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सेब की लाली पर लापरवाही का दाग

हिमाचल प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले 22 सौ करोड़ के सेब कारोबार पर सरकारी तंत्र की लापरवाही का ग्रहण लगता जा रहा है। वर्तमान में स्थिति इतनी खराब है कि ट्रकों की कमी के कारण प्रदेश में करीब 40 से 50 हजार सेब पेटियों का लदान नहीं हो पा रहा है। सड़कों की हालत खराब है और सेब पैकिंग के लिए पेटियां पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार के बिक्री केंद्र भी स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं।

हिमाचल में सेब सीजन में रोजाना देश की विभिन्न मंडियों में सेब पहुंचाने के लिए 500 ट्रकों की जरूरत होती है। लेकिन ट्रकों की किल्लत के कारण पौने तीन सौ ट्रक ही उपलब्ध हो पा रहे हैं। ट्रकों की कमी का एक मात्र कारण प्रदेश की खस्ताहाल सड़कें बताया जा रहा है। ट्रकों की किल्लत न हो इसके लिए प्रदेश सरकार ने दूसरे राज्य के ट्रक आपरेटर्स को छूट देने की घोषणा की थी, लेकिन जो ट्रक एक बार यहां से माल ले गया वह दोबारा आने को तैयार नहीं। ट्रक आपरेटरों का आरोप है कि प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों के कारण दिल्ली से आने-जाने में दोगुना समय लगता है। इतना ही नहीं प्रदेश से निकलते हुए जान जोखिम में रहती है। हिमाचल प्रदेश से दिल्ली जाने-आने में तीन दिन लग जो हैं, लेकिन प्रदेश में खस्ताहाल सड़कों के कारण अब छह दिन लग रहे हैं जबकि किराया तीन दिन का ही मिलता हैं।

खस्ताहाल सड़कें

1. छैला-ठियोग मार्ग पर पिछले दो साल से सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। सड़क का निर्माण कर रही चीन की कंपनी ने मामला इतना फैला रखा है कि कोई चालक इस मार्ग से दोबारा यहां आना नहीं चाहता। ट्रक के पहिये आधे से अधिक धंस जाते हैं, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।

2. शिमला से चौपाल-नेरवा को जाने वाले खस्ताहाल मार्ग की हालत भी किसी से छिपी नहीं है।

3. नेरवा-कुपवी मार्ग पर पिछले दिनों

हुआ बस हादसा अभी तक ट्रक चालकों के लिए खौफ का पर्याय बना हुआ है, यहां सड़क इतनी तंग है कि वाहनों के भिड़ने की आशंका बनी रहती है।

4. रोहडू मार्ग पर जगह-जगह ल्हासे गिरने से सड़क मार्ग बाधित रहता है।

5. रामपुर से किन्नौर मार्ग पर भी हमेशा खस्ताहाल सड़क के कारण हादसे की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं दूसरे मार्गो की हालत यह है कि हल्की बारिश के बाद मार्ग बाधित हो जाता है।

ट्रकों की स्थिति

हिमाचल प्रदेश में गुम्मा, कोटखाई, ठियोग, नारकंडा, रोहड़ू व चिड़गांव समेत दूसरे स्थानों पर ट्रक एसोसिएशन बागवानों को आधे ट्रक भी उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। कोटखाई के बागवान दिनेश कुमार का कहना है कि प्रदेश में रोजाना 200 ट्रकों की किल्लत रहती है। कुछ तो छोटे वाहनों से माल ले जाते हैं। इसके बावजूद करीब 40 से 50 हजार सेब पेटियों का लदान नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा जो सेब देश की विभिन्न मंडियों में जा रहा है उसमें से तमाम माल खराब सड़कों के कारण बीच में अटका हुआ है, जिसका खामियाजा भी बागवान को भुगतना पड़ रहा है।

छोटे वाहन चालकों की मनमानी

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि बागवान को सीजन पर हर कोई परेशान कर रहा है। ट्रकों की किल्लत को देखते हुए छोटे वाहन चालक मनमानी से किराया वसूल रहे हैं। नेरवा के बागवान अशोक चौहान का कहना है कि छोटे वाहन चालक इस कदर मनमानी पर उतारु हैं कि जहां नेरवा से ढली मंडी शिमला के छह हजार रुपये लगते थे वह अब दस हजार मांगते हैं।

हर जगह किल्लत है : ट्रक एसोसिएशन

ट्रक एसोसिएशन शिमला के अध्यक्ष बलवीर सिंह बांश्टू का कहना है कि भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ट्रकों की हर जगह किल्लत है। बारिश के कारण जहां पांच दिन लगते थे वहां नौ दिन लग रहे हैं। उनका कहना है कि बारिश के कारण सड़कें तो खराब हो ही जाती हैं।