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शिक्षक नहीं लिख सका गाय पर निबंध

श्रीनगर। बेशक वह गाय पर निबंध की दस पंक्तियां नहीं लिख पाया और न चौथी कक्षा के गणित के सवाल हल कर पाया, लेकिन उसने भरी अदालत में राज्य में आरईटी शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले और चहेतावाद की पोल जरूर खोल दी।

अदालत ने भी इसका कड़ा संज्ञान लिया और राज्य सरकार को एक समिति के गठन का निर्देश देते हुए कहा कि यह उन सभी शिक्षकों का स्क्रीनिंग टेस्ट ले जो राज्य व देश के विभिन्न हिस्सों में गतिशील स्टडी सेंटरों व तथाकथित विश्र्वविद्यालयों से डिग्री हासिल कर रहबर-ए-तालीम योजना के तहत राज्य के विभिन्न स्कूलों में अध्यापक नियुक्त हुए हैं।

परीक्षा में विफल सभी अध्यापकों को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर उनके व उन्हें डिग्रियां बांटने वाली संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट के जस्टिस मुजफफर हुसैन अत्तर ने इस आशय का आदेश शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड इलाके में रहबर-ए-तालीम के तहत हुई एक नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान तब जारी किया जब एक अभ्यर्थी जिसने मैट्रिक की परीक्षा में उर्दू में 74 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, लेकिन अदालत में सबके सामने गाय पर निबंध नहीं लिख पाया।

फैसल खान नामक एक युवक ने अपने वकील साकिब अमीन पर्रे के जरिए अदालत में एक याचिका दायर कर काजीगुंड के पास मिडल स्कूल सयालू कुरीगाम में मोहम्मद इमरान खान नामक एक युवक की रहबर-ए-तालीम के तहत अध्यापक नियुक्ति को चुनौती दी।

उसने दावा किया था कि इमरान ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, वह संदिग्ध हैं। इमरान ने अपनी योग्यता साबित करने के लिए बोर्ड ऑफ हायर सैकेंडरी एजूकेशन नई दिल्ली और ग्लोबल ओपन यूनीवर्सिटी नागालैंड द्वारा जारी डिप्लोमा व डिग्री पेश की थी।

बोर्ड ऑफ हायर सैकेंडरी एजूकेशन नई दिल्ली द्वारा जारी प्रमाणपत्रों के मुताबिक इमरान ने दसवीं में उर्दू, अंग्रेजी और गणित में क्रमशः 74,73 व 66 अंक हासिल किए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने इमरान खान को निजी तौर पर तलब किया था।

राज्य हाईकोर्ट में जस्टिस मुजफफर हुसैन अत्तर की अदालत में इस मामले की शुक्रवार को सुनवाई हुई। बहस के दौरान अदालत ने इमरान खान को अंग्रेजी के एक वाक्य का उर्दू में और उर्दू के एक वाक्य को अंग्रेजी मे अनुवाद करने को कहा, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया।

इसके बाद अदालत ने उसे गाय पर उर्दू और अंग्रेजी में एक निबंध लिखने को कहा। लेकिन वह नहीं लिख सका और भरी अदालत में कहा कि यहां भीड़ है, इसलिए नहीं लिख पा रहा हूं। मुझे बाहर जाकर लिखने की इजाजत मांगी। उसका यह आग्रह भी स्वीकार किया गया।

बाहर आकर उसने कहा कि मुझे उर्दू और अंग्रेजी में लिखना नहीं आता। लेकिन आप गणित के बारे में पूछ सकते हैं। उसकी यह बात सुनकर माननीय न्यायाधीश ने एडवोकेट आरिफा जान को कहा कि वह इमरान से चौथी कक्षा के गणित के कुछ सवाल पूछे। लेकिन इमरान ने किसी भी सवाल का सही जवाब नहीं दिया।

न्यायाधीश ने स्कूल शिक्षा निदेशक कश्मीर को निर्देश दिया कि वह इस मामले की जांच पुलिस को सौंपे ताकि वह दोषी अभ्यर्थी व उसे डिग्रियां प्रदान करने वाले संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सके।