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सूबे में फलों की पैदावार में दस गुना वृद्धि

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले छह सालों में फलों की पैदावार में 10 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है तथा फलदार बाग बगीचों का रकबा लगभग नौ गुना बढ़ा है।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में बाग-बगीचों के रकबे और उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। राज्य के किसान अब फलों के बाग लगाने में भी रूचि ले रहे हैं। पिछले छह वर्षों में राज्य में फलोद्यानों के रकबे में लगभग नौ गुना एवं फलों के उत्पादन में साढ़े 10 गुना वृद्धि दर्ज की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2003-04 में फलोद्यानों का रकबा 16 हजार 803 हेक्टेयर एवं उत्पादन एक लाख 17 हजार मीटरिक टन था, जबकि वर्ष 2009-10 में प्रदेश में फलोद्यानों का रकबा एक लाख 46 हजार 705 हेक्टेयर तथा फलों का उत्पादन 12 लाख 14 हजार 552 मीटरिक टन तक पहुंच गया है।

उन्होंने बताया कि किसान अपनी सीमित भूमि में आम, नीबू, लीची, संतरा, अंगूर, बेल, केला, पपीता आदि के बगीचे लगाकर खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी भी हासिल कर रहे हैं।

राज्य में शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत फलदार बगीचे लगाने के लिए किसानों को 10 हजार रुपए से लेकर साढ़े 22 हजार रुपए तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

इसके साथ ही 11 जिलों में राष्ट्रीय बागवानी मिशन और सात जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत किसानों को फलों के बगीचे लगाने के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए अनुदान पैकेज भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फलोद्यान विकास योजना के तहत राज्य पोषित योजना में आम के बगीचे लगाने के लिए किसानों को 10 हजार 938 रुपए तक की आर्थिक सहायता अनुदान के रूप में दी जा रही है। आम के बगीचे लगाने वाले किसानों को यह सहायता पांच वर्षो में दी जाती है।

अधिकारियों ने बताया कि बगीचे लगाने के लिए बैंक से ऋण लेने पर भी किसानों को लागत के 25 प्रतिशत तक का अनुदान राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। निश्चित सिंचाई के साधन वाले किसानों को ही योजना का लाभ दिया जाता है। एक किसान को कम से कम आधा एकड़ और अधिकतम दो हेक्टेयर तक फलोद्यान लगाने के लिए अनुदान दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि किसानों को पहले साल अनुदान की 25 प्रतिशत राशि दो किश्तों में दी जाती है। प्रथम किश्त की 50 प्रतिशत राशि किसान द्वारा किए गए कार्य एवं पौध रोपण का सत्यापन करने के बाद सितम्बर माह में तथा शेष 50 प्रतिशत राशि कम से कम 90 प्रतिशत पौधे जीवित पाए जाने पर जनवरी माह में उपलब्ध कराई जाती है।

दूसरे वर्ष से पांचवें वर्ष तक हर जनवरी माह में किए गए कार्य और पौधों के जीवित प्रतिशत के सत्यापन के बाद 25 प्रतिशत अनुदान की राशि स्वीकृत की जाती है। ऐसे कृषक जो समय पर कार्य कराने एवं सामग्री जुटाने में असमर्थता व्यक्त करते हैं, उनसे लिखित आवेदन लेकर विभागीय तौर पर यह व्यवस्था कराई जाती है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 11 जिलों के किसानों को आम, लीची, नीबू आदि के बगीचे लगाने के लिए अधिकतम 22 हजार पांच सौ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता लगातार तीन सालों तक 50, 20 एवं 30 प्रतिशत के हिसाब से दी जाती है।