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वादा किया है तो देंगे बेरोजगारी भत्ता: अखिलेश( अंबरीश कुमार की रिपोर्ट)

लखनऊ, 15 मार्च। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव जब समाजवादी क्रांति रथ लेकर निकले, तो सबसे ज्यादा भीड़ नौजवानों की उमड़ी थी। यह वह भीड़ थी, जिसे लेकर हर दल का अलग अलग आकलन था पर नतीजों ने बताया कि नौजवान अखिलेश यादव के साथ थे। पर गुरुवार से सत्ता संभालने जा रहे अखिलेश की प्राथमिकता में भी यही नौजवान हैं। उन्होंने बुधवार को यहां कहा कि राज्य में बेरोजगार नौजवान काफी हैं पर इतनी बड़ी संख्या में होंगे, यह उम्मीद नहीं थी। रोजगार दफ्तरों पर पंजीकरण करने वालों की भीड़ उमड़ी है। पर हमने घोषणापत्र में जो वादा किया है, वह पूरा किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दो वादे ऐसे किए जो जंगल में आग की तरह फैल गए और राजनीतिक दलों को अपना एजंडा बदलना पड़ा। इनमे एक वादा बेरोजगारी भत्ता का था तो दूसरा छात्रों को लैपटाप देने का।
पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है-सभी सरकारी सेवाओं में भर्ती की उम्र 35 साल होगी और 35 साल पूरा कर चुके जवान लेकिन बेरोजगार नौजवान के लिए बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था होगी, जो 12 हजार रुपए सालाना होगी। दूसरा वादा लैपटाप का था, जो बारहवी पास छात्र के लिए था। जबकि हाई स्कूल पास छात्र के लिए टैबलेट की बात कही गई थी। यह पूछने पर कि इतनी बड़ी संख्या में लैपटाप, टैबलेट और बेरोजगारी भत्ता देना क्या संभव होगा। इस पर अखिलेश यादव ने जनसत्ता से कहा, जब पत्थरों पर हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं तो नई पीढी का भविष्य बनना हो तो उस पर क्यों नहीं। हमने जो वादा किया है, उसे पूरा करने का हर संभव प्रयास होगा। 
चुनाव में जो समर्थन मिला, उसकी मुख्य वजह क्या रही? इस पर जवाब था, हमारा साढ़े चार साल का संघर्ष और लोगों का भरोसा कि सिर्फ हम ही सत्ता को बदल सकते हैं। हमने लगातार संघर्ष किया। हमारे कार्यकर्ताओं को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। आंदोलनों के दौरान पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की और बड़ी संख्या में हमारे कार्यकर्ता जेल भेज दिए गए। इस संघर्ष के कारण ही आम नौजवान हमारी साथ खड़ा होता गया।
समाजवादी धारा से कैसे प्रभावित हुए? इस पर अखिलेश का जवाब था-बचपन से जो माहौल मिला, उसका असर पड़ा और फिर जनेश्वर मिश्र ने प्रेरित किया। नेताजी ने मेरी मुलाकात जब उनसे कराई, तो उन्होंने तभी कह दिया था कि मैं राजनीति ही करूंगा। फिर लोहिया को पढ़ा और उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं लोकसभा में लोहिया के क्षेत्र से चुना गया था।
दूसरा बड़ा सौभाग्य यह था कि जब पहली बार 1999 में कन्नौज से चुनाव लड़ा, तो खुद जनेश्वर मिश्र मेरा नामांकन कराने आए थे। राजनीति का क ख तो मैंने तभी उन्हीं से सीखा। उन्हें देख कर न सिर्फ बोलना सीखा बल्कि बहुत कुछ ऐसा भी सीखा जो राजनीति में आज भी बहुत काम आता है। समाजवाद क्या होता है, सही मायनों में उनसे ही सीखा। जब पहली बार क्रांति रथ लेकर उत्तर प्रदेश के दौरे पर निकला तो जनेश्वर मिश्र ने ही हरी झंडी दी थी। 
अखिलेश यादव उन लोगों में से हैं, जो आज भी लाल टोपी पहनते हैं और लोहिया का नारा देते हैं। किसी कांग्रेसी के सर पर कभी भी गांधी टोपी नजर नहीं आएगी पर अखिलेश यादव समाजवादी चोले में उस पार्टी को लैपटाप तक पहुंचा चुके हैं, जिसकी पहचान कुछ साल पहले तक लाठी से हुआ करती थी। 
अखिलेश यादव ने उद्योगपतियों को राज्य में कानून व्यवस्था की अनुकूल स्थिति और राज्य के नागरिकों को सभी चुनावी वायदे पूरे करने का भरोसा दिलाया। यादव ने कहा हम राज्य को खुशहाली के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और समाजवादी पार्टी की नई सरकार राज्य को प्रगति के पथ पर ले जानेवाले निर्णय लेने में हिचकेगी नहीं।
उन्होंने कहा-मुख्यमंत्री का पद शासन-सत्ता के लिए नहीं है बल्कि जनता की सेवा करने का अवसर है और इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाऊंगा। अखिलेश ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी की उनकी सरकार में नए और अनुभवी दोनों ही लोगों का तालमेल होगा। मंत्रिमंडल छोटा होगा और इसमें हर वर्ग का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने कहा कि बेकारी भत्ता देने का वायदा जरूर पूरा किया जाएगा।