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सामने आयी बोतल बंद पानी की चौंकाने वाली सच्चाई!

बोकारो. चास और बोकारो शहर में इन दिनों पानी का गोरखधंधा जमकर चल रहा है। चास शहर के लगभग सभी मुहल्लों में निकलने वाले खारा पानी से परेशान लोगों का झुकाव फ्रेश पानी की ओर बढ़ रहा है। इसका फायदा पानी बेचने वाले उठा रहे हैं। फ्रेश पानी के नाम पर बोरिंग का पानी बोतलों और जार में भरकर लोगों के घरों में महंगे दाम पर पहुंचा जा रहा है। यह पानी लोगों को बीमार भी कर सकता है। माडा से लाइसेंस मिलने के बाद कई व्यवसायी नियमों को ताक पर रखकर यह काम कर रहे हैं तो कई बिना लाइसेंस के भी बोरिंग का पानी जार व बोतलों में भरकर लोगों को पानी के नाम पर बीमारी परोस रहे हैं। गोरखधंधे की जांच के नाम पर सिर्फ पल्ला झाडऩे का काम किया जा रहा है।

पानी का धंधा इन दिनों काफी फल-फूल रहा है। यह कम लागत पर ज्यादा आमदनी का धंधा साबित हो रहा है। जानकार बताते हैं कि एक बोतल की पैकेजिंग में दो-तीन रुपए खर्च होते हैं, उन्हें छह रुपए में बाजार के थोक विक्रेताओं को उपलब्ध कराया जाता है। वहां से लोगों तक पहुंचते ही उसकी कीमत 12 रुपए हो जाती है। वहीं एक जार में पानी भरने में चार से पांच रुपए खर्च होते हैं, उसे 17 रुपए में घर-घर पहुंचाया जाता है। इस धंधे में व्यवसायी हर दिन लाखों की कमाई कर रहे हैं।

फ्रेश पानी बेचने वाले अधिकतर व्यवसायियों द्वारा तय पैमाने के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्रोसेस पूरा किए बिना ही बाजार में पानी बेचा जा रहा है। नियमत: प्रोसेस पूरा करने के बाद ही बोतल या जार में पानी भरकर बेचना है। इसकी जांच का जिम्मा माडा को है, लेकिन माडा द्वारा जांच के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। इस काम में व्यवसायी तो लाखों कमा रहे हैं लेकिन इसका सेवन करने वाले ठगे जा रहे हैं।


क्या हो रहा है

खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (माडा) द्वारा इन पानी व्यवसायियों को लाइसेंस निर्गत कर दिया गया है। इसके लिए खाद्य निरीक्षक की अनुशंसा पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा लाइसेंस दिया गया है। चास में आठ और बालीडीह में तीन लोगों को लाइसेंस निर्गत किया गया है, जबकि कई बिना लाइसेंस के ही चल रहे हैं।

क्या है प्रावधान

पानी का प्लांट लगाने वालों को निश्चित नियमों के तहत लाइसेंस लेना पड़ता है। भारतीय मानक ब्यूरो से लाइसेंस लेने के लिए ऐसी कंपनियों को प्लांट बैठाने से पहले आवेदन देना पड़ता है। इसके बाद स्टेट फूड कंट्रोलर से लाइसेंस लेना पड़ता है। यही नहीं, पानी की पैकेजिंग कर बेचने वालों को प्रदूषण विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा नगर परिषद से भी अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ संबंधित विभाग कार्रवाई कर सकता है।


पूरी जानकारी नहीं है


"इसकी पूरी जानकारी नहीं है। मेरे पास अब तक इससे संबंधित कोई फाइल नहीं आई है। माडा द्वारा पहले लाइसेंस दिया गया है, अब यह काम शायद नगर निगम के जिम्मे है। इसकी जांच कौन करेगा, पूरी जानकारी नहीं है। फाइल मंगाकर देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।" - डॉ. शशि भूषण प्रसाद सिंह, सीएस सह माडा के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी।

जिम्मा माडा का है

"लाइसेंस देना व जांच करने का जिम्मा माडा का है। नए नगरपालिका एक्ट के तहत नगर परिषद को अधिकार मिलने पर जांच की जाएगी।" - अब्दुल वाहिद, उपाध्यक्ष, चास नगर परिषद।