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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश : 60 % कोटे में सारे केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चे को शामिल करें संस्कृति

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज संस्कृति स्कूल को अंतरिम उपाय के रूप में निर्देश दिया कि आगामी शैक्षणिक सत्र में 60 फीसदी कोटे में ऐसे सभी केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश दिया जाए जिनकी नौकरी में स्थानांतरण का प्रावधान है.न्यायमूर्ति ए आर दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अमल पर रोक लगाते हुये संस्कृति स्कूल से कहा कि 60 फीसदी सीटों का आरक्षण सिर्फ समूह-ए के केंद्र सरकार के अधिकारियों तक सीमित नहीं रखा जाये.उच्च न्यायालय ने स्कूल में समूह-ए के अधिकारियों के बच्चों के लिये 60 फीसदी सीटें आरक्षित रखने की व्यवस्था निरस्त कर दी थी.


पीठ ने स्पष्ट किया कि इस समय वह राजधानी के सभी स्कूलों में प्रबंधन का कोटा खत्म करने संबंधी दिल्ली सरकार की अधिसूचना को विचार में नहीं ले रही है. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ संस्कृति स्कूल और केंद्र सरकार की अपील विचारार्थ स्वीकार कर ली.पीठ ने इस कथन का भी संज्ञान लिया कि नौ अप्रैल को इस मामले में सुनवाई शुरु होने पर संस्कृति स्कूल और केंद्र को सीटों के वर्गीकरण की योजना स्पष्ट करनी चाहिए. न्यायालय ने प्रतिवादियों को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिये छह सप्ताह का वक्त दिया है.

केंद्र और स्कूल प्रशासन ने शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार के समूह-ए के अधिकारियों के बच्चों के लिये 60 फीसदी स्थान आरक्षित रखने के फैसले को निरस्त करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है. अपील में अंतरिम आदेश के माध्यम से स्कूल को पुरानी योजना के तहत ही प्रवेश प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था.

अब न्यायालय निर्णय करेगा कि क्या इस स्कूल का संचालन करने वाली सोसायटी को संविधान के तहत राज्य या उसकी सहायक माना जा सकता है और इसलिए वह शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के दायरे में आता है.इससे पहले, सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि केंद्र सरकार के समूह-ए के अधिकारियों के अलावा अन्य सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को भी 60 फीसदी कोटे के तहत प्रवेश दिया जा सकता है.उच्च न्यायालय ने पिछले साल छह नवंबर को संस्कृति स्कूल में 60 फीसदी कोटा निरस्त करते हुये अपने फैसले में कहा था कि यह तो अमेरिका में कभी गोरे और अश्वेतों को अलग अलग करने जैसा ही है ओैर इससे संविधान में प्रदत्त समता और शिक्षा के अधिकार का हनन होता है.

शीर्ष अदालत पिछले साल 15 दिसंबर को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के लिये सहमत हो गई थी.इस स्कूल में 60 फीसदी सीटें समूह-ए के अधिकारियों के बच्चों के लिये आरक्षित हैं जबकि 25 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, दस फीसदी सीटें शेष सोसायटी और पांच फीसदी सीटें अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिये आरक्षित हैं.उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि तमाम विशेषज्ञ आयोगों ने कहा है कि भारत और विदेशों में मौजूदा स्कूली व्यवस्था सुविधा संपन्न और सुविधाहीन वर्गो के बीच खाई चौडी कर रहा है.उच्च न्यायलाय ने समूह-ए के अधिकारियों के बच्चों से करीब 40 फीसदी कम फीस लिये जाने के बारे में खबरें सामने आने के बाद 2006 में स्वत: ही इसका संज्ञान लिया था.