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वेदांता को एक और झटका

नई दिल्ली। नियामगिरी हिल्स में बॉक्साइट खनन की योजना को मंजूरी नहीं देने के कुछ दिन बाद ही वेदांता रिसोर्सेज को सरकार ने एक और झटका दे दिया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने हरित नियमों की वजह से कंपनी की उड़ीसा की एल्युमिना रिफाइनरी की 5. 8 अरब डालर की विस्तार योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।

लंदन में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेज का इरादा कालाहांडी जिले के लांजीगढ़ में अपनी रिफाइनरी की क्षमता को सालाना 10 लाख टन से बढ़ाकर 60 लाख टन करने का था।

मंत्रालय की ओर से कंपनी को भेजे गए आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि संबंधित स्थल पर आपको यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है। विस्तार परियोजना के तहत आगे और निर्माण गतिविधियां नहीं की जा सकती हैं।

यही नहीं मंत्रालय ने उड़ीसा सरकार से कहा है कि वह पर्यावरण प्रभाव आकलन [ईआईए] अधिसूचना की अवहेलना के लिए कंपनी के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करे।

इससे पहले एन सी सक्सेना समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वेदांता एल्युमीनियम लि. ने रिफाइनरी के लिए विस्तार गतिविधियों को बिना पूर्व मंजूरी के शुरू किया है। इसके आधार पर ही मंत्रालय ने यह कार्रवाई की है।

कंपनी को इसी स्थल पर अपने कैप्टिव ऊर्जा संयंत्र की क्षमता बढ़ाने की भी मंजूरी नहीं दी गई है। दो माह पहले मंत्रालय ने वेदांता एल्युमीनियम के उड़ीसा के नियामगिरी हिल्स में बॉक्साइट खनन की योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

क्षेत्र के आदिवासियों ने कंपनी की खनन योजना का विरोध किया था। इसके बाद कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने भी यह मामला उठाया था।

इस बीच, कंपनी की विस्तार योजना के खिलाफ और कड़े कदम उठाते हुए मंत्रालय ने वेदांता से सख्ती से प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करने को कहा है।

आदेश में कहा गया है कि कंपनी अपने दस लाख टन क्षमता की रिफाइनरी का परिचालन जारी रख सकती है, बशर्ते वह संयंत्र के आसपास अनिवार्य वनक्षेत्र के नियमन को पूरी करती हो।

साथ ही कंपनी से कहा गया है कि वह प्रदूषण स्तर पर निगरानी रखे तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास दो करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा कराए।