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लोकलाज से महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार

महिला व बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओ को घरेलू हिंसा से निजात दिलाने के लिए चलाई जा रही योजना पूरी तरह से सिरे चढ़ती दिखाई नहीं दे रही है। कानून होने के बाद भी मेवात में सैकड़ों महिलाएं घरेलू हिसा की शिकार हो रही हैं। विभाग योजना के प्रचार-प्रसार के तहत महिलाओं को इस बारे में जागरूक करने का दावा कर रहा है, लेकिन पिछले एक साल में घरेलू ¨हंसा संबंधित आकड़े बताते है कि योजना में कुछ कमी है। क्योकि पिछले करीब दो वर्ष में योजना प्रॉटेक्शन आफिसर के पास कुल 175 मामले दर्ज हुए है, जिनमें से अधिकतर मारपीट के है। इन मामलों में से 115 मामलो को सुलझा भी दिया गया है। सुलझे मामलो में पति-पत्नी व घरवालों की रजामंदी बनी है। इस बारे में संबंधित अधिकारी का कहना है कि मेवात में अधिकतर महिलाएं अनपढ़ है। वे लोकलाज, रिश्ते टूटने व कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने से डरती है। इसलिए वे ऐसी योजना का फायदा नहीं उठा पाती है।

गौरतलब है कि जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं के उत्थान व उनकी सुरक्षा के लिए घरेलू ¨हंसा से निपटने के लिए योजना चलाई हुई है। योजना में विभाग की तरफ से एसपी आफिस में प्रॉटेक्शन आफिसर नियुक्त की गई है। जो महिलाओं को हक के प्रति जागरूक करती हैं और घरेलू ¨हसा से पीड़ित महिलाओं की मदद करती है। योजना के मुताबिक कोई भी पीड़ित महिला इस अधिकारी को शिकायत दे सकती है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्रॉटेक्शन अधिकारी शिकायत पर पति-पत्नी व घरवालों को समझाकर दो माह में इन लोगों मे आपसी सहमति बनाती है। सहमति नहीं बनती है तो अधिकारी महिला के मामले को कोर्ट में डालती है, जहा कोर्ट मामले पर कार्रवाई करता है। पीड़ित महिला की यह सहायता निशुल्क की जाती है। यहा यह सुविधा पिछले सवा साल से है। 175 पीड़ित महिलाओ ने यहा फरियाद लगाई है, जिसमें से 115 मामलों को सुलझा दिया गया है।

इस बारे में परियोजना अधिकारी चंचल डडवाल का मानना है कि अनपढ़ता, डर व कोर्ट-कचहरी से बचने के चक्कर में महिलाएं इस योजना का फायदा नहीं उठा पा रही है, जबकि विभाग की तरफ से विभाग की योजनाओं को लेकर कैंप लगाए जा रहे है तथा इन सब बातों में बारे में बताया जा रहा है। आगनबाड़ी व‌र्क्स को निर्देश दिए हुए हैं कि वे महिलाओं के इन बातों के बारे में बताए।