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शिक्षा ढांचे में सुधार की जरूरत : प्रो. अम‌र्त्य सेन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : देश की शिक्षा में गुणवत्ता का अभाव है। इसमें सुधार की सख्त जरूरत है। चीन, कोरिया, इंग्लैंड की तर्ज पर भारत में भी तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। रोजगारपरक शिक्षा मिलने से देश के युवा सही दिशा में अग्रसर हो सकेंगे। यह विचार इंडिया हैबिटेट सेंटर में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. अम‌र्त्य सेन ने व्यक्त किए। प्रो. सेन को राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (नूपा) के विशेष दीक्षांत समारोह में 'साहित्य वारिधि' की मानद उपाधि प्रदान की गई।

प्रो. सेन ने 'भारतीय शिक्षा व्यवस्था' विषय पर कहा कि बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए बड़ी संख्या में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने की जरूरत है। शिक्षा से जहां जागरूकता आएगी, वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से मानव संसाधन दीर्घायु होगा। उन्होंने बिहार और पश्चिमी बंगाल में महिलाओं की साक्षरता दर कम होने पर चिंता जतायी। प्रो. सेन ने कहा कि भारत में महिलाओं का पिछड़ा होना चिंता का विषय है। अपने यहां शैक्षिक परिणामों में महिलाएं अग्रणी नजर आती हैं। इससे पता चलता है कि उनमें प्रतिभा की कमी नहीं है। कमी है तो अवसर की उपलब्ध की।

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने कहा कि शिक्षा के साथ बेहतर रोजगार नीति का होना जरूरी है। जिस तरह चीन, इंग्लैंड और कोरिया सोफ्टवेयर, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षित युवाओं के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध कराते हैं। वैसे अवसर भारत में भी मिलने चाहिए। स्कूली शिक्षा के दौरान ही छात्रों में व्यापार तकनीक की दक्षता विकसित की जानी चाहिए।

समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री और नूपा के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने भी स्वीकार किया कि भारत में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में हम लक्ष्य तक नहीं पहुंचे हैं।

बिहार में एक कक्षा में सौ विद्यार्थियों में से 60 छात्राएं हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला शिक्षक एक ही है। लड़कियों को पढ़ाने वालों की कमी है। सिब्बल ने योजनाओं की कमजोरियों को स्वीकारते हुए कहा कि हम मांग के अनुरूप पूर्ति करने में समर्थ दिखाई नहीं पड़ते। इसके अलावा ढांचागत विकास की चुनौतियां भी हैं। हमने देश के बच्चों को संवैधानिक रूप से अनुच्छेद 21 'ए' में शिक्षा का अधिकार दिया है, लेकिन सवाल यह है कि उन्हें शिक्षित करने के लिए हम क्या तकनीक अपना रहे हैं? आगामी दो वर्षो में हम ब्रॉडबैंड और अन्य ई-कनेक्टिविटी सेवाओं के माध्यम से शिक्षा के प्रसार को बढ़ाने जा रहे हैं। बाजार में किताबों की कमी है, तकनीक के माध्यम से हम ज्ञान के सारे दरवाजे खोल देंगे। जिसमें फैकल्टी की कमी को भी दूर किया जाएगा। इससे लोग घर बैठे शिक्षित होंगे, लेकिन बिना धन के यह संभव नहीं है। इस चुनौती से आगामी दो वर्षो में हम सोसायटी, पंचायत, टीम प्रबंधक और इंटरलिंकिंग व्यवस्था के माध्यम से निबटेंगे।

इस अवसर पर नूपा के कुलाधिपति डॉ. केके चक्रवर्ती, कुलपति प्रो. आर गोविंदा और रजिस्ट्रार डॉ. बिनोद कुमार सिंह मौजूद थे।