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सरकारी पोटली खुलते ही बढ़ने लगा दलहन का रकबा

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली

दलहन फसलों के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य की पोटली खोली तो किसानों ने भी दिल खोलकर दालों की खेती करनी शुरू कर दी है। खरीफ बुवाई का ताजा आंकड़ा तो कुछ यही बयां कर रहा है। किसानों का कहना है कि दलहन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार घरेलू किसानों पर भरोसा करे तो उसे विलायती दाल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दलहन फसलों की खेती जोखिम भरी होने की वजह से भी किसान इससे दूर होने लगा था।

किसान नेता सुशील कटियार का कहना है कि सरकार को चाहिए कि दाल की खेती के नुकसान होने की दशा में सौ फीसद बीमा मिलने की गारंटी दे। बिना विलंब के किसान दलहन खेती का रकबा बढ़ा देगा। दालों के बढ़े मूल्य को देखते हुए सरकार ने हाल ही में न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की घोषणा की है। इसका नतीजा दिखाई देने लगा है और दलहन फसलों का बुवाई रकबा 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़कर 46 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है। घरेलू जिंस बाजार में अरहर दाल दो सौ रुपये किलो तक बिक गई।

दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार दूसरे देशों का मुंह ताक रही है। प्रधानमंत्री ने खुद मोजांबिक जैसे देश में अरहर दाल के लिए समझौता किया है। मात्र समर्थन मूल्य के प्रोत्साहन से अकेले अरहर जैसी फसल का बुवाई रकबा छह लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है। दूसरी ओर कपास किसानों ने अब दलहन खेती की ओर रुख किया है।

रबी फसलों की कटाई से पहले ही कृषि मंत्रालय ने देश के सुदूर क्षेत्र के किसानों को मूंग और उड़द के साथ अरहर की मिनी किट का वितरण कराया है।

किसान जागृति मंच के संयोजक डॉ. सुधीर पंवार का कहना है कि किसानों को समय पर उन्नत बीज, खाद और कीटनाशकों की आपूर्ति भर करा दी जाए तो मुश्किलें आसान हो जाएंगी। साथ ही इसकी खेती के जोखिम पर भी ध्यान देना होगा। दलहन फसलों में बीमारियां और नील गाय जैसी समस्याएं सबसे ज्यादा मुश्किलें पैदा कर रही हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उच्च पदस्थ अधिकारी का कहना है कि चालू सीजन में देश में कुल एक सौ दलहन हब बनाने की योजना है। इनमें कुल एक हजार क्विंटल दलहन बीज तैयार कराया जाना है। जबकि अगले साल 50 और बीज हब बनाये जाने हैं। दाल के मूल्य बढ़ने की दशा में किसानों को बीज की उपलब्धता नहीं हो पाती है। दालों में सबसे ज्यादा जरूरत उड़द और अरहर दाल की है। इन दोनों दालों की आपूर्ति बढ़ाने की योजना पर सरकार पूरा ध्यान दे रही है जिसमें किसानों को जोखिम से बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।