Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/सुस्त-रेंगती-भारतीय-ट्रेनें-बिभाष-11251.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | सुस्त रेंगती भारतीय ट्रेनें -- बिभाष | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

सुस्त रेंगती भारतीय ट्रेनें -- बिभाष

पहली फरवरी को वित्त मंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार रेल बजट को मुख्य बजट में शामिल करके पेश किया. रेल को बजट के भाग-क के पांचवें चैप्टर में इंन्फ्रास्ट्रक्चर शीर्ष के अंतर्गत शामिल किया गया है. बजट के इस हिस्से की शुरुआत में उन्होंने कहा कि रेल, रोड और नदियां हमारे देश की जीवन-रेखा हैं और इस संयुक्त बजट से उन्होंने आशा जगायी कि अब रेलवे, सड़क, जल और वायु परिवहन में निवेश के बीच तालमेल बैठाना आसान होगा. रेलवे में एक बड़े निवेश का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने यात्री सुरक्षा, विकास कार्य, साफ-सफाई और वित्त और लेखा में सुधार पर बल देने की बात कही.


रेलवे की कार्य प्रणाली, खासकर जिसका यात्रियों से सीधा संबंध है, सुरक्षा के अलावा कोई बात नहीं की गयी दिखती है. पिछले कुछ महीनों से रेलवे में ट्रेनों के परिचालन को लेकर अराजक स्थिति बनी हुई है. ट्रेनें निराशाजनक रूप से लेट चल रही हैं. कारण मात्र कोहरा ही नहीं है. रेलवे को अपने ही डाटा से मालूम होगा कि ट्रेनें इस वित्तीय वर्ष के शुरू से ही लेट चल रही हैं. फरवरी 2015 में भारत सरकार ने भारतीय रेल पर एक ह्वाइट पेपर (श्वेत पत्र) जारी किया था.


उस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वर्ष 2010-11 में 69 प्रतिशत मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें समय पर चल रही थीं. वर्ष 2013-14 तक सुधार होकर यह दर 83 प्रतिशत तक पहुंच गयी. लेकिन, साथ में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2010-11 में प्रतिदिन 1,266 ट्रेनें लेट चल रही थीं, जो वर्ष 2013-14 में बढ़ कर 1505 हो गयी. रिपोर्ट के अनुसार आधे से जादा मामले में ट्रेनों के लेट होने का कारण लाइनों का उनकी क्षमता से अधिक उपयोग है. अन्य कारण हैं विशेष महीनों में धुंध और कोहरा, कुछ राज्यों में नक्सलवाद और कानून और व्यवस्था.

 

ट्रेनों के आवागमन के आंकड़े इंटिग्रेटेड कोच मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा मैनुअल विधि से इकट्ठा किये जाते हैं, फिर इसे नेशनल ट्रेन इन्क्वाॅयरी सिस्टम में डाला जाता है. ट्रेनों के लेट होने पर सीएजी ने 2016 के अपने रिपोर्ट में चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि ट्रेनों के आवागमन के आंकड़े एकत्र करने और उसे जनसाधारण के उपयोग के लिए इंटरनेट पर जारी करने की पूरी व्यवस्था उचित मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम न होने के कारण त्रुटिपूर्ण है. इस कारण यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.


आइआइटी खड़गपुर के सप्तर्षि घोष और उनके विद्वान साथियों ने अप्रैल से जून 2012 के बीच ट्रेन इन्क्वाॅयरी डॉट कॉम से ट्रेनों के लेट होने के आंकड़े दैनंदिनी आधार पर इकट्ठा कर एक अध्ययन किया. उन्होंने बताया कि ट्रेनों के लेट होने और ट्रैफिक ज्यादा होने के बीच कोई खास संबंध नहीं है.


ट्रैफिक अधिक होने के अतिरिक्त जो अन्य कारण हो सकते हैं, उनमें हैं समांतर रेल लाइनों का न होना, रेलों का ढुलाई के काम में इस्तेमाल, सिग्नलिंग सिस्टम की दुर्व्यवस्था और कमजोर एडमिनिस्ट्रेशन. इन्होंने लिखा है कि उनका यह अध्ययन ट्रेनों के लेट होने पर पहला अध्ययन हो सकता है. इंटरनेट पर खोजने पर इस लेखक को भी मात्र यही अध्ययन मिला. इसका कारण भी इसी रिपोर्ट में दिया गया है और जिसकी ओर इशारा सीएजी की रिपोर्ट में भी किया गया है कि ट्रेनों के लेट होने संबंधी आंकड़े सर्वसाधारण को अध्ययन के लिए उपलब्ध नहीं हैं. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि ह्वाइट पेपर, सीएजी रिपोर्ट और सप्तर्षि घोष के अध्ययन में सिर्फ मेल-एक्स्प्रेस ट्रेनों के आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं या उन पर अध्ययन किया गया है. पैसेंजर, इंटरसिटी और शटल ट्रेनों के समयानुसार परिचालन का कोई आंकड़ा कहीं नहीं उपलब्ध है.

 

 


छोटी दूरी की यात्रा की तकलीफ का अध्ययन इसीलिए नहीं किया जा सका है. अगर यह आंकड़े उपलब्ध हों, तो पता लगे कि इन लेट चलती ट्रेनों का लोग सचमुच इस्तेमाल करते भी हैं या नहीं. शायद ये ट्रेनें आमतौर पर खाली ही चलती हों.


रेलों पर सिर्फ यात्री ट्रेनें ही नहीं चलतीं. मालों की ढुलाई भी अब ट्रेनों से बड़ी मात्रा में होने लगी है. मालगाड़ियां भी किसी न किसी टाइम-टेबल का अनुसरण करती हैं. पब्लिक डोमेन में मालगाड़ियों के समय पर संचालन के संबंध में कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.

 

 


एक और आयाम है, जिसके आंकड़े समेकित रूप में कहीं उपलब्ध नहीं हैं और वह है रोजाना कैंसिल होती ट्रेनों का. यद्यपि यह आंकड़ा दैनंदिन आधार पर विभिन्न वेबसाइट से उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन इस प्रकार के आंकड़ों का इतिहास उपलब्ध नहीं है. बजट में उल्लेख है कि भारतीय रेलवे को प्राइवेट सेक्टर संचालित परिवहन के अन्य साधनों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है.


रेलवे को प्रतिस्पर्धी बनाये रखने के लिए रेलवे से जिंसों की ढुलाई में सुधार के बारे में घोषणा की गयी है. पैसेंजर यात्रा को प्रतिस्पर्धी बनाने का कोई संकेत नहीं है सिवाय इ-टिकट पर सेवा शुल्क माफ करने के. हाल में यात्रा किराया प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दोनों तरीके से बढ़ाया गया है. यह अध्ययन किया जाना चाहिए कि ट्रेनों के लेट होने, उनके कैंसिल होने, हाल में अलाभकारी टिकट कैंसिल कराने और डायनामिक किराया पद्धति के कारण कितना ट्रैफिक दूसरे परिवहन की ओर गया. हो सकता है कि ट्रेनों में सीट-बर्थ खाली जा रही हों.

 

 


हिंदुस्तानियों को सिर्फ रेल ही जोड़े रख सकती है. इसलिए रेलवे को यात्रियों की यात्रा, उनको होनेवाली असुविधा, उससे लोगों और खुद रेलवे को होनेवाले नुकसान का सतत् अध्ययन किया जाना जरूरी है. इसके लिए ट्रेन आवागमन के आंकड़े सर्वसाधारण के लिए जारी होने चाहिए, जिससे हर संबद्ध पार्टी अपनी राय दे सके और यात्री, व्यवसायी और रेलवे सबको फायदा हो.

 

 


रेल मंत्रालय ने विजन एंड प्लांस 2017-19 के मिशन में उद्देश्य तय किया है कि रेलवे को सुरक्षित, वित्तीय रूप से व्यवहार्य, पर्यावरण-मित्र बनाये रखते हुए और अपने ग्राहकों तथा कर्मचारियों के हितों की चिंता करते हुए देश के विकास का इंजन बनाना है. इसी रिपोर्ट में यात्रियों के सुविधा का खयाल रखने के उद्देश्य से अन्य लक्ष्यों के अलावा ट्रेनों के समय पर परिचालन पर विशेष बल दिया है. देश को इंतजार है कि इस मिशन और विजन में निहित लक्ष्यों का क्रियान्वयन तेज हो.