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वित्‍त मंत्री जेटली ने माना, नोटबंदी से कम हुआ देश का इंडस्‍ट्रीयल प्रॉडक्‍शन

नई दिल्ली। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने माना कि नवंबर व दिसंबर के आंकड़ों को मौजूदा साल के औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति का मानक नहीं मान सकते, क्योंकि ये दोनों माह नोटबंदी के रहे हैं। दिसंबर में पुराने प्रतिबंधित नोटों के नहीं चलने से स्थिति और बिगड़ी। हमें लगता है कि अगले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था के विस्तार के और सटीक आंकड़े सामने आएंगे।

 

देश के उद्योग धंधों की स्थिति इस पूरे वित्त वर्ष के दौरान कोई खास नहीं रही है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी ने घरेलू उद्योग धंधों व कल-कारखानों को और चपत लगा गई है। दिसंबर, 2016 के महीने में देश के उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर शून्य से 0.4 फीसद नीचे रही है। यह इसका चार माह का निचला स्तर है।

 

हालात यह है कि वित्त वर्ष के नौ महीने के चार महीने में औद्योगिक उत्पादन दर शून्य से नीचे रही है। ऐसे में अगर नोटबंदी की मार औद्योगिक उत्पादन पर पड़ने और बड़ी संख्या में नौकरियां जाने की खबरें आ रही हैं या इस तरह के आरोप विपक्ष लगा रहा है तो वह पूरी तरह से आधारहीन नहीं लगता।

 

नोटबंदी से औद्योगिक उत्पादन किस तरह से प्रभावित हुआ है, इसे समझने के लिए शुक्रवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के कुछ हिस्से को देखना होगा।

 

नवंबर, 2016 में औद्योगिक उत्पादन (आइआइपी) में 5.7 फीसद की अच्छी वृद्धि हुई तो माना गया कि नोटबंदी का उतना असर नहीं हुआ, लेकिन दिसंबर के आंकड़ों ने स्थिति को साफ कर दी। पूरे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर दो फीसद की गिरावट हुई है। दिसंबर, 2015 में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का उत्पादन 1.9 फीसद घटा था।

 

वैसे, इस चालू वित्त वर्ष के दौरान इससे ज्यादा खराब प्रदर्शन मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में नहीं हुआ है। अगस्त, 2016 में मैन्यूफैक्चरिंग में 0.7 की गिरावट दर्ज की गई थी।

 

इसके बाद टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसे घरेलू उपभोक्ता उपकरण बनाने वाले उद्योग की स्थिति देखें तो दिसंबर में इसका उत्पादन 10.3 फीसद घटा है। माना जा रहा है कि कंपनियों ने नोटबंदी के बाद भविष्य में मांग में कमी की संभावना को देखते हुए उत्पादन स्थगित कर दिया है।

 

बीते साल नवंबर में इस उद्योग में 16.6 फीसद की जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की गई थी। अगर सभी उपभोक्ता सामान उद्योग की स्थिति देखें तो इसमें 6.8 फीसद की गिरावट आई है। कहने की जरूरत नहीं कि उपभोग के आधार पर विभाजित 22 उद्योगों में से 17 में नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की गई है।