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लोकपाल: गुस्‍साए अन्‍ना ने दी फिर अनशन की चेतावनी

नई दिल्‍ली. पीएम और न्‍यायपालिका को लोकपाल के दायरे में रखे जाने पर सिविल सोसायटी और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अन्‍ना हजारे ने आज कहा है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उन्‍हें दोबारा अनशन करना पड़ेगा। इस पर दिग्विजय सिंह ने उन्‍हें संविधान का आदर करने की नसीहत दी है।

अन्‍ना हजारे ने कहा कि वो सरकार के रवैये से बेहद निराश हैं। उन्‍होंने कहा, 'यदि हमें लगता है कि लोकपाल बिल कमजोर पड़ रहा है तो हम फिर से उपवास करेंगे।' अन्‍ना ने कहा, 'ऐसा लगता है कि सरकार एक मजबूत लोकपाल बिल लाने के पक्ष में नहीं है। यदि दो ड्राफ्ट बनाने हैं तो इसके लिए एक ज्‍वाइंट कमेटी की क्‍या जरूरत है?'

अन्‍ना का यह बयान ज्‍वाइंट कमेटी की उस बैठक के एक दिन बाद आया है जिसमें लोकपाल बिल को लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत बेनतीजा रही। बुधवार को हुई ज्‍वायंट ड्राफ्टिंग कमेटी की बैठक के बाद अन्‍ना हजारे ने कुछ नहीं कहा था। करीब ढाई घंटे चली बैठक से वह निकले और गाड़ी में बैठ कर चले गए। पत्रकारों के बार-बार पूछने पर सिर्फ इतना कहा कि बैठक अच्‍छी रही। लेकिन आज उन्‍होंने अपने मन की भड़ास निकाल दी।

पीएम से मिले दिग्विजय, सिब्‍बल

इस बीच, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और कपिल सिब्‍बल ने आज प्रधानमंत्री से मुलाकात की। मुलाकात करीब 45 मिनट चली। दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर अन्‍ना और उनकी टीम को निशाने पर लिया है। अन्‍ना के फिर अनशन करने की चेतावनी पर दिग्विजय ने कहा है कि अन्‍ना और उनके साथियों को सरकार के बारे में गलत राय नहीं बनानी चाहिए। इससे पहले कांगेस नेता ने अन्‍ना को उम्र का खयाल रखने की नसीहत दी थी।
  
उन्‍होंने कहा कि अन्‍ना और उनके साथियों को यह बात समझनी चाहिए कि संसद और संविधान भी कोई चीज है। सरकार सिविल सोसायटी के खिलाफ नहीं, बल्कि संविधान के दायरे में रहकर काम करती है।

जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर अन्‍ना हजारे ने बीते अप्रैल में दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर करीब 90 घंटे का अनशन किया था। लोकपाल बिल को लेकर अन्‍ना की मांग को देशव्‍यापी समर्थन मिलने के बाद सरकार इस बिल का मसौदा तैयार करने पर राजी हुई लेकिन उसके बाद अब तक सरकार और सिविल सोसायटी के बीच किसी न किसी मुद्दे पर टकराव होता रहा है।
 
अन्‍ना और उनके साथी लोकपाल बिल में प्रधानमंत्री और न्‍यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में रखे जाने का प्रावधान शामिल कराने पर अड़े हैं। लेकिन सरकार इस प्रावधान को नहीं मान रही है। इस बात को लेकर दोनों पक्ष में जुबानी जंग चल रही है। इस जंग के बाद बुधवार को दोनों पक्ष बातचीत के लिए भी बैठे, लेकिन प्रधानमंत्री को बिल के दायरे में लाए जाने का मुद्दा एजेंडे में ही नहीं रखा गया।

बुधवार की बैठक के बाद केंद्र सरकार के प्रतिनिधि कपिल सिब्‍बल ने कहा कि बिल के ड्राफ्ट के बजाय कैबिनेट नोट बनेगा। इसमें सरकार और सिविल सोसायटी के वर्जन होंगे। उन्‍होंने बताया कि ज्‍वाइंट कमेटी की अगली बैठक 20 जून को होगी। सिविल सोसाइटी के सदस्‍य अरविंद केजरीवाल ने बुधवार की बैठक के बाद कहा कि सरकार लोकपाल बिल की बनने से पहले ही इसकी 'हत्‍या' करना चाहती है।

गौरतलब है कि सिविल सोसायटी और सरकार दोनों ही लोकपाल बिल के अलग-अलग ड्राफ्ट बना रही है। हालांकि कपिल  सिब्बल ने यह साफ किया कि कैबिनेट में एक ही ड्राफ्ट को पेश किया जाएगा, जिसमें दो नोट होंगे। जो यह स्पष्ट करेंगे की सरकार और सिविल सोसायटी में किन मुद्दों पर सहमति बन गई है और किन-किन मुद्दों पर मतभेद है।

लेकिन अन्‍ना हजारे को इस पर आपत्ति है। उन्‍होंने कहा, 'यदि मसौदा समिति में किसी एक ड्राफ्ट पर सहमत नहीं बन सकती तो बैठक पर बैठक कर समय बर्बाद करने का क्‍या फायदा है। ज्‍वाइंट कमेटी का गठन करना सरकार की एक चाल है।'

कमजोर लोकपाल बिल पारित करने के खिलाफ केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए अन्‍ना ने कहा कि सिविल सोसायटी बिल के प्रावधानों में किसी तरह के बदलाव को स्‍वीकार नहीं करेगी। उन्‍होंने कहा कि मजबूत लोकपाल बिल के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी और यदि सरकार कमजोर लोकपाल बिल लाने की कोशिश करती है तो वह फिर से आंदोलन करेंगे।