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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, गरीबी को मात देने में झारखंड नंबर वन

रांची : भारत ने गरीबी से जंग में काफी प्रगति कर ली है, इसका खुलासा संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि गरीबी को मात देने में झारखंड नंबर वन पोजीशन पर है. झारखंड में गरीबी से मुक्ति के लिए उल्लेखनीय काम हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में विकास हुआ है जिसकी वजह से गरीबी कम हुई है. इस दौरान खाना पकाने का ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में मजबूत सुधार के साथ विभिन्न स्तरों पर यानी बहुआयामी गरीबी सूचकांक मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट आयी है.

भारत में तेजी से खत्म हो रही है गरीबी

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और आक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआई) ने मिलकर यह तैयार किया है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) ने यह रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में 101 देशों में 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया. इसमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और दो उच्च आय वाले देश शामिल थे . इस रिपोर्ट में गरीबी का आकलन सिर्फ आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर हुआ है. इसमें करीब दो अरब आबादी के साथ 10 देशों को चिन्हित किया गया था. इनमें बांग्लादेश, कम्बोडिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, हैती, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम हैं. इन देशों में लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं. भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ लोग, जबकि बांग्लादेश में 2004 से 2014 के बीच 1.90 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं.


गरीबी से मुक्ति में झारखंड नंबर वन

भारत के चार राज्य जिनमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बेहतर सुधार झारखंड में बताया गया है. झारखंड राज्य ने गरीबी खत्म करने में सबसे अधिक सफलता प्राप्त की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी से जंग में झारखंड ने काफी मेहनत की है. यहां विभिन्न स्तरों पर गरीबी 2005-06 में 74.9 प्रतिशत से कम होकर 2015-16 में 46.5 प्रतिशत हो गयी. इसमें संकेतकों पोषण, स्वच्छता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, बिजली, स्कूल में उपस्थिति, आवास, खाना पकाने का ईंधन के मामले में भारत सबसे आगे हैं. इसके अलावा इथोपिया और पेरू में भी सुधार का जिक्र किया गया है. साल 2005-06 में भारत की करीब 64 करोड़ लोग (55.1 प्रतिशत) गरीबी में थे. अब यह संख्या घटकर 2015-16 में 36.9 करोड (27.9 प्रतिशत) पर आ गयी है.