Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/विस्थापन-से-आई-गांव-में-खुशहाली-सचिन-शर्मा-3193.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | विस्थापन से आई गांव में खुशहाली!-- सचिन शर्मा | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

विस्थापन से आई गांव में खुशहाली!-- सचिन शर्मा

सेमरी(होशंगाबाद). विस्थापित होने के दंश की कई कथाएं जनता के सामने आती रहती हैं लेकिन 2009 में विस्थापित हुए वन ग्राम बोरी के कोरकू आदिवासियों के जीवन को देखकर यह बात कोई नहीं कह सकता। वन ग्रामों के लिए बनी केंद्र की नई विस्थापन नीति के तहत बोरी ग्राम के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को दस लाख रुपए का पैकेज मिला है।

कई जगह तो यह स्थिति है कि एक ही घर में पचास लाख रुपए के पैकेज मिले हैं। इस पैकेज के तहत मकान बनाने के लिए ढाई लाख रुपए और पांच एकड़ जमीन दी गई है। गांव की इस संपन्नता को देखकर अन्य वन ग्रामों के आदिवासी भी विस्थापन के लिए राजी हो गए हैं।

बोरी गांव पहले मुख्य सड़क से 86 किमी दूर था। वहां लोगों की आर्थिक हालत बहुत बदतर थी। गांव के कई लोग इलाज के लिए अस्पताल लाते समय रास्ते में ही दम तोड़ चुके थे। बाजार से खरीदारी करने के लिए इन आदिवासियों को गांव से 40 किमी दूर पैदल रामपुर आना पड़ता था। लेकिन अब गांव का पूरा माहौल बदला हुआ है। इसे सेमरी से 5 किमी दूर शिफ्ट किया गया है। पक्की सड़क बनाई गई है। पहले इस गांव में जहां कोई मोटरसाइकिल नहीं थी वहीं अब 18 मोटरसाइकिल हैं।

बिजली है,पक्के मकान हैं,22 टेलीविजन हैं और 25 ट्यूबवैल हैं। ग्राम का रकबा भी पहले के 116 हेक्टेयर के मुकाबले 246 हेक्टेयर हो गया है। कईयों के हाथ में मोबाइल दिखते हैं। यहां रहने वाली 60 वर्षीय बसंती बाई और उसके चार लड़कों को 25 एकड़ जमीन और मकान बनाने के लिए साढ़े बारह लाख रु.मिले हैं। पहले इन सभी के पास कुल मिलाकर पांच एकड़ जमीन भी नहीं थी।

पक्के मकान के सामने बैठी बसंती बाई अपनी संपन्नता पर आज भी आश्चर्यचकित हैं।

बोरी को देखकर कई गांव ललचाए

पूर्व में विस्थापन का जोरदार विरोध करने वाले कई वन ग्रामों के ग्रामीण बोरी की बदली सूरत को देखने के बाद अब नरम पड़ चुके हैं। वहां की संपन्नता उन्हें लुभा रही है। वन विभाग ने भी उनके मन की बात ताड़कर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के सभी वन ग्रामों को बोरी का भ्रमण करा दिया।

साकोट और खकरापुरा के कई आदिवासी अब अपने पक्के मकानों के सपने देख रहे हैं। दूसरे बड़े गांव चूरणा और कांकड़ी भी विस्थापित होने के लिए सहर्ष तैयार हैं। साकोट की शांतिबाई उइके के घर में आठ लोगों को विस्थापन पैकेज मिलेगा। उनके चार बेटे,तीन बेटियां हैं। इस तरह से अकेले उनके घर में ही 80 लाख रु.का पैकेज आएगा।

उधर धाईं की हालत खस्ता

बोरी से दो किमी दूर 2005 में विस्थापित हुए वन ग्राम धाईं की हालत खस्ता है। यहां के ग्रामीण एक लाख के पैकेज में विस्थापित हुए थे। इसके बाद केंद्र की नीति में बदलाव आया। धाईं भी सेमरी के नजदीक है। यहां के रहवासी कच्चे मकान और कच्ची सड़क से जूझ रहे हैं।

गांव का मिसरा बताता है कि हमारे लिए बोरी वाले रईस हैं। उनके पक्के मकान हैं जबकि उन्हें मकान के लिए सिर्फ 36 हजार रुपए मिले थे। मनोहर को शिकायत है कि उन्हें खेत भी उस तरह से बनाकर नहीं दिए गए जैसे बोरी वालों को मिले हैं।