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सिस्टम से हार गई सैटेलाइट शिक्षा- मोहम्मद निजाम

रायपुर.  राज्य के सरकारी स्कूलों में सेटेलाइट नेटवर्क की मदद से पढ़ाई करवाने का सरकारी प्लान हवा-हवाई साबित हो रहा है।

वाहवाही लूटने और कमीशनबाजी के चक्कर में विभाग के अफसरों ने पिछले पांच सालों के अंदर राज्य की दो सौ से ज्यादा स्कूलों को एजुकेशन सेटेलाइट सिस्टम से जोड़ दिया। पूरे प्लान पर 10 करोड़ फूंकने के बाद कोई अफसर इन स्कूलों में झांककर यह देखने भी नहीं गया कि सिस्टम चालू भी हुआ या नहीं।

अफसरों की माने तो यह प्रोजेक्ट शानदार तरीके से चल रहा है। पर भास्कर की पड़ताल में मैदानी सच्चाई एकदम अलग मिली। ज्यादातर सेंटरों में सिस्टम बंद पड़े हुए हैं। गरियाबंद जिले में फिंगेश्वर के स्कूल में लगाए गए सिस्टम की तो अभी तक पैकिंग तक नहीं खुली।

ग्रामीण दूरस्थ अंचलों की हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को एक्सपर्ट शिक्षकों का लाभ देने के लिए सेटेलाइट एजुकेशन सिस्टम को शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एससीईआरटी) को दी गई है। एससीईआरटी के रिकार्ड में सेटेलाइट सिस्टम से हाई स्कूल और हायर सेकंडरी के बच्चों को काफी लाभ मिल रहा है।

खासतौर पर गांव की स्कूलों के बच्चों को। दैनिक भास्कर की टीम ने कागजों में चल रहे ऐसे कई सेंटरों की हकीकत उजागर करने राज्य के 12 से ज्यादा जिलों की कुछ स्कूलों का सर्वे किया। कुछ जिलों की स्कूलों तक संवाददाताओं को भेजा गया, ताकि सही स्थिति का पता चले।

रायपुर, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, सुकमा, दंतेवाड़ा, दुर्ग, जशपुर, जांजगीर, कवर्धा, कांकेर, नारायणपुर जिले के इक्का-दुक्का सेंटरों को छोड़कर बाकी सेंटर बंद मिले। कहीं सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के कारण सेंटर बंद मिला, तो कहीं अब पैकिंग भी नहीं खोली गई थी। यानी स्कूल में इसे संचालित करने वाले शिक्षक ही नहीं है।


जिन सेंटरों में सिस्टम चल रहा है, वहां भी स्थिति यह है कि बच्चों को पढ़ाने छोड़कर इसका इस्तेमाल शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए किया जा रहा था।

क्या है एजुकेशन सैटेलाइट सिस्टम

शिक्षा विभाग ने एससीईआरटी के जरिए शिक्षा सत्र-2007 में एजुकेशनल सेटेलाइट सिस्टम शुरू किया था। यह वीडियो कांफ्रेंसिंग की तरह काम करता है। इसका मुख्यालय एससीईआरटी को बनाया गया। सेटेलाइट की मदद से राज्य की चुनिंदा 217 स्कूलों को एससीईआरटी से जोड़ा गया था। हर स्कूल को कनेक्टिविटी देने में चार-चार लाख रुपए खर्च हुए।

पहले इसे कुछ ही स्कूलों में शुरू किया गया था, बाद में इसका विस्तार किया गया। इसके लिए हर स्कूल में विशेष रूप से एक कमरा बनाया गया। इसमें एक कैमरा, साउंड सिस्टम और प्रोजेक्टर लगाया गया। योजना के तहत एससीईआरटी में बनाए गए स्टूडियो में अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट टीचर रोज चार घंटे तक लेक्चर देंगे। सेटेलाइट की मदद से इसका लाइव प्रसारण स्कूलों में बनी कक्षाओं में होता।

किस दिन कौन से विषय की पढ़ाई होगी, यह जानकारी भी एडवांस में स्कूलों में भेजी जानी थी। कागज में तो यह प्लान जबर्दस्त दिख रहा था। इससे ग्रामीण इलाके के बच्चों को विषय के बारे में सही जानकारी मिलती। कई बार इन शालाओं में एक्सपर्ट टीचर नहीं होते। इस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इसे पूरा करने के लिए योजना तैयार की गई थी।

इंजीनियर बनकर पहुंची टीम

दैनिक भास्कर की टीम स्कूलों में सेटेलाइट सिस्टम की हकीकत जानने के लिए इंजीनियरों की टीम बनकर पहुंची। स्कूल के प्राचार्यों को बताया गया कि एससीईआरटी के आला अफसरों ने सर्वे करने भेजा है। यह जानने के बाद स्कूल प्रबंधन ने तालाबंद सेंटर खोलकर दिखाए। एक-एक गड़बड़ी की जानकारी देते हुए नाराजगी भी जताई कि इतने दिनों से शिकायत करने के बाद आप लोग आज यहां पहुंचे हैं।

कोई शिकायत नहीं मिली


अभी तक ऐसी शिकायत नहीं मिली है कि सिस्टम बंद है। इस तरह की जानकारी मिलने पर तुरंत निराकरण किया जाएगा। हमारे हिसाब से सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है।


अनिल राय, डायरेक्टर एससीईआरटी


जमीनी हकीकत

रायपुर जिला -  राजधानी से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित मंदिरहसौद के गांव भानसोज का सेंटर सिस्टम में आए टेक्निकल फाल्ट की वजह से पिछले दो सालों से बंद है। पिछले साल भी इसे चालू नहीं किया जा सका। चालू सत्र में भी फॉल्ट ठीक करने मुख्यालय से कोई टेक्नीशियन नहीं आया। सो सेटेलाइट से पढ़ाई ठप है। पलौद और माना स्कूल के सेंटर का भी यही हाल है। नवापारा राजिम की प्राचार्या ने भी स्वीकार किया कि उनके स्कूल में लगाया गया सिस्टम भी काम नहीं कर रहा है।


महासमुंद जिला - महासमुंद शहर के बीचो बीच स्थित सेंटर भी तकनीकी खराबी से बंद पड़ा है। सेंटर के प्रभारी शिक्षक ने बताया कि वे एससीईआरटी को तीन-चार बार शिकायत कर चुके हैं, पर वहां कोई सुनता ही नहीं। हार कर उन्होंने शिकायत करना ही बंद कर दिया।


गरियाबंद जिला - फिंगेश्वर स्कूल के सेंटर में पढ़ाई शुरू होना तो दूर सिस्टम ही अब तक चालू नहीं हो पाया है। इस स्कूल में भेजे गए सिस्टम की पैकिंग ही नहीं खुली। बताया गया कि इसे चलाने वाला स्कूल में कोई नहीं है। खोलकर क्या करते।


धमतरी - मगरलोड और कुरुद स्कूलों में भी सिस्टम में तकनीकी खराबी की शिकायत मिली। कुरुद के शिक्षकों ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई तो नहीं की जा रही है अलबत्ता कभी-कभी शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए सिस्टम चालू करवाया जाता है। इसके लिए एक कंप्यूटर इंजीनियर की मदद ली जाती है।