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सरकार ने दी सफाई: देश में नहीं है फर्टि‍लाइजर की कमी, जारी रहेगी सब्‍सि‍डी

नई दिल्‍ली। रबी की लहलहाती फसलों के लिए कई राज्‍यों में किसानों को यूरिया की किल्‍ल्‍त का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन में किसानों को पर्याप्‍त उर्वरक मुहैया कराने के केंद्र और राज्‍य सरकार के दावों के बावजूद पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश सहित देश के कई इलाकों में यूरिया के लिए मारमारी मची हुई है। हालात बेकाबू होते देख यूरिया के मुद्दे पर अब केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है।

केंद्र सरकार ने कहा कि‍ देश में फर्टि‍लाइजर की कमी नहीं होगी। फर्टि‍लाइजर मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि‍ यूरि‍या की कीमतों में इजाफा नहीं होगा। वहीं, सरकार की ओर से फर्टि‍लाइजर सब्‍सि‍डी जारी रहेगी। उन्‍होंने कहा कि‍ मद्रास फर्टि‍लाइजर, मैंगलोर कैमि‍कल्‍स में 100 दि‍नों के भीतर नापथा सब्‍सि‍डी दी जाएगी।

पंजाब और हरियाणा में यूरिया न मिलने से नाराज किसानों के हाईवे जाम करने की खबर मिलने के बाद केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने मंगलवार को मंत्रालय के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई और पूरी स्थिति का जायजा लिया था। हालांकि, रबी सीजन की शुरूआत से ही देश में यूरिया की पर्याप्‍त उपलब्‍धता के आंकड़े पेश कर पल्‍ला झाड़ रही है। जबकि दूसरी तरह कृषि पर निर्भर हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्‍था और मध्‍य प्रदेश जैसे राज्‍यों में यूरिया की जमकर कालाबाजारी हो रही है। पंजाब में तो यूरिया लूटने और थानों में लाइन लगाकर यूरिया बंटने की खबरें आ रही हैं।

फर्टि‍लाइजर प्‍लांट को सुधार की कोशि‍श

अनंद कुमार ने कहा कि‍ गोरखपुर यूनि‍ट को सुधारने के लि‍ए कैबि‍नेट नोट जारी कि‍या गया है। इसके अलावा, बरौनी, सिंद्री में फर्टि‍लाइजर प्‍लांट को सुधारने की योजना बनाई जा रही है।

450 रुपये तक बिक रहा है यूरिया बैग

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने बताया कि हरियाणा, पंजाब के अलावा पूरे उत्‍तर प्रदेश में किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है। केंद्र और राज्‍य सरकारों की ओर से किसान की उपेक्षा का इससे बड़ा उदाहरण क्‍या होगा कि गरीबी किसानों को ब्‍लैक में यूरिया खरीदना पड़ रहा है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 450-500 रुपये में यूरिया बैग खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में जमाखोर अौर नकदी यूरिया बेचने वाले चांदी काट रहे हैं।

क्‍यों हो रही है यूरिया की किल्‍लत

दिसंबर और जनवरी माह में गेहूं, सरसों जैसी रबी फसलों में यूरिया खाद डालनी पड़ती है। किसानों को यूरिया सहकारी समिति और निजी कंपनी के जरिए मिलता है। लेकिन अक्‍सर देखा जाता है कि जैसे ही रबी सीजन में यूरिया की सहकारी आपूर्ति कम होती है, यूरिया का कालाबाजारी होनी शुरू हो जाती है। कई राज्‍यों में तो यूरिया की इतनी किल्‍ल्‍त है कि जिला प्रशासन के लिए यूरिया बंटवाना ही मुश्किल हो गया है।

यूरिया के आयात पर निर्भर है भारत

यूरिया के मामले में भारत आयात पर निर्भर है। देश में सालाना करीब 220 लाख टन यूरिया का उत्‍पादन होता है जबकि खपत करीब 300 लाख टन है। यानी हर साल करीब 70-80 लाख टन यूरिया का आयात करना पड़ता है। वित्‍त वर्ष 2013-14 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान यूरिया का अायात करीब 4 फीसदी गिरा है। देश के घरेलू यूरिया प्‍लांट के सामने गैस आपूर्ति की समस्‍या रही है, इस वजह से भी यूरिया उत्‍पादन प्रभवित हुआ है।