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सवा 13 सौ पंचायतों में मनरेगा की फूटी कौड़ी खर्च नहीं

भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ की एक हजार 327 ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत चालू वित्तीय वर्ष में न तो कोई कार्य मंजूर नहीं किया गया है और न ही कोई राशि खर्च की गई है। जबकि राज्य की 150 तहसीलों में से 117 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है।

 

इसके बावजूद राज्य की दस हजार 971 ग्राम पंचायतों में से एक हजार 327 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत पंजीकृत जॉबकार्डधारियों ने रोजगार की कोई मांग की है। राज्य सरकार ने संबंधित जिलों के मनरेगा कार्यक्रम समन्वयक व कलेक्टरों को इन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कार्य नहीं कराए जाने के कारणों की समीक्षा करने के लिए कहा है। साथ ही आवश्यकता व मांग के अनुसार रोजगारमूलक कार्य प्रारंभ किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव एमके राउत ने कलेक्टरों से कहा है कि विभाग द्वारा सभी कलेक्टरों को मनरेगा के तहत राशि खर्च नहीं करने वाली ग्राम पंचायतों की सूची भेजी जा रही है। संबंधित ग्राम पंचायतों में पदस्थ ग्राम रोजगार सहायकों का कार्य संतोषप्रद नहीं होने पर उनकी सेवा समाप्त करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।
अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि प्रदेश की 117 तहसील सूखा प्रभावित होने के बाद ष्भी 1327 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में कोई भी राशि व्यय नहीं किए जाने से यह प्रदर्शित होता है कि इन ग्राम पंचायतों में योजना के क्रियान्वयन में कोई रूचि नहीं ली जा रही है।
नक्सली क्षेत्रों में स्थिति खराब
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के अधिकांश जिलों में दूरस्थ व संवेदनशील इलाकों की कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा तहत काम स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।
बस्तर, सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर व कोंडागांव जिले में ऐसी कई ग्राम पंचायतें हैं, जहां लंबे समय से मनरेगा के तहत कोई भी राशि खर्च नहीं की गई है। कुछ मैदानी क्षेत्रों में भी ऐसी ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया है। बताया गया है कि वहां लोग रोजगार की मांग नहीं करते हैं।
इसकी वजह से मनरेगा के तहत कार्य स्वीकृत नहीं किए गए हैं। रोजगार सहायकों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे मजदूरों को रोजगार की मांग के लिए प्रोत्साहित करें और कार्य स्वीकृत कराने में मदद करें। लेकिन संबंधित ग्राम पंचायतों में पदस्थ रोजगार सहायकों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और उन्हें सेवा से हटाने पर विचार किया जा रहा है।
पंजीकृत परिवारों को 150 दिन तक रोजगार
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की सूखा प्रभावित तहसीलों में मनरेगा के तहत 50 दिन अतिरिक्त काम खोलने की मंजूरी दी है। इसके अंतर्गत पंजीकृत परिवारों को अब डेढ़ सौ दिन तक रोजगार मिलेगा। खरीफ फसलों के नजरी आकलन के आधार पर राज्य की 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है।
राज्य सरकार ने केंद्र से रोजगारमूलक कार्य शुरू करने और मनरेगा के तहत सौ के बजाय डेढ़ सौ दिन रोजगार का प्रावधान करने का आग्रह किया था। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा के तहत 39 लाख 32 हजार 388 जॉबकार्डधारी परिवार है।
इनका कहना है
'मनरेगा के तहत पंजीकृत परिवारों को रोजगार की मांग करने पर पंद्रह दिनों के भीतर रोजगार मुहैया कराने का प्रावधान है। राज्य की कुछ ग्राम पंचायतों में चालू वर्ष में मनरेगा के तहत कोई राशि खर्च नहीं की गई है। इनमें ज्यादातर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम पंचायतें हैं। इनमें कुछ मैदानी क्षेत्रों की ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं, जो चिंता का विषय है। कलेक्टरों को कारणों की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।"
- पीसी मिश्रा, आयुक्त मनरेगा व सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग