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सरकार और चीनी मिल मालिकों के बीच गतिरोध समाप्त

लखनऊः बीते दस दिनों से निजी चीनी मिलों और सूबे की सरकार के बीच चल रहा टकराव रविवार को समाप्त हो गया. सरकार ने निजी चीनी मिल मालिकों की तीन प्रमुख मांगों को मान लिया. इन मांगों के मानने से सरकार को 879 करोड़ रूपए को अतरिक्त बोझ इस पेराई सत्र में उठाना पड़ेगा. सरकार और चीनी मिल मालिकों के संगठन के बीच हुई सहमति के बाद अब सूबे की सभी चीनी मिलों में

गन्ने की पेराई होने लगेगी. विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय को निजी चीनी मिल मालिकों के दबाव में लिया फैसला बताया है.
निजी चीनी मिल मालिकों और सरकार के बीच हुई सहमति को लेकर सरकारी प्रवक्ता ने यहां बताया कि सूबे की निजी चीनी मिलें किसानों को सरकार
द्धारा निर्धारित गन्ना मूल्य 280 रूपए प्रति कुंतल के स्थान पर 260 रूपए प्रति कुंतल का तत्काल भुगतान करेंगी और शेष 20 रूपए पेराई सत्र के
समाप्त होने के पहले किसानों को उपलब्ध कराएंगी. निजी चीनी मिलों को चलवाने के लिए किए गए समझौते से सरकारी खजाने पर 879 करोड़ रुपए के पड़ने वाले अतिरिक्त व्ययभार को लेकर राज्य के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता इस समय चीनी मिलों को चलानी की है. लिहाजा निजी चीनी मालिकों की कुछ मांगों कर मिलों और सरकार के बीच चल रहे गतिरोध समाप्त किया गया है.

गौरतलब है कि किसानों को 280 रुपए प्रति कुतंल गन्ना मूल्य देने संबंधी सरकार के निर्णय पर आपत्ति करते हुए सूबे की सभी निजी ‍चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई करने से इंकार कर दिया था. निजी चीनी मिल मालिकों के संगठन यूपी शुगर मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की. इन लोगों ने मुख्यमंत्री को यह बताया कि चीनी के दामों में आई कमी से चीनी मिलों को वित्तीय संकट झेलना पड़ रहा है. इसलिए सरकार को निजी चीनी मिलों को राहत देनी चाहिए. बिना राहत के मिलों में पेराई करना संभव नहीं होगा. निजी चीनी मिलों को चलाने के लिए एसोसिएशन ने अपनी मांगे भी सरकार को बतायी. जिन्हें मानने से सरकार ने इंकार कर दिया.

परिणामस्वरूप सरकार और चीनी मिल मालिकों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई. जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को इस मामले का हल निकालने का दायित्व सौपा. तो मुख्य सचिव ने निजी ‍चीनी मिल मालिकों के संगठनों के साथा कई दौर वार्ता की और निजी चीनी मिलों की तीन मागों को मानने की सहमति बनी. मुख्य सचिव के अनुसार अब निजी चीनी मिल मालिकों को क्रय कर और प्रवेश कर में छूट मिलेगी. क्रय कर में छूट के रूप में 160 करोड़, प्रवेश कर के रूप में 219 करोड़ और कमीशन के रूप में 500 करोड़ रूपए का व्यय भार सरकार ही उठाएगी. इस प्रकार से सरकार करीब 879
करोड़ का व्यय भार इस पेराई सत्र में अपने माथे लेगी. मुख्य सचिव का दावा है कि सूबे के किसानों के हित में सरकार ने निजी चीनी मिल मा‍लिकों की
मांगे मानी है और अब ‍प्रदेश की सभी चीनी मिलें तत्काल शुरू हो जाएगी.