। उन्होंने नसबंदी शिविर, महिलाओं की मौत, बीमार लोगों की संख्या, दवा, सर्जन की ड्यूटी समेत विस्तार से अन्य जानकारी सीएमओ डां. भांगे, बीएमओ डॉ. प्रमोद तिवारी, सर्जन डॉ. आरके गुप्ता आदि से ली। इसके बाद उन्होंने रिपोर्ट स्वास्थ्य सचिव को भेज दी।

नहीं होती एचआईवी की जांच

नसबंदी शिविर में बगैर एचआईवी जांच की महिलाओं के ऑपरेशन कर दिए जाते हैं। जिला अस्पताल में इसे लेकर बवाल मच गया था, जबकि एक ही लेप्रोस्कोपी मशीन से बड़ी संख्या में ऑपरेशन किए जाने से संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस ओर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान ही नहीं जा जाता है, जबकि किसी भी ऑपरेशन के पहले एचआईवी की जांच अनिवार्य तौर पर करनी है।

शव का कराया गया पोस्टमार्टम

नसबंदी में बरती गई लापरवाही के कारण जानकी बाई की मौत हुई है। इसे लेकर परिजनों एवं ग्रामीणों में भारी आक्रोश था। अस्पताल प्रबंधन ने मौत का कारण स्पष्ट नहीं होने के कारण जानकी के शव को मरच्युरी में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद पुलिस ने पंचनामा की कार्रवाई पूरी की, फिर शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया।

बच्चों के सिर से उठा मां का साया

मृत जानकी बाई के पति ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं। उनके भरण-पोषण में आ रही दिक्कत को ध्यान में रखते हुए उसने पत्नी की नसबंदी कराने का निर्णय लिया था। इसके लिए उनसे ग्राम चिचिरदा की मितानीन ने संपर्क किया था, लेकिन नसबंदी में बरती गई लापरवाही के कारण उसके तीन बच्चों के सिर से मां का साया उठ गया है। यही नहीं उनके गांव में भी शोक की लहर फैल गई है।

परिजनों को 50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि

नसबंदी शिविर में मृत जानकी व दिप्ती बाई के परिजनों को तत्काल ही बीएमओ डॉ. तिवारी ने 50-50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की। इसके अलावा मृतिका के परिजनों ने जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है। हालांकि इसे लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।