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वर्ष 2020 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य

नई दिल्ली। उच्च शिक्षा में छात्रों की नामांकन दर में वृद्धि को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को कहा कि 2020 तक शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करना और नामांकन दर को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की प्रतिबद्धता को अमलीजामा पहनाने के लिए एकजुटता से काम करने और भारी निवेश की जरूरत है।

इस उद्देश्य के लिए स्कोप के तत्वावधान में सार्वजनिक क्षेत्र की कपंनियों [पीएसयू] के साथ परिचर्चा के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि हमारे देश में 19.4 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं और उच्च शिक्षा का नामांकन दर महज 12.4 प्रतिशत है जबकि दुनिया के विकसित देशों में उच्च शिक्षा का नामांकन दर 40 प्रतिशत से कम नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर को 12.4 प्रतिशत से बढ़ा कर 2020 तक 30 प्रतिशत करने का है। इसके बावजूद 6.6 करोड़ छात्र ही कालेज स्तर में नामांकन करा पाएंगे।

सिब्बल ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में प्रति दस लाख में 4,500 छात्र शोध कार्य में संलग्न है और स्कैंडिनेवियाई देशों में यह संख्या 6,700 है, जबकि भारत में यह संख्या महज 156 है।

उन्होंने कहा कि अब हम इंतजार नहीं कर सकते। अगर लोग कहते हैं कि मैं जल्दबाजी में हूं तो मैं कहना चाहूंगा कि हां, मैं जल्दबाजी में हूं। अगर हमें वैश्विक स्तर पर अपने को तैयार करना है, तो हमें इस खाई को भरना ही होगा। हमें 2020 तक देश में शत प्रतिशत साक्षरता के दर को हासिल करना है।

सिब्बल ने कहा कि यह एक बड़ी चुनौती है। इसे अकेले नहीं किया जा सकता है। सरकार इसे अकेले नहीं कर सकती है। यह एक ऐसी चुनौती है जिसका मुकाबला सरकार, शिक्षा के सभी पक्षों, सामाजिक संगठनों, कारोबारी संस्थाओं, पीएसयू, एनजीओ को मिलकर करना है।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इसमें महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं क्योंकि उनके पास धन, प्रतिभा और भौतिक परिसंपत्ति हैं। इसका इस्तेमाल 'प्रौढ़ शिक्षा' के लक्ष्य को हासिल करने में किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस दिशा में वे एक पांच सदस्यीय दल का गठन करें और अपनी योजनाएं तैयार कर तीन महीने में मंत्रालय के समक्ष भेजें ताकि तेजी से आगे बढ़ा जा सके।

उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए सस्ती ऋण सुविधा प्रदान करने लिए 'शिक्षा वित्त निगम' के गठन का प्रयास कर रही है जिसके माध्यम से बैंकों को उनके ऋण की गारंटी मिल सकेगी और छात्रों को शिक्षा के लिए सस्ता सुलभ ऋण।

'साक्षर भारत' का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत सात करोड़ लोगों को इसके दायरे में लाने की योजना है जिसमें छह करोड़ महिलाएं होंगी। इन छह करोड़ महिलाओं में 2.2 करोड़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से होंगी।