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सबसे महंगा स्पेक्ट्रम खरीदने को कोई कंपनी तैयार नहीं

नई दिल्ली। स्पेक्ट्रम नीलामी के अब तक के 17 चक्रों में सरकार को केवल 61 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। सरकार को इस नीलामी से 5.6 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने का मंसूबा बांधा था।

लेकिन सबसे महंगे 700 बैंड में कोई बोली न लगने से वह पूरा होता नहीं दिख रहा। सभी बैंडों में कुल 2354.55 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी हो रही है।

शनिवार को प्रारंभ हुई स्पेक्ट्रम नीलामी के तहत सोमवार सुबह तक उम्मीद से कम केवल 60,969 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसकी मुख्य वजह 700 मेगाहर्ट्ज के सबसे महंगे बैंड पर अब तक कोई बोली न लगना है।

अधिकांश बोलियां 1800 तथा 2300 बैंड के लिए लगाई गई हैं जो 4जी सेवाओं के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। 2300 मेगाहर्ट्ज के लिए बिहार से सर्वाधिक ऊंची बोली लगी, जबकि महाराष्ट्र से सर्वाधिक बोलियां प्राप्त हुई हैं। 2500 मेगाहर्ट्ज के लिए 19 सर्किलों से बोलियां प्राप्त हुई हैं।

इस बैंड का उपयोग 3जी और 4जी दोनों सेवाओं के लिए भी किया जा सकता है। जबकि 3जी वाले 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए मुख्यतः हरियाणा सर्किल से बोलियां प्राप्त हुई हैं।

सूत्रों के अनुसार सबसे ज्यादा आक्रामक बोली वोडफोन की तरफ से लगाई जा रही है। 42 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी हासिल होने से उत्साहित होकर उसने लगभग 17 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है।

इसके बाद रिलायंस जियो ने 16 हजार करोड़ रुपये की, आइडिया ने 15 हजार करोड़ की तथा भारती एयरटेल ने 13 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है। वोडाफोन और आइडिया की 4जी बाजार में सबसे कम उपस्थिति है। इसलिए इन दोनों की ओर से 4जी बैंडों पर सबसे बड़ा दांव खेला गया है।

इससे पहले 2015 में स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपये, जबकि 2014 में 61,162 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।

इस बार सरकार यह मानकर चल रही थी कि यदि 700 मेगाहर्ट्ज पर कोई बोली नहीं लगी या कम लगी, तो भी वह कम से कम डेढ़ लाख करोड़ रुपये तो जुटा ही लेगी जिसमें से अग्रिम भुगतान के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपये की रकम उसे इसी वित्त वर्ष में प्राप्त हो जाएंगे।

नीलामी के लिए प्रस्तुत कुल 2364.55 मेगाहर्ट्ज में से 70 फीसद स्पेक्ट्रम 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध है। लेकिन इसके लिए एक भी बोली नहीं लगी है। समझा जाता है कि इसका मुख्य कारण इसका अत्यंत उच्च रिजर्व प्राइस है।

नीलामी खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में अब 700 मेगाहर्ट्ज के लिए कोई बोली लगेगी, इसमें संदेह है। ऐसे में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए अगली नीलामी का इंतजार करना होगा।

जानकारों को इस नीलामी से ज्यादा से ज्यादा 80 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। इसमें से 30-32 हजार करोड़ रुपये सरकार को इसी साल मिल जाएंगे। बाकी पैसा ऑपरेटरों से सालाना किस्तों में वसूला जाएगा।