Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/सामाजिक-भेदभाव-के-लिए-समाज-सरकार-दोनों-दोषी-कुमार-प्रदीप-10706.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | सामाजिक भेदभाव के लिए समाज-सरकार दोनों दोषी-- कुमार प्रदीप | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

सामाजिक भेदभाव के लिए समाज-सरकार दोनों दोषी-- कुमार प्रदीप

कुमार प्रदीप. गुजरात में दलितों की पिटाई का मामला शांत हुआ ही है कि अब मध्य प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनसे सामाजिक भेदभाव फिर सुर्खियों में है। मंडला में एक लड़की का नौकरी के सिलसिले में अपने घर से बाहर जाना समाज और गांव वालों को नागवार गुजरा तो उन्होंने उस होनहार युवती के परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया। एक अन्य मामले में एक महिला का सिर मुंडवा दिया गया क्योंकि कथित रूप से उसने समाज की कुछ परंपराओं का उल्लंघन किया था।

इन मामलों को देख-पढ़-सुनकर ऐसा लगता है कि भले ही मध्य प्रदेश ने कई क्षेत्रों में तरक्की की हो, लेकिन सामाजिक विभेद में अब भी यहां वैसी जागृति नहीं आ पाई है, जैसी कि अपेक्षित थी। प्रदेश में सामाजिक उत्पीड़न की जड़ें इतनी गहरी हैं कि आजादी के 70 साल बाद भी हमें ऐसी खबरें पढ़ने-सुनने को मिल रही हैं। यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि दलित उत्पीड़न के मामलों में मध्य प्रदेश हमेशा से देश के शुरुआती पांच राज्यों में शामिल रहा है।

दलितों या कमजोर लोगों के उत्पीड़न के आंकड़े देखकर सवाल उठता है कि इन हालातों के लिए आखिरकार किसे कसूरवार ठहराया जाना चाहिए? क्या सरकार की अनदेखी इसके लिए जिम्मेदार है या फिर हमारे समाज का जटिल ढांचा? दरअसल, दोनों ही बराबर के कसूरवार कहे जाने चाहिए। सरकार के पास सामाजिक विभेद दूर करने के लिए पर्याप्त अधिकार, ताकत और धन होता है। उसके पास वो सबकुछ भी है जो नीति बनाने और उसे सख्ती से लागू करने के लिए जरूरी है। ऐसे में सरकार क्यों न इतने कड़े कानून बनाए कि सामाजिक बहिष्कार जैसी घृणित सोच हतोत्साहित और भयभीत हो। इसी तरह समाज को भी अपनी गैरजरूरी परंपराओं और उनके नाम पर पैदा की गई सामाजिक खाई को पाटने का प्रयत्न करना होगा।

यह जानना कितना दुखद है कि सितंबर 2010 में प्रदेश के मुरैना जिले के गांव मलूकपुर में ऐसी घटना हुई थी, जिसने देश-दुनिया में मप्र को नीचा दिखाया था। वहां एक दलित महिला पर गांव की पंचायत ने सिर्फ इसलिए 15000 रुपए का जुर्माना रोपित किया था क्योंकि उसने कथित रूप से किसी ऊंची जाति के व्यक्ति के पालतू कुत्ते को रोटी खिला दी थी। इसी तरह नरसिंहपुर जिले के मारेगांव में अहिरवार समुदाय के सैकड़ों परिवारों को मृत पशु उठाने से मना करने के कारण घर में नजरबंद होना पड़ा था क्योंकि सवर्णों ने उनका रास्ता रोक दिया था।

सामाजिक भेदभाव की जड़ें सदियों पुरानी और बेहद गहरी हैं, इसलिए इन्हेंे उखाड़ने के प्रयत्न भी उतनी ही ताकत से करने होंगे। वरना सरकार और समाज दोनों ही बराबर के दोषी माने जाएंगे।

(लेखक सामाजिक मामलों के जानकार हैं)