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समझ, संकल्प और इच्छाशक्ति का अकाल : योगेन्द्र यादव

वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो।


जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की जो मराठवाड़ा से शुरू कर बुंदेलखंड पहुंचे यात्रा लेकर। इस यात्रा का मकसद था किसानों की वास्तविक स्थिति को टटोलना। जल-हल-पद यात्रा का नेतृतव कर रहे योगेन्द्र यादव ने महोबा में इस यात्रा के समापन समारोह किया। इस अवसर पर जाने माने किसान नेता और जनआन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय के संयोजक डॉ सुनीलम और एकता परिषद् के पी. वी. राजगोपाल भी उपस्थित थे।


मराठवाड़ा और बुंदेलखण्ड के सूखा प्रभावित गाँवों में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे योगेन्द्र यादव ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की बुंदेलखंड में चल रहा सूखा जानवरों के लिए अकाल में बदल चुका है। हर रोज़ हजारो जानवर भूख और प्यास से दम तोड़ रहे हैं। चारे की भारी किल्लत से जंगली जानवर भी पानी और भोजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। सरकार की चारा वितरण की योजना कागजो तक सीमित है। इस त्रासदी को और विकराल रूप धारण करने से रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को आपात कदम युद्ध स्तर पर उठाने होंगे।


सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर सरकार को आड़े हात लेते हुए डॉ सुनीलम ने किसान के कर्ज माफ़ी और बिजली का बिल माफ़ी की मांग की। गांधीवादी कार्यकार्ता पी. वी. राजगोपाल ने कहा कि सिर्फ सरकार तक निर्भर रहने के बजाय लोकशक्ति के निर्माण पर भी बल दिया जाये। इस जनसभा में पहुँच कर जिलाधिकारी सुरेश कुमार ने सरकार का पक्ष रखा। सूखा राहत की सरकारी प्रयासों को गिनाते हुए उन्होंने माना कि खाद वितरण व्यवस्था में सुधार की गुन्जाइश है और बड़ी जोत के किसानो को मुआवजा राशी देने के लिए राज्य सरकार से फण्ड नहीं मिले हैं।


यात्रिओं का दावा है की पिछले 5 दिनों से मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश में हो रही पद-यात्रा से सूखे की भयावह स्थिति उजागर हुई। अधिकांश गाँव में पानी की भारी किल्लत है। टीकमगढ़ और छत्तरपुर में यह कमी अब संकट का रूप धारण कर चुकी है। दोनों राज्यों में फसलें बर्बाद होने के कारण खद्यान की भीषण कमी है। म.प्र. में खाद्य सुरक्षा कानून पहले लागू होने के बाबजूद बड़ी संख्या में लोग राशन के अनाज से वंचित हैं। उत्तर प्रदेश में लोग पूरी खाद्यान्न वितरण व्यवस्था चौपट है। ताकतवर और भ्रष्ट अफसरो और नेताओ की मिली भगत के चलते ज़्यादातर कोटा गरीबो तक पहुचने से पहले ही बेच दिया जाता है। यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश की राशन व्यवस्था में हर प्रकार की खामी उजागर हुई। कई लोगो के पास किसी भी तरह का राशन कार्ड नहीं है। अगर है तो परिवार के सभी लोगो का नाम नहीं हैं, राशन कई महीनो तक मिलता नहीं है, जब मिलता है तो पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है। यात्रा के दौरान कई गांवों में खाद्य सुरक्षा पर्ची बनाने के नाम पर लोगो से 50 रुपया वसूल करने का भांडा फोड़ हुआ और रिश्वत का पैसा लोगों को वापस दिलाया गया।


हालाँकि मनरेगा के अंतर्गत रोज़गार देने में उत्तर प्रदेश का रिकॉर्ड मध्य प्रदेश से कहीं बेहतर है, फिर भी कई लोगो की पेमेंट में देरी की शिकायत सुनी गई। महोबा जिले में सरकारी अधिकारियों ने पदयात्रा के साथ जा कर लोगो की शिकायते सुनी और उनका निवारण करने का असवाशन दिया। याद रहे कि जल-हल-यात्रा का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के सन्दर्भ में हुआ था।

सूखे की भयावह स्थिति और सरकार की उदासीनता को देखते हुए स्वराज अभियान ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सूखा को आपदा घोषित करते हुए ऐतिहासिक फैसला दिया और केंद्र एवं राज्य की सरकारों को सूखा राहत के लिए काम करने का निर्देश दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सबको राशन मिले, मनरेगा के तहत रोजगार मिले, बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में भी मिड-डे मील मिले और सप्ताह में कम से कम तीन दिन दूध या अंडा मिले। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला जमीन पर उतरे और प्रभावी ढंग से लागू हो, यही सुनिश्चित करने के लिए


मराठवाड़ा से शुरू हुई थी यात्रा

स्वराज अभियान ने जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, जल बिरादरी और एकता परिषद के साथ मिलकर योगेन्द्र यादव के नेतृत्व में जल हल पदयात्रा शुरू की। 21 मई को मराठवाड़ा में लातूर जिला के सोनवती गाँव से जल-हल पदयात्रा की शुरुआत हुई जिसमें जलपुरुष के रूप में प्रसिद्ध जल बिरादरी के राजेंद्र सिंह शामिल हुए। पदयात्रा महाराष्ट्र के तीन जिलों लातूर, उस्मानाबाद और बीड के गाँवों में 5 दिनों तक चली। 26 मई को भोपाल में एक राज्य स्तरीय जल-हल सम्मेलन हुआ जिसमें मेधा पाटकर ने भाग लिया। जनांदोलनों का राष्ट्रीय के समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनीलम भी लगातार पदयात्रा के साथ चल रहे हैं।


27 मई से पदयात्रा अपने दूसरे चरण में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पहुँची। बुंदेलखंड के गाँवों में 5 दिनों की पदयात्रा के बाद आज 31 मई को जल हल पदयात्रा का समापन एक जनसभा के रूप में बुंदेलखण्ड के महोबा में हुआ। इस जनसभा में जल हल पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक और स्वराज अभियान के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव ने 10 दिनों की पदयात्रा का रिपोर्ट पेश किया। इस जनसभा को एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक पी. वी. राजगोपाल ने भी संबोधित किया। जल-हल यात्रा से उजागर हुई सच्चाइयों को देश के सामने रखने के लिए योगेंद्र यादव बुधवार 1 जून को दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करेंगे।