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सहकारी बैंक की हालत हुई खस्ता

जगदलपुर. किसानों का आर्थिक स्तर बढ़ाने तथा खेती-किसानों के कामों में बढ़ोतरी के चलते ट्रेक्टर-ट्राली का ऋण 378 किसानों का स्वीकृत किया गया था।



सहकारी कृषि एवं विकास बैंक को इन किसानों से 670 लाख रुपए वसूलना है। 378 में से 227 किसान डिफाल्टर हो चुके हैं। जिन पर 5 करोड़ की राशि बकाया है। सर्वाधिक दयनीय स्थिति दक्षिण बस्तर के ब्रांचों की है। दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर शाखा को किसान ढूंढने से नहीं मिल रहे हैं। इसका कारण नक्सली हिंसा में बढ़ोतरी और सलवा जुडूम शुरु होना है।



सैकड़ों गांव खाली हो गए हैं। किसानों के खेत खलिहान विरान पड़े हैं। गांव छोड़कर हजारों किसान शिविरों में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। ट्रेक्टर-ट्राली का अता-पता नहीं है जमीन नीलामी के प्रकरण बनाए गए हैं। संवेदनशील इलाके के इन जमीनों के किसान होने से खरीददार तो दूर गांव तक पहुंचना भी संभव नहीं हो पा रहा है।



बैंक के सीईओ बीएल साव ने बताया कि अभी तक 11 फीसदी ऋण वसूली हुई है। जिसे हर हाल में 50 फीसदी तक पहुंचाना है। सर्वाधिक ंिचंताजनक स्थिति दक्षिण बस्तर के 3 शाखाओं की है। संवेदनशील इलाका होने तथा स्टाफ की कमी के चलते ऋण वसूली में काफी कठिनाईयां है। उन्होंने कहा कि संभाग में बैंक की 7 शाखाएं हैं। 1565 किसानों से 7 करोड़ 71 लाख रुपए वसूली किया जाना है।



पिछले साल वसूली 38 फीसदी रही। पिछले तीन साल से ऋण वसूली धीमा होने से किसानों को ऋण वितरण के लिए शासन से राशि नहीं मिल पा रही है। इस साल पूरे 7 ब्रांच के लिए 45 लाख मिला है। जो वेतन, कार्यालय आदि पर ही खर्च हो जाएगा।



कुर्की के 215 प्रकरण



सीईओ ने बताया कि 222 लाख वसूलने के लिए 215 प्रकरण कुर्की के बनाए गए हैं। नोटिस जारी किया गया है। कलेक्टर को सभी ऋणी किसानों और डिफाल्टरों की सूची भेजी गई है। ताकि बैंक को उबारा जा सके। कलेक्टर ने एसडीएम और तहसीलदारों को सूची भेजकर ऋण वसूली करने कहा है।



भूमि नीलामी से 3 करोड़



ऋण राशि वसूलने चल-अचल संपति की कुर्की और भूमि नीलामी का प्रावधान है। भूमि नीलामी के 367 प्रकरण तैयार किए गए हैं जिससे 294 लाख रुपए किसानों से लेना है। बताया गया कि आदिवासी किसानों की जमीन नीलाम करने में संवेदनशील इलाका सबसे बड़ा रोड़ा है। विरान गांवों में जमीन नीलामी असंभव है।



सिंगल मेन ब्रांचेस
बस्तर जिले में जगदलपुर, कोंडागांव और केशकाल, दंतेवाड़ा जिले में दंतेवाड़ा और सुकमा तथा बीजापुर और नारायणपुर जिला मुख्यालय में 1-1 कुल 7 ब्रांच हैं। 4-5 ब्रांच ऐसे हैं जो सिंगल मेन के भरोसे हैं। प्रभारी शाखा प्रबंधक और चपरासी ही काम चला रहे हैं। 3 जगह नियमित शाखा प्रबंधक हैं अन्य जगह प्रभारी हैं। 7 ब्रांच के लिए 49 पद का सेटअप है जिनमें 28 ही पदस्थ हैं। फील्ड अमलों की कमी के चलते बैंक की हालत खस्ता है।



चार दशक से संचालित



भूमि विकास बैंक से सहकारी कृषि एवं विकास बैंक में तबदील होने के बाद भी बैंक की हालत में खास इजाफा नहीं हुआ है। आदिवासी अंचल में जिस उद्देश्य को लेकर बैंक खोला गया वह साकार होता नहीं दिख रहा है। 1967 में बस्तर जिले में बैंक की स्थापना हुई थी। चार दशक के बाद करोड़ों बकाया होने से बैंकिंग सेवा सुचारु ढंग से संचालित नहीं हो पा रही है।