Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/सीएजी-ने-पकड़ी-10-हजार-करोड़-रुपए-की-गड़बड़ी-7108.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | सीएजी ने पकड़ी 10 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

सीएजी ने पकड़ी 10 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी

पटना. वित्तीय कुप्रबंधन के कारण राज्य सरकार को दस हजार करोड़ रुपए की चपत लगी है। मंगलवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कैग (नियंत्रक-महालेखापरीक्षक) ने कई विभागों की गड़बड़ियां उजागर की है। कैग ने सर्वशिक्षा अभियान, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भारी गड़बड़ी पकड़ी है। कई विभागों में वित्तीय कुप्रबंधन समाने आया है तो कई विभागों में नियम-कानून में हेरफेर कर सरकार को चूना लगाया गया है। ये जानकारी एजी (आडिट) पी के सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में दी।

सर्वशिक्षा अभियान पूरी तरह फेल

उन्होंने बताया कि राज्य में सर्वशिक्षा अभियान फेल है। हिसाब-किताब नहीं देने से राज्य को वर्ष 2008-13 के बीच केन्द्रांश के रूप में 12157.23 करोड़ की राशि नहीं मिली। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008-09 में छात्र-शिक्षक अनुपात 53:1 से बढ़कर 59:1 हो गया।

सूबे के 13 फीसदी स्कूल अब भी भवनविहीन हैं। जबकि 9.50 लाख बच्चे अब भी स्कूलों से बाहर हैं।

फर्जी दावेदारों ने फसल बीमा के 152 करोड़ रुपए हड़पे

वर्ष 2008-13 के बीच राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत केन्द्रीय अनुदान की 2010.32 करोड़ रुपए में से 593.58 करोड़ का उपयोग नहीं किया जा सका। वर्ष 2009-13 के दौरान बिना बुआई वाले 1.78 लाख हेक्टेयर के लिए फसल बीमा दावे के रूप में 152.59 करोड़ रुपए का फर्जी वितरण कर दिया गया। वर्ष 2008-13 के बीच राज्य किसान क्रेडिट कार्ड के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूरी तरह सरकार असफल रही।

बंद पड़े 548 नलकूपों के बिजली बिल के मद में 37.51 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान
कृषि यंत्रों पर अनुदान के रूप में 9.31 करोड़ रुपए का अनियमित व्यय
बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित किए बिना 144.7 करोड़ रुपए का व्यय
वर्ष 2012-13 के दौरान लक्ष्य के विरुद्ध मात्र सात फीसदी किसानों को केसीसी


पीएसी की रिपोर्ट के बाद ही प्रतिक्रिया देंगे : सीएम

सीएम ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट को लेकर पूर्व निर्धारित प्रक्रिया है। विधानसभा में इसे पेश किए जाने के बाद लोक लेखा समिति जांच करती है। फिर समिति रिपोर्ट देती है। उसके बाद ही सरकार कोई प्रतिक्रिया दे सकती है।

राइस मिल मालिकों ने 434 करोड़ रुपए का किया घोटाला

मिल मालिकों ने करीब 434 करोड़ रुपए के चावल पर हाथ साफ कर दिए। राइस मिल मालिकों ने 25.58 क्विंटल चावल की आपूर्ति नहीं की, जिसके कारण सरकार को 433.94 करोड़ रुपए की चपत लगी। एजी ने बताया कि मिल मालिकों को 67 क्विंटल चावल के बदले 100 क्विंटल धान दी जानी थी, लेकिन खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने मात्र 50 हजार रुपए की गारंटी पर धान की आपूर्ति कर दी।


चार जिलों में बच्चों की संख्या से अधिक एडमिशन

सर्व शिक्षा अभियान में भारी घोटाला सामने आया है। जिन चार जिलों में सैम्पल लिए गए वहां बच्चों की कुल जनसंख्या से विद्यालयों में अधिक छात्रों का एडमिशन दिखाया गया था। सीतामढ़ी, खगड़िया, किशनगंज और गया में बच्चों की कुल जनसंख्या 2218089 थी जबकि डीपीओ द्वारा 2302785 बच्चों का नामांकन दर्शाया गया था। यानी कुछ बच्चों की संख्या से 84696 अधिक बच्चों का नामांकन।

धान खरीद में सीएजी ने पकड़ी गड़बड़ी

सीएजी ने धान खरीद में गड़बड़ी में राज्य सरकार को 433.94 करोड़ की हानि का खुलासा किया है। पैक्स व एसएफसी के क्रय केंद्रों पर 2011-12 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 2.14 करोड़ क्विंटल धान मिल मालिकों को अग्रिम दिए गए। इसके विरुद्ध मिल मालिकों ने 25.58 लाख क्विंटल चावल की आपूर्ति नहीं की। इस कारण सरकार को 433 करोड़ से अधिक की हानि हुई।

15 नवंबर, 2011 से 15 अक्टूबर, 2012 के बीच एफसीआई को मिलों से चावल लेकर एफसीआई को आपूर्ति करनी थी, लेकिन मिल मालिकों द्वारा चावल नहीं लौटाने के कारण एफसीआई को भी समय पर चावल की आपूर्ति नहीं की जा सकी। सीएजी ने खुलासा किया है कि जाली दस्तावेज पर मिलों को चावल तैयार करने के लिए धान की आपूर्ति कर दी गई। एसएफसी व रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड के पैक्स के कागजात जांच में पाया गया कि वर्ष 2011-12 में एसएफसी और पैक्स द्वारा 24994 क्विंटल धान की खरीद की गई, जिनमें 1.75 करोड़ मूल्य के 16245 क्विंटल धान की खरीद जाली दस्तावेज व अनियमित भू राजस्व रसीद पर की गई। इसी प्रकार कैमूर के जिला सहकारिता पदाधिकारी व एसएफसी के कागजात जांच में पाया गया कि पैक्स द्वारा 62.45 लाख मूल्य का 5782 क्विंटल धान जाली भू राजस्व रसीद पर की गई है।

यह भी पाया गया कि जनवरी से मार्च, 2012 के बीच हर मिलर से मात्र 50 हजार रुपए की जमानत राशि लेकर 451 मिलरों को एसएफसी ने 55.37 लाख क्विंटल धान दे दिया। मिलरों द्वारा 28 लाख क्विंटल चावल की आपूर्ति एफसीआई को की गई। 173.18 करोड़ रुपए के 9.09 लाख क्विंटल चावल की 212 दोषी मिलरों ने 30 अप्रैल, 2013 तक आपूर्ति नहीं की। एसएफसी ने बताया कि दोषी 110 मिलरों के विरुद्ध प्राथमिकी व 373 मिलरों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस किया गया।

किस विभाग में क्या हुआ

मानव संसाधन विभाग : बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण ब्याज के रूप में 52.13 लाख रुपए की हानि।

जल संसाधन विभाग : पटवन की वसूली नहीं होने से 1.32 करोड़ रुपए की राजस्व की क्षति।

उद्योग विभाग : पटना, वैशाली और गया के जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा चालू खाता में पैसा रखने के कारण ब्याज के रूप में 4.64 करोड़ की हानि।

स्वास्थ्य विभाग : बिना इकरारनामा के सफाई का काम देने के कारण 70.78 लाख रुपए का अधिक भुगतान। बिहार वित्तीय नियमावली 2005 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं होने के कारण 1.20 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान।

जल संसाधन विभाग : गंगा बाढ़ नियंत्रण के दौरान लापरवाही के कारण बेड बार बहने के कारण सरकार को 5.79 करोड़ रुपए की हानि।

समाज कल्याण विभाग : उच्च दर पर उपकरणों की खरीद के कारण 15.36 लाख रुपए का ज्यादा व्यय।

पथ निर्माण विभाग : भू-अर्जन से पूर्व काम शुरू करने और बीच में ठेकेदार द्वारा सड़क निर्माण बंद करने के कारण 2.54 करोड़ रुपए की हानि। गलत निर्णय के कारण सड़क निर्माण के दौरान सरकार को 2.51 करोड़ रुपए की चपत।

भवन निर्माण विभाग : काम पूरा करने में देरी के बावजूद केन्द्र प्रायोजित योजना में 62.27 लाख रुपए के भुगतान के कारण सरकार को राजस्व घाटा लगा।