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शैक्षणिक स्तर नहीं सुधरा तो जिम्मेदार शिक्षकों पर गिरेगी गाज

जोधपुर.पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों का शैक्षणिक स्तर सुधारने और उनकी कमियों को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग व सर्व शिक्षा अभियान द्वारा जिले की 520 सरकारी स्कूलों में किए गए आकस्मिक निरीक्षण के बाद भी बच्चों के पढ़ाई के स्तर में कोई सुधार नहीं आया है। अब तीसरे चरण में अगर इन बच्चों में कोई इंप्रूवमेंट नजर नहीं आया तो नोटिस देकर दोषी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


शिक्षा विभाग ने 4 से 7 दिसंबर तक शिक्षा संबलन अभियान के दूसरे चरण में 316 राजकीय स्कूलों की जांच की। इस दौरान 90 फीसदी स्कूलों के बच्चे अंग्रेजी और गणित विषय में कमजोर पाए गए। वहीं दो माह पूर्व पहले चरण में 204 स्कूलों की जांच की गई। इसी प्रकार तीसरा चरण मार्च माह में होगा। इस दौरान प्रथम व द्वितीय चरण में जांची गई स्कूलों की दुबारा जांच होगी। कहीं पर बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार नहीं आया तो संबंधित स्कूलों के शिक्षकों पर गाज गिरेगी।


नहीं कर सकते कार्रवाई


जिले की 520 स्कूलों का कलेक्टर ने भी निरीक्षण किया। उनको भी स्कूलों में अनियमितता मिली, लेकिन इस अभियान की सबसे बड़ी खामी ही यही रही कि इस अभियान में किसी भी टीचर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती। ऐसे में सभी टीचर इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि कार्रवाई होगी नहीं और निरीक्षण का कोई मतलब नहीं।


तीसरे चरण तक मोहलत


एसएसए के एडीपीसी धनराज व्यास ने बताया कि जो स्कूलें प्रथम चरण में जांची गईं, उनकी तीसरे चरण में जांच होगी और जो दूसरे चरण में जांची गईं। उनकी जांच चौथे चरण में होगी। इस दौरान जहां पर सुधार नजर नहीं आएंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।


जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक गोविंद सिंह खंगारोत ने बताया कि हम शिक्षा का स्तर सुधारने के प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल तो सभी को सुझाव दिए गए, लेकिन भविष्य में भी यही हाल रहा तो संबंधित शिक्षक के खिलाफ नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।

कब कितनी स्कूलों का निरीक्षण 


प्रथम चरण में शहरी क्षेत्र की 27 व ग्रामीण इलाके की 177, द्वितीय चरण में नगरीय क्षेत्र की 38 व ग्रामीण एरिया की 278 स्कूलों का निरीक्षण किया गया। इसमें कलेक्टर से लेकर शिक्षा विभाग व सर्व शिक्षा अभियान के राजपत्रित अधिकारी भी शामिल थे।


...तो बच्चे क्यों नहीं दे पाते जवाब


शिक्षा विभाग या पंचायतराज विभाग में एक शिक्षक उच्च शिक्षा प्राप्त होता है। वह पहले बीएड करता है। फिर टेट क्लियर करता है। इसके बाद आरपीएससी की परीक्षा में सफल होता है। तब कहीं जाकर उसे सरकारी शिक्षक की नौकरी मिलती है। हैरानी की बात यह है कि इतनी प्रतियोगी परीक्षाएं देने के बावजूद इन शिक्षकों द्वारा पढ़ाएं जाने वाले बच्चे अंग्रेजी में ए और गिनती का पहला अक्षर एक लिखना और बोलना नहीं जानते।


बच्चे नहीं लिख सके अंग्रेजी का एक अक्षर


एसएसए के एडीपीसी धनराज व्यास ने शुक्रवार को राजकीय प्राथमिक विद्यालय मानपुरा, राजकीय प्राथमिक विद्यालय सूरज बासनी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बड़ली तथा राजकीय प्राथमिक विद्यालय गंगाणी का निरीक्षण कर बच्चों से ब्लैक बोर्ड पर ए, बी, सी, डी लिखने को कहा, लेकिन कोई भी बच्चा बोर्ड पर अंग्रेजी का पहला अक्षर ए भी नहीं लिख सका। इस पर एडीपीसी व्यास ने स्कूल स्टाफ को सुधार के सुझाव दिए और भविष्य में ऐसा नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

 

इसी प्रकार उपनिदेशक बद्रीनारायण दायमा ने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कांकाणी का दौरा किया। यहां पर इन्होंने दूसरी व चौथी कक्षा के बच्चों की गणित विषय की क्लास ली, लेकिन बच्चे जोड़, बाकी, गुणा और भाग सहित गिनती तक पढ़ और लिख नहीं सके। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई और शिक्षकों को सुधार के निर्देश दिए। इसी तरह अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लूणी घनश्याम सोलंकी ने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय राजौर की ढाणी का निरीक्षण किया।

 

यहां पर उन्होंने दूसरी, चौथी और सातवीं कक्षा के बच्चों की क्लास लेकर गणित के सवाल पूछे, लेकिन बच्चे जवाब नहीं दे सके। वहीं अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लूणी नीरू गांधी ने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लूणी (छात्र) की जांच कर बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्लास ली, लेकिन बच्चे उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दे सके।