Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/संकट-में-अन्नदाता-2688.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | संकट में अन्नदाता | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

संकट में अन्नदाता

भोपाल. वे कभी गांव के जमींदार थे, अच्छा खासा रसूख था। सुखी परिवार था, मिल जुलकर रहते थे, लेकिन आज हालात बदले हुए हैं। अब न ही रुतबा है, न ही जमीन और न ही जिंदगी बसर करने के लिए पैसे। ये कहानी है, भोपाल से सटे गांव पुरा छिंदवाड़ा के किसानों की।

भोपाल जिले में हाल ही में उजागर हुए हजार एकड़ जमीन के घोटाले में कई किसान धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। जमीन तो चली ही गई, अब इन किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। रामनारायण देशवाली ऐसे ही एक किसान हैं। नरसिंहगढ़ रोड से सात किमी अंदर इस गांव में पहुंचे संवाददाता को देशवाली की हालत समझते देर नहीं लगी।

रामनारायण ने बताया कि उनके छोटे भाई बद्रीप्रसाद और बेटे जुगलकिशोर ने 12-12 एकड़ जमीन पर 80-80 हजार रुपए का लोन भूमि विकास बैंक से लिया था। लगभग पूरा लोन चुका भी दिया, लेकिन बाद में बैंक अधिकारियों यह कहकर कि रसीदें फर्जी हैं।

पूरी जमीन को नीलाम करवा दिया। इस गम में पिछले साल जुगलकिशोर की मौत हो गई। भाई बद्रीप्रसाद की तो जमीन भी नहीं बच पाई। जिस गांव के जमींदार थे, अब भला वहां मजदूरी कैसे करें। यह सोचकर बद्रीप्रसाद विदिशा जिले के नामखेर गांव में बस गए।

इसी गांव के हेमराज ने महज दो हजार रुपए कर्ज लिए थे। इतने छोटे से कर्ज में ही उनकी पांच एकड़ जमीन नीलाम हो गई। हेमराज नेबताया कि भौंरी के समीप मीरपुर में उसके पास पांच एकड़ जमीन थी। उसने बैंक से 12 हजार रुपए के लोन के लिए आवेदन दिया था। दो हजार रुपए की पहली किस्त मिली, उसके बाद उसका लोन निरस्त हो गया।

किसी जगदीश कुमार नाम के व्यक्ति ने नीलामी में उसकी जमीन खरीद ली। नीलामी कब हुई, जमीन कितने में बिकी, रजिस्ट्री और नामांतरण का क्या हुआ, उसे कुछ नहीं मालूम। दैनिक भास्कर के पास मौजूद सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार यह जमीन 30 मई 2003 को 25 हजार रुपए में बिकी, जबकि उस समय कलेक्टर दर के हिसाब से इसका मूल्य करीब ढाई लाख रुपए था। आज जमीन का बाजार भाव करीब ढाई करोड़ रुपए है।

लगभग यही कहानी उन सभी डेढ़ सौ किसानों की है, जिनकी जमीनों की नीलामी का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। ये किसान न नियम जानते हैं, न प्रकिया। इन्होंने भी सुना है कि जिन अधिकारियों ने उनकी जमीन नीलाम करवाई है, वे सभी सस्पेंड हो गए हैं। लेकिन उनकी पथराई आंखों में एक ही सवाल है - निलंबन से क्या होगा, क्या हमारी जमीन वापस मिलेगी? मिलेगी भी तो कब? उधर, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पहल के बाद जिला प्रशासन ने इस बारे में कार्रवाई शुरू कर दी है। रजिस्ट्री और नामांतरण निरस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगले एक पखवाड़े में कुछ ठोस पहल होगी।

कैसे ठगे गए किसान

किसानों ने भूमि विकास बैंक से लिया था लोन, बैंक अधिकारियों ने गैर-कानूनी ढंग से औने-पौने दामों में बेच दी जमीन, सीएम ने नौ अधिकारियों को किया सस्पेंड

- कुल जमीन :1,600 एकड़ (लगभग)
- कीमत : 5 से 10 लाख रुपए एकड़
- कुल लोन: 50 लाख (लगभग)
- जून 2007 में हुई पहली शिकायत
- सितंबर 2010 में लोकायुक्त में दर्ज हुआ पहला प्रकरण

उद्योगों के लिए उपजाऊ जमीन की बलि

प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए लगता है किसानों को ही बलि देनी होगी। उद्योगों के विकास के लिए उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण संबंधी आंकड़े तो इसी तरफ इशारा करते हैं। राज्य सरकार ने बीते कुछ सालों में ही हजारों हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अपने कब्जे में ले ली है, ताकि उसे उद्योगों के लिए दिया जा सके।

प्रदेश में औद्योगिक विकास के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीन को हथियाने का दुष्चक्र लंबे अर्से से रचा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि किसान की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उपजाऊ जमीन को हथियाती जा रही है।

अगर उद्योग संचालनालय के लैंड बैंक पर नजर डाली जाए तो करीब 21 हजार हेक्टेयर भूमि ऐसी है जो अन्न उपजा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार इस जमीन पर करीब साढ़े छह लाख क्विंटल गेहूं अथवा सवा तीन लाख क्विंटल सोयाबीन पैदा हो सकता है।

विभिन्न बांध और बिजली परियोजनाएं भी किसानों की आय के एकमात्र संसाधन पर डाके डाले हुए हैं। इन योजनाओं के लिए सरकार ने एक लाख 63 हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। भाजपा शासित प्रदेश सरकार भी कृषि भूमि के अधिग्रहण में लगातार लिप्त है, लेकिन पार्टी उसका बचाव करने के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराती है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 1864 का संशोधन विधेयक लंबे समय से ठंडे बस्ते में डाले हुए है। इसी से समस्याएं पैदा हो रही हैं। ऐसा वह कारपोरेट घरानों के हित साधने के लिए कर रही है।

हम जमीन अधिग्रहण कानून के तहत ही भूमि का अधिग्रहण करते हैं। इसके लिए नियम बने हुए हैं। अमूमन हम इस बात की कोशिश करते हैं कि सरकारी जमीन ही अधिग्रहित की जाए। किसानों से हम कम ही उपजाऊ जमीन अधिग्रहित करने की कोशिश करते हैं।

- सत्यप्रकाश, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग

बांधों के लिए अधिग्रहीत भूमि

बांध का नाम कृषि भूमि वन भूमि
सरदार सरोवर 7883 2731
इंदिरा सागर 44741 40332
ओंकारेश्वर 3520 5277
रानी अवंतिबाई सागर 14872 8478