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सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन में मारे गए लोगों को सांप्रदायिक रंग क्यों दे रही है बिजनौर पुलिस?

मंगलवार दोपहर के दो बज रहे हैं. बीते शुक्रवार यानी 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नहटौर इलाके में हुए विवाद और दो हत्याओं के पांच दिन बाद धीरे-धीरे बाज़ार खुलने लगे है. नहटौर मार्केट में हल्की-फुल्की चहल-पहल देखने को मिलती है. विवाद के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई की दहशत से घर छोड़कर चले गए लोग अब धीरे-धीरे अपने घरों को लौटने लगे हैं. हालांकि अभी भी कई घरों पर ताले लटके हुए हैं.

नहटौर में 20 नवंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान मोहम्मद सुलेमान (20 वर्ष) और अनस हुसैन (23 वर्ष) नाम के दो युवाओं की गोली लगने से मौत हो गई थी. वहीं एक शख्स ओमराज सिंह (42 वर्ष) को गोली लगने से घायल है. उनका इलाज मेरठ में चल रहा है.

बिजनौर पुलिस ने सुलेमान की मौत की जिम्मेदारी लेते हुए इसे ‘सेल्फ डिफेन्स’ में की गई कार्रवाई बताया है वहीं अनस की मौत और ओमराज को लगी गोली को पुलिस भीड़ का काम बता रही है. नहटौर में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पैदा हुई हिंसा को पुलिस सांप्रदायिक हिंसा का रंग दे रही है.

घटना के पांच दिन बाद पीड़ित परिवारों से बरेली के एडीजी अविनाश चन्द्र और बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने मुलाकात की. परिजनों से मिलने के बाद नहटौर थाने में मीडिया से बात करते हुए संजीव त्यागी कहते हैं, ‘‘हमें इनपुट्स मिला था कि बड़ा विवाद हो सकता है. लेकिन यहां के सम्मानित लोगों ने वादा किया था कि कुछ नहीं होगा. लोग शुक्रवार को नमाज पढ़ने के बाद घर चले जाएंगे, लेकिन वादाखिलाफी हुई और नमाज़ पढ़ने के बाद हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर आ गए और तोड़-फोड़ करने लगे. यह मामला धार्मिक रंग ले चुका था, लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इसे रोक दिया.’’

विरोध प्रदर्शनों के चार दिन बाद नेहटौर शहर की एक मस्जिद के पास पुलिस का पहरा था

यह प्रदर्शन सीएए और एनआरसी को लेकर हो रहा था लिहाजा एसपी त्यागी का यह कहना कि यह सांप्रदायिक रूप ले चुका था, एक नई जानकारी है. यह सवाल पूछने पर त्यागी कहते हैं, ‘‘हमारे पास सबूत है कि यह धार्मिक बलवा था. यहां एक हिन्दू को गोली लगी है. जिसका एफआईआर 22 दिसंबर को दर्ज किया गया है. उसने अपनी तहरीर में बताया है कि उसे साम्प्रदायिक आधार पर गोली मारी गई है.’’

क्या ओमराज सिंह को साम्प्रदायिक आधार पर गोली मारी गई? यह जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ओमराज सिंह के घर पहुंचा जिनका घर नहटौर पुलिस थाने से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है. उनके घर पर हमारी मुलाकात ओमराज के छोटे भाई राजवीर सिंह से हुई. वे ओमराज की पत्नी समेत और रिश्तेदारों के साथ बैठे हुए थे. यहां हमारा सामना एक ऐसी सच्चाई से हुआ जो बिजनौर के एसपी त्यागी के दावे की बखिया उधेड़ देता है.

राजवीर सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘मेरे बड़े भाई जंगल गए थे. वहीं से आ रहे थे. नाहटौर में उस वक़्त पुलिस और मुस्लिमों के बीच पत्थरबाजी चल रही थी. वो पास के दुर्गा मंदिर पहुंचे, तभी उन्हें गोली लग गई. मैं उस वक़्त वहां नहीं था, लेकिन आसपास के लोगों ने बताया कि उस वक़्त वहां काफी भीड़ थी. किसने गोली मारी यह नहीं कह सकते है. उस वक़्त वहां मौजूद लोग बताते हैं कि जिधर से गोली आकर लगी उस तरह मुस्लिम समुदाय के लोग थे.’’

राजवीर आगे कहते हैं, ‘‘उनसे किसी की लड़ाई नहीं थी. हमें नहीं पता कि उनका कोई दुश्मन था. हाल फ़िलहाल का कोई झगड़ा तो था नहीं. यहां पर हिन्दू-मुस्लिम के बीच रिश्ता अच्छा है.’’

एसपी त्यागी ने बताया कि ओमराज के परिवार के द्वारा गोली मारने की एफआईआर दर्ज कराई गई थी. लेकिन इस बात से ओमराज का परिवार इनकार करता है. ओमराज के बाद परिवार की देख-रेख राजवीर के जिम्मे है. वे बताते हैं, ‘‘मैंने या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने थाने में कोई मामला दर्ज नहीं कराया है. ना ही पुलिस वाले हमसे मिलने आए थे. मेरे अलावा कौन एफआईआर दर्ज करा सकता है? भाई (ओमराज) के बाद मैं ही इस परिवार में सबसे बड़ा हूं. भाई का बेटा अभी सऊदी अरब में काम करता है.’’

राजवीर आगे कहते हैं, ‘‘भाई को गोली लगने के बाद पुलिस ने कोई मदद नहीं की. मुहल्ले के लोग ही उन्हें उठाकर अस्पताल ले गए. नहटौर अस्पताल से उन्हें मेरठ रेफर कर दिया गया. वहीं एक प्राइवेट अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. अब तक हमारे करीब दो लाख रुपए खर्च हो चुके है. डॉक्टर गुर्दे के ऑपरेशन करने की बात कह रहे हैं.’’
 
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