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सांभर झील संरक्षण: तीन महीने के भीतर कोर व बफर क्षेत्रों को परिभाषित करने का निर्देश

डाउन टू अर्थ, 20 नवम्बर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल बेंच ने नौ नवंबर 2023 को सांभर झील के संरक्षण के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं। सांभर झील को मार्च 1990 में रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया जा चुका है। गौरतलब है कि रामसर स्थल वो आद्रभूमियां हैं, जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व है।

एनजीटी ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उनके तहत राजस्थान पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य/प्रमुख सचिव को तीन महीने के भीतर सांभर झील का सीमांकन करने के साथ इसके कोर और बफर क्षेत्रों को परिभाषित करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य/प्रमुख सचिव के साथ-साथ नागौर, अजमेर और जयपुर जिलों के कलेक्टरों को सौंपे गए कार्य को समय पर पूरा करने के लिए पर्यावरण विभाग के साथ सहयोग और समन्वय करने का भी निर्देश दिया है।

कोर्ट ने राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण को संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर सांभर झील के लिए एकीकृत पर्यावरण प्रबंधन योजना (आईईएमपी) को अंतिम रूप देने का भी निर्देश दिया है। उन्हें एक महीने के भीतर इस योजना को मंजूरी के लिए राष्ट्रीय वेटलैंड समिति को प्रस्तुत करना आवश्यक है।

आईईएमपी में आर्द्रभूमि के निकट एक 'हाइड्रोबायोलॉजिकल मॉनिटरिंग स्टेशन' स्थापित करने का प्रस्ताव शामिल होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) को आर्द्रभूमि में छोड़े जा रहे दूषित पानी को रोकने का काम सौंपा गया है। वो दोषी पाए जाने पर किसी भी स्थानीय निकाय, व्यक्ति या औद्योगिक इकाई के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकता है।

एनजीटी ने सांभर झील वेटलैंड साइट की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। यह समिति झील से पानी के अवैध दोहन के साथ व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा अवैध रूप से लगाए जा रहे बोरवेल और वेटलैंड नियम, 2017 के होते उल्लंघन पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। इस समिति का काम सांभर झील की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों की पहचान करना और उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को चिह्नित करना है।
पूरी रपट- डाउन टू अर्थ