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सूदखोर ने बेटे को आदिवासी बनाकर भी हड़पी जमीन

बैतूल (ब्यूरो)। सूदखोर राजेश पांडे द्वारा कर्जदारों को फांसने के लिए बिछाया गया मकड़जाल कोतवाली पुलिस द्वारा बुधवार को उसके घर पर की गई तलाशी में सामने आया है। वह एक ओर जहां कर्जदारों को हर तरफ से चुंगल में फंसा लेता था वहीं फर्जीवाड़े का भी मास्टर माइंड साबित हुआ है। उसने एक आदिवासी की जमीन हड़पने के लिए जहां बेटे को आदिवासी बना दिया वहीं कलेक्टरों के हस्ताक्षरयुक्त कोरे लेटर पेड भी मिले हैं।

एक सरकारी कर्मचारी द्वारा सूदखोर राजेश पांडे की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने के बाद पुलिस ने उस पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है। इसी के तहत बुधवार को पुलिस ने सीजेएम कोर्ट से सर्च वारंट जारी करवा कर सुबह 11 बजे से शाम 5.30 बजे तक सूदखोर राजेश पांडे के घर सघन तलाशी अभियान चलाया। अभियान के समाप्त होने पर टीआई चौधरी मदनमोहन ने पत्रकारों को विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान राजेश पांडे के घर से कर्ज लेने वालों के द्वारा हस्ताक्षर करके दिए गए कोरे चेक, कोरे प्रोसेसरी नोट, युवराज फाइनेंस के नाम से ऋ ण लेने वालों के नाम, कर्जदार कर्मचारियों द्वारा किए गए एग्रीमेंट, स्टाम्प पेपर और जमीन के दस्तावेज मिले हैं। केवल इतना ही उसके घर से पंकज राग, रजनीश वैश सहित अन्य कुछ कलेक्टरों के हस्ताक्षरित, लेकिन कोरे लेटर पैड भी मिले हैं।

चेक बाउंस होने पर लोगों को होने वाली सजा के संबंध में छपे समाचारों की कटिंग भी उसके द्वारा बड़ी हिफाजत से रखी गई थी। इसका उपयोग उसके द्वारा कर्ज लेने वालों को धमकाने के लिए किया जाता था। तलाशी के दौरान सबसे बड़ा जो फर्जीवाड़ा सामने आया है वह यह है कि एक आदिवासी की जमीन हड़पने के लिए उसने अपने पुत्र प्रलय को आदिवासी बना डाला।

जब्त हुए दस्तावेजों के अनुसार प्रलय के नाम से नहरपुर निवासी फत्तोबाई की जमीन 20 लाख रुपए में खरीदी गई है। इसके बाद जो ऋ ण पुस्तिका बनी है उसमें प्रलय को कटकुही निवासी बताया गया है। इस पूरे मामले में राजस्व विभाग की मिलीभगत भी सामने आ रही है। संभावना जताई जा रही है कि यह जमीन भी उसने खरीदी नहीं बल्कि कर्ज लेने के बाद हड़प ली है। एक महिला कमला बाई के नाम से 22 चेक बरामद हुए हैं। इसके अलावा आत्महत्या करने वाले कर्मचारी दीनानाथ के संबंध में मेंटेन की गई डायरी भी जब्त की गई है।

साहूकारी का लाइसेंस नहीं

टीआई श्री चौधरी ने बताया कि उसके घर से साहूकारी का लाइसेंस नहीं मिला है। अभी सूदखोर राजेश पांडे के खिलाफ धारा 306 का प्रकरण दर्ज है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों से मशविरा जारी है और उनकी सहमति मिली तो इस प्रकरण में अन्य धाराएं भी लगाई जा सकती है। फिलहाल आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है और पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। घटना के बाद से आरोपी सूदखोर फरार चल रहा है।

पाबंदी के बाद भी चल रहा कारोबार

इस पूरे मामले में खास बात यह है कि पूर्व कलेक्टर बी चंद्रशेखर ने करीब 2 साल पहले अधिसूचित क्षेत्र होने के कारण साहूकारी के सारे लाइसेंस निरस्त कर सूदखोरी पर ही पाबंदी लगा दी थी। इसके बावजूद साहूकारी का कारोबारी जिले भर में बेखौफ चल रहा है। इस संबंध में आए दिन मामले सामने भी आते रहे हैं पर इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी थी।

ऐसे फंसाते थे अपने चुंगल में

इस संबंध में बताया जाता है कि सूदखोर ने कई कर्मचारियों को ही अपना दलाल बना रखा था। वे कर्मचारियों को पहले दारू-मुर्गे की आदत डालते थे और उसके बाद उधार लेने को प्रेरित करते थे। जाल में फंसते ही वे आसानी से कर्ज दिलाने का भी आश्वासन दिलाते थे और उसके बाद राजेश पांडे के पास ले जाकर पूरी तरह उसकी गिरफ्त में फंसवा देते थे। इसके बाद वह नहीं छूटता था।