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सालभर बाद एक बार फिर संसद में पेश किया जायेगा वेतन संहिता विधेयक

नयी दिल्ली : एक साल बाद एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार मॉनसून सत्र के दौरान वेतन संहिता विधेयक को संसद में पेश करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 26 जुलाई को ही इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी. कैबिनेट से इस विधेयक की मंजूरी मिलने के बाद पिछले साल के मॉनसून सत्र के दौरान इसे सदन में पेश किये जाने की बात कही जा रही थी. बुधवार को श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि सरकार संसद के मॉनसून सत्र में वेतन संहिता विधेयक को पारित करने के लिए आगे बढ़ायेगी. इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा विधेयक 2018 पर श्रम संहिता को संसद में विचार के लिए रखेगी.

गंगवार ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के कार्यक्रम में कहा कि श्रम पर स्थायी समिति ने वेतन पर संहिता से संबंधित अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है. हम इस विधेयक को पारित करने के लिए अगले सत्र में आगे बढ़ायेंगे. उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा संहिता को अपने पोर्टल पर टिप्पणियों के लिए डाला है. हमारा प्रयास इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश करने का है. वेतन संहिता के तहत केंद्र सरकार देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन का बेंचमार्क तय कर पायेगी.

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 26 जुलाई को वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इससे श्रम क्षेत्र से जुड़े चार कानूनों को एकीकृत कर सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन तय होने की संभावना है. इस विधेयक के पारित होने से देश के चार करोड़ से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार, वेतन श्रम संहिता विधेयक में न्यूनतम वेतन कानून, 1948, वेतन भुगतान कानून, 1936, बोनस भुगतान कानून, 1965, तथा समान पारितोषिक कानून, 1976 को एकजुट किया जायेगा.

विधेयक में केंद्र को देश में सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का अधिकार देने की बात कही गयी है और राज्यों को उसे बनाये रखना होगा. सूत्रों के अनुसार, हालांकि, राज्य अपने क्षेत्र में केंद्र सरकार के मुकाबले अधिक न्यूनतम वेतन उपलब्ध करा सकेंगे. यह विधेयक संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना है.

नया न्यूनतम वेतन नियम सभी कर्मचारियों पर लागू होगा, चाहे उनका वेतन कुछ भी क्यों नहीं हो. फिलहाल, केंद्र तथा राज्य सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम वेतन उन कर्मचारियों पर लागू होता है, जिन्हें मासिक 18,000 रुपये तक वेतन मिलता हैं. वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इससे सभी उद्योग और कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय हो सकेगा. इसमें वे भी शामिल हो जायेंगे, जिन्हें 18,000 रुपये से अधिक मासिक वेतन मिलता है.