Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/सवाल-अधिकार-और-सम्मान-का-मनीषा-सिंह-8456.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | सवाल अधिकार और सम्मान का- मनीषा सिंह | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

सवाल अधिकार और सम्मान का- मनीषा सिंह

यह बात कई सर्वेक्षणों से निकलकर आ चुकी है कि हुक्म नहीं मानने वाली या आदेश को सही ढंग से नहीं समझकर उसका तुरंत पालन नहीं करने वाली पत्नी की पिटाई को समाज जायज मानता है। इन सर्वेक्षणों से कई बार आश्चर्यजनक रूप से यह साबित करने की कोशिश की गई है कि पति के हाथों पिटाई को पत्नी बुरा नहीं मानती। ऐसे में, दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती को तब हैरानी हुई होगी, जब उनकी पत्नी ने उन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

देश ही नहीं, दुनिया के ज्यादातर समाजों में यह सोच बेहद आम है कि महिलाएं प्रताड़ना या पिटाई के लिए ही बनी हैं, खासतौर से तब, जब वह अच्छा खाना न पकाए, सास-ससुर की सेवाटहल में कमी छोड़ दे, पति के कामकाज में सहयोग देने के बजाय खुद पर ध्यान दे और पति से उसके लिए वक्त निकालने की मांग करे। ऐसी ही सोच का उदाहरण सोमनाथ भारती ने यह कहकर दिया कि हालांकि वह अपनी पत्नी से प्रेम करते हैं, पर वह न तो अपनी मां को छोड़ सकते हैं, न मातृभूमि की सेवा यानी राजनीति को। परोक्षत: वह यह कहना चाहते हैं कि यदि पत्नी पिटाई नहीं सहन कर सकती, तो उसे अवश्य छोड़ा जा सकता है। यहां सवाल उस प्रेम का है, जो वह अपनी पत्नी से करते हैं, और प्रेम में उस हिंसा का, जो वह अपनी पत्नी पर करते हैं। अगर प्रेम करते हैं, तो हिंसा क्यों?

दुनिया में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जहां पुरुष अपनी पत्नी से प्रेम करते हुए मां और मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कोई कमी नहीं छोड़ता है। आम आदमी पार्टी के ही मुखिया अरविंद केजरीवाल जब चुनाव में विजयी हुए, तो उन्होंने तमाम श्रेय अपनी कामकाजी पत्नी को दिया। लिहाजा सोमनाथ भारती जैसे पुरुषों से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने शादी मां-बाप और मातृभमि की सेवा कराने के लिए की थी या फिर जीवनसाथी के रूप में एक ऐसे सहयोगी को पाने के लिए, जो बराबरी के दर्जे के साथ प्रेम की अधिकारी हो, न कि हिंसा की।

दुखद है कि दुनिया में पत्नी प्रताड़ना के मामले जागरूकता के ऊंचे स्तर के बावजूद बढ़ रहे हैं। वर्ष 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया था कि दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं घर और समाजों के भीतर शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार हैं। पिछड़े देशों में तो हालात और भी खराब हैं, क्योंकि वहां तो बाकायदा कानून बनाकर ऐसे पुरुषों को पत्नी प्रताड़ना के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जैसे पिछले साल अफगानिस्तान की संसद ने एक नया कानून पास किया, जिसके अनुसार, पत्नी, बेटियों और बहनों को पीटने वाले पुरुष को अपराधी नहीं माना जाएगा, बशर्ते उसने यह काम समाज में अपनी प्रतिष्ठा बचाने की खातिर किया हो।

शायद इस हिंसा की एक वजह यह है कि समाज के ज्यादातर कायदों और उनका पालन कराने की जिम्मेदारी पुरुषों की मान ली गई है। पुरुषों का बनाया यह समाज स्त्री की आजादी की सीमा निर्धारित करता है। कोई समाज तभी बदलेगा, जब उसे बदलने की पहल घर के छोटे से दायरे से होगी। समस्त नारी जगत के प्रति व्यक्ति के मन में सम्मान का जगना ही असल 'देवी पूजा' है। क्या हमारा समाज अपने भीतर ऐसी तब्दीलियां करेगा, जिसमें एक स्त्री को अपनी आजादी से ज्यादा पर्याप्त अधिकार और सम्मान मिले?