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सूखे से निपटने के लिए राज्‍य सरकार की अब तक प्लानिंग नहीं

भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अल्पवर्षा व अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति निर्मित हो रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश की 150 में से 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का भी निर्णय ले लिया है। अब इन सूखाग्रस्त इलाकों में पेयजल, रोजगार, जीवनरक्षक दवाइयां, पशुचारा, पशु टीकाकरण, पोषण आहार, खाद्य सुरक्षा, कृषि अनुदान, खरीफ व रबी फसलों को बचाने की चुनौती है। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने सभी कलेक्टरों सहित शासकीय विभागों को कार्ययोजना बनाने का जिम्मा सौंपा है। सूखे से निपटने के लिए विभागों की कार्ययोजना अभी तक सरकार के पास नहीं आई है। शासकीय विभागों की कार्ययोजना के आधार पर ही विशेष पैकेज की मांग के लिए केंद्र को प्रस्ताव व मेमोरंडम भेजा जाना है।

प्रदेश में अवर्षा और खरीफ फसलों की स्थिति पर 'नईदुनिया' ने खेती से जुड़े लोगों व जानकारों बात की। उनका कहना है कि सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार की कोई पूर्व तैयारी नहीं है और न ही वर्तमान में कोई तैयारी है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों व लोगों को तत्काल राहत दी जानी चाहिए, लेकिन सरकार में इच्छाशक्ति का अभाव नजर आ रहा है। जबकि प्रदेश के कृषि व जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि राज्य में अल्पवर्षा व अवर्षा की स्थिति से निपटने के लिए प्रभावित इलाकों में खरीफ फसल को बचाने व रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। आने वाले समय में किसानों के हित में और भी निर्णय लिए जाएंगे।

ये है विभागों का दायित्व

0 कृषि विभाग- खरीफ फसल की स्थिति व रबी फसल को बचाने के उपाय करना।

0 पशुपालन विभाग- पशुचारा, पशु टीकाकरण की स्थिति व आवश्यकता।

0 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी- पेयजल की व्यवस्था।

0 पंचायत एवं ग्रामीण विकास- रोजगारमूलक कार्य।

0 नगरीय प्रशासन- नगरीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था।

0 वन विभाग- पशुचारे की व्यवस्था।

0 लोक निर्माण- विभाग की कार्ययोजना व रोजगार की स्थिति।

0 खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति- खाद्य सुरक्षा।

0 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण- महामारी व शुद्ध पेयजल व्यवस्था। जीवनरक्षक दवाइयां।

0 महिला एवं बाल विकास- पोषण आहार की व्यवस्था।

0 जल संसाधन विभाग- बांधों में जल भराव की स्थिति व कार्ययोजना।

सरकार की पूर्व तैयारी नहीं

राज्य सरकार ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिए पूर्व तैयारी नहीं की है। पीने, सिंचाई, निस्तारी पानी के लिए भी कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है। सरकार के पास प्लानिंग व इच्छा शक्ति का अभाव है। किसानों और खेतिहर मजदूरों को तत्काल राहत देने के लिए भी सरकार ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। अगर अभी नहीं चेतेंगे तो आने वाले गर्मी के दिनों में स्थिति और भी खराब हो सकती है। पेयजल के साथ ही पशुओं के लिए चारा व पानी की व्यवस्था अभी से करनी होगी। जल के संरक्षण व संवर्धन के उपायों पर काम करने की जरूरत है।

- गौतम बंधोपाध्याय, संयोजक, नदीघाटी मोर्चा

भूमि व जल संरक्षण की जरूरत

प्रदेश में सूखे की स्थिति बन रही है, लेकिन सरकार ने इससे निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जल संरक्षण व भूसंरक्षण की दिशा में कार्य करने की जरूरत है। नदी-नालों में बंधान कार्य किया जाना चाहिए। पानी की बर्बादी रोकने के लिए वॉटर राशनिंग की भी आवश्यकता है। सिंचाई के लिए लिफ्ट एरिगेशन को बढ़ावा देना चाहिए। नमी वाले खेतों में धान के बदले गेहूं व चना जैसी रबी फसल ली जा सकती है। किसानों को तत्काल सूखा राहत के रूप में प्रति एकड़ बीस हजार रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

- संकेत ठाकुर, संयोजक, आम आदमी पार्टी

सरकार का पूरा ध्यान उद्योगों पर

राज्य सरकार ने खेती-किसानी को उपेक्षित कर उद्योगों को अपनी प्राथमिकता में रखा है। खेतों के पानी की कटौती कर उद्योगों को पानी दिया जा रहा है। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार की पहले से तैयारी नहीं थी और अभी भी तैयारी नहीं है। कम वर्षा वाले इलाकों में धान के स्थान पर कौन-सी दूसरी फसल ली जा सकती है, इसके लिए भी कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है। बीज आदि की भी व्यवस्था नहीं है। सरकार का पूरा ध्यान उद्योग, निवेश, स्मार्ट सिटी, सेंसेक्स पर है। जबकि सूखे की स्थिति में प्रदेश के किसानों व खेतिहर मजदूरों को तत्काल राहत देने का निर्णय सरकार को लेना चाहिए। - आनंद मिश्रा, किसान नेता

कैबिनेट में आम लोगों को राहत नहीं- माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पूरे प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है। पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते का कहना है कि सूखे की वजह से पूरे प्रदेश में खेती चौपट हो गई है। ऐसे में केवल 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करना काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि रमन कैबिनेट ने जिन तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है, उनके लिए भी कोई राहत का एलान नहीं किया है। इसे लेकर माकपा ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

माकपा नेता ने कहा है कि सूखे से निपटने के प्रति रमन सरकार में 'समझ का अकाल' है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भयंकर सूखे के बावजूद राज्य सरकार जल स्रोतों तथा जल संसाधनों के औद्योगिक- व्यापारिक उपयोग पर रोक लगाने से इनकार कर रही है। मनरेगा के कामों के लिए केन्द्र सरकार ने पर्याप्त फंड आवंटन नहीं किया है, जिससे राज्य सरकार की घोषणाएं दिखावा बनकर रह गई हैं। उन्होंने कहा कि अकाल से निपटने के लिए जरूरी है कि किसानों की फसल को अपने वादे के अनुसार सरकार बोनस सहित 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदे तथा किसानों से कर्ज वसूली पर रोक लगे। माकपा ने प्रति परिवार 35 किलो अनाज आवंटन की भी मांग की है। पार्टी ने कहा है कि अकाल प्रभावित परिवारों के बच्चों की स्कूल-कॉलेज की फीस माफ होनी चाहिए ।

सूखे से निपटने सरकार ने लिए कई निर्णय

प्रदेश में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसल को बचाने, पेयजल, रोजगार, पशुचारा आदि की व्यवस्था के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। बांधों से सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। किसानों को सिंचाई पंप कनेक्शन के लिए 22 करोड़ मंजूर किए गए हैं। निस्तारी पानी की उपलब्धता के लिए नाला बंधान के साथ ही तालाबों को सिंचाई नहरों व ट्यूबवेल के माध्यम से भरा जाएगा। आनावारी रिपोर्ट के आधार पर 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया गया है। आने वाले दिनों में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए और कई निर्णय लिए जाएंगे।

- बृजमोहन अग्रवाल, कृषि व जलसंसाधन मंत्री